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शिमला2 घंटे पहले
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गोबर और गौ-मूत्र जैसे जैव उत्पादों के लिए एक ऑनलाइन बाजार स्थापित किया जाना चाहिए, जिससे कि गौशालाएं वित्तीय स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए ये उत्पाद बेच सके। शिमला आधारित एक स्टार्टअप के निदेशक अंशुक अत्री ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह बात कही। उन्होंने कहा कि लोगों की मदद से ही इस क्षेत्र में अधिक सार्वजनिक भागीदारी कर हिमाचल को बेसहारा पशु मुक्त बनाया जा सकता है।
अंशुक अत्री ने नई गौशालाओं के निर्माण के लिए राजगढ़ स्थित डॉ वाईएस परमार गौ-सदन के मॉडल को अपनाने पर भी बल दिया। यह गौशाला 240 बीघा निजी भूमि सरकारी भूमि के साथ बनी है, जहां गौशाला के पशु पूरे दिन आचरण करते हैं। उन्होंने कहा कि नई गौ-शाला किफायती होने के साथ-साथ उसका प्रबंधन भी आधुनिक होना चाहिए।
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