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जयपुरएक घंटा पहले
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![Parent-school director in dilemma, order not to open school, collector is taking suggestions from school operators | अभिभावक-स्कूल संचालक असमंजस में, स्कूल खोलने का जारी नहीं हुआ आदेश, कलेक्टर ले रहे स्कूल संचालकों से सुझाव 1 orig origuntitled15834705131593990485 1604098281](https://images.bhaskarassets.com/thumb/720x540/web2images/521/2020/10/31/orig_origuntitled15834705131593990485_1604098281.jpeg)
विभाग को चाहिए कि कोरोना के कारण सरकारी स्कूलों में लगने वाले तमाम तरह के शुल्क माफ करने का आदेश जारी करे। ताकि लाखों बच्चों को राहत मिल सके
- शिक्षा विभाग ने 2 नवंबर से स्कूल खोलने का प्रस्ताव तैयार करके सरकार को भिजवाया था
- विकास शुल्क तो संस्था प्रधान अपने हिसाब से 100 रुपए से लेकर 500 रुपए तक वसूल लेते हैं
कोरोना के चलते 8 माह से बंद पड़े स्कूलों को खोलने को लेकर प्रदेश में अभी असमंजस बना हुआ है। शिक्षा विभाग ने 2 नवंबर से स्कूल खोलने का प्रस्ताव तैयार करके सरकार को भिजवाया था। इसके बाद सरकार ने यह मामला गृह विभाग को भेजते हुए कलेक्टरों से राय लेने के लिए कहा था। अब 2 नवंबर नजदीक है और स्कूल खोलने को लेकर कोई निर्णय नहीं होने से प्रदेश के एक लाख से अधिक सरकारी औ निजी स्कूलों के शिक्षक, कर्मचारी, अभिभावक और विद्यार्थी समझ असमंजस में है।
शुक्रवार को जयपुर जिला कलेक्टर ने निजी स्कूल संचालकों से सुझाव लिए। इस दौरान कई निजी स्कूल संचालकों ने कोरोना के चलते स्कूलें बंद रखने की राय दी तो कुछ निजी स्कूल संचालक ऐसे थे जो यह चाहते थे कि स्कूलों का संचालन शुरू हो जाए। ताकि जो बच्चे ऑनलाइन नहीं पढ़ पा रहे हैं, उनकी भी पढ़ाई सुचारू चल सके। साथ ही निजी स्कूलों के शिक्षक- कर्मचारियों को भी राहत मिल सके। स्कूल शिक्षा परिवार को अध्यक्ष अनिल शर्मा ने बताया कि हमने जिला कलेक्टर को नवंबर में स्कूलों को खोलने का सुझाव दिया है।
हमने सरकार को आश्वस्त किया है कि निजी स्कूलों में कोरोना गाइडलाइन का पूरी तरह से पालन किया जाएगा। मास्क अनिवार्य रहेगा और स्कूल में सोशल डिस्टेंसिंग का पूरी तरह से पालन होगा। स्कूल भवन, फर्नीचर, बाल वाहिनी को सेनेटाइज करने को लेकर सरकार के निर्देशों का पूरी तरह से पालन किया जाएगा। अब हमने अपना सुझाव दे दिया है और निर्णय सरकार को करना है।
सरकारी स्कूलों में भी शुल्क से राहत का आदेश जारी करें शिक्षा विभाग
शिक्षा विभाग की ओर से निजी स्कूलों की फीस तय करने को लेकर निकाले गए आदेश के बाद अब सरकारी स्कूलों में लगने वाले अलग अलग शुल्क से भी विद्यार्थियों को राहत देने की मांग उठी है। अखिल राजस्थान विद्यालय शिक्षक संघ (अरस्तु) ने इसको लेकर मुख्यमंत्री और शिक्षामंत्री को मांगपत्र भेजा है। संघ के प्रदेशाध्यक्ष रामकृष्ण अग्रवाल का कहना है कि सरकारी स्कूलों में अधिकांश विद्यार्थी निम्न आय वर्ग के हैं। यहां भी प्रवेश शुल्क, छात्र निधि शुल्क, प्रायोगिक शुल्क और विकास शुल्क के नाम पर राशि ली जाती है।
निजी स्कूलों के लिए निकाले आदेश में प्रायोगिक शुल्क नहीं वसूलने को कहा गया है तो फिर सरकारी के लिए दोहरा रवैया क्यों है। विकास शुल्क तो संस्था प्रधान अपने हिसाब से 100 रुपए से लेकर 500 रुपए तक वसूल लेते हैं। विभाग को चाहिए कि कोरोना के कारण सरकारी स्कूलों में लगने वाले तमाम तरह के शुल्क माफ करने का आदेश जारी करे। ताकि लाखों बच्चों को राहत मिल सके।
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