Omkareshwar Jyotirlinga: भारत का अनोखा Jyotirlinga… जहां रात में चौसर खेलते हैं भगवान शिव और मां पार्वती

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Omkareshwar Jyotirlinga का अद्वितीय महत्व और पौराणिक मान्यताएं

भारत में भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक महत्वपूर्ण ज्योतिर्लिंग है Omkareshwar Jyotirlinga। यह मंदिर मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में स्थित है और नर्मदा नदी के किनारे बना हुआ है। ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग का अपना एक अद्वितीय महत्व है, जो इसे अन्य ज्योतिर्लिंगों से अलग करता है। सावन माह के दौरान यहां भक्तों की भारी भीड़ होती है और माना जाता है कि इस दौरान भगवान शिव और मां पार्वती स्वयं मंदिर में उपस्थित रहते हैं।

Omkareshwar Jyotirlinga: भारत का अनोखा Jyotirlinga... जहां रात में चौसर खेलते हैं भगवान शिव और मां पार्वती
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ओंकारेश्वर का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व

Omkareshwar Jyotirlinga का इतिहास और धार्मिक महत्व अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह मंदिर दो रूपों में विभाजित है – ओंकारेश्वर और ममलेश्वर। यह विभाजन इसे अन्य ज्योतिर्लिंगों से अद्वितीय बनाता है। हिंदू धर्म में मान्यता है कि भगवान शिव तीनों लोकों में भ्रमण करने के बाद यहां शयन के लिए आते हैं। इस पवित्र स्थान का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व इसे भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल बनाता है।

अद्वितीय आरती परंपरा और भगवान शिव का चौसर खेल

Omkareshwar Jyotirlinga की सबसे अनोखी परंपरा यहां की संध्या आरती है। यहां तीनों पहर आरती की जाती है और माना जाता है कि इस दौरान भगवान शिव और मां पार्वती मंदिर में उपस्थित रहते हैं। संध्या आरती के बाद मंदिर के पुजारी गर्भगृह में चौसर सजाते हैं और मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। अगले दिन प्रातः आरती के समय जब मंदिर के कपाट खोले जाते हैं, तो चौसर बिखरी हुई मिलती है, जिसे देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि यहां रात में चौसर खेली गई है।

यह परंपरा दैविक काल से चली आ रही है और इसे अत्यंत श्रद्धा और आस्था के साथ निभाया जाता है। भक्तों का मानना है कि भगवान शिव और मां पार्वती रात में चौसर खेलते हैं और उनके इस खेल से वातावरण पवित्र और सकारात्मक ऊर्जा से भर जाता है।

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Omkareshwar Jyotirlinga की यात्रा: कैसे पहुंचें

ओंकारेश्वर मंदिर की यात्रा करना अत्यंत सरल है। यह मंदिर इंदौर से लगभग 78 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां हवाई, रेल और सड़क मार्ग से आसानी से पहुंचा जा सकता है।

हवाई मार्ग: इंदौर एयरपोर्ट से ओंकारेश्वर की दूरी 78 किलोमीटर है। आप इंदौर एयरपोर्ट पहुंचकर वहां से सड़क मार्ग के जरिए ओंकारेश्वर आ सकते हैं।

रेल मार्ग: खंडवा रेलवे स्टेशन ओंकारेश्वर के नजदीक है। देश के विभिन्न शहरों से खंडवा के लिए ट्रेनें चलती हैं। खंडवा से ओंकारेश्वर पहुंचने के लिए आप टैक्सी या बस का उपयोग कर सकते हैं।

सड़क मार्ग: इंदौर और खंडवा से ओंकारेश्वर के लिए नियमित बस सेवाएं उपलब्ध हैं। इसके अलावा, आप निजी वाहन का भी उपयोग कर सकते हैं।

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Omkareshwar Jyotirlinga के दर्शन: एक दिव्य अनुभव

Omkareshwar Jyotirlinga के दर्शन एक अद्वितीय और दिव्य अनुभव है। यहां की पवित्रता, धार्मिक महत्व और प्राकृतिक सौंदर्य भक्तों को एक अलौकिक अनुभव कराते हैं। नर्मदा नदी के किनारे स्थित यह मंदिर अपने आप में एक अद्वितीय धार्मिक स्थल है। यहां आने वाले भक्तों को एक अद्भुत शांति और सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव होता है।

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सावन माह और ओंकारेश्वर का महत्व

सावन माह भगवान शिव की आराधना का विशेष समय होता है। इस महीने में भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग का महत्व सावन माह में और भी बढ़ जाता है। यहां आने वाले भक्तों का मानना है कि इस पवित्र स्थल के दर्शन से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

पौराणिक कथाएं और ओंकारेश्वर का महत्व

Omkareshwar Jyotirlinga से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं हैं। कहा जाता है कि भगवान शिव यहां अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करने के लिए आते हैं। एक पौराणिक कथा के अनुसार, जब देवताओं और असुरों के बीच समुद्र मंथन हो रहा था, तब भगवान शिव ने यहां अपने त्रिशूल से नर्मदा नदी की धारा को विभाजित किया था।

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Omkareshwar Jyotirlinga के आसपास के अन्य दर्शनीय स्थल

ओंकारेश्वर के आसपास कई अन्य धार्मिक और दर्शनीय स्थल हैं जो आपकी यात्रा को और भी स्मरणीय बना सकते हैं।

ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग: ओंकारेश्वर के निकट स्थित ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह भी भगवान शिव का एक रूप है और यहां भी भक्तों की भारी भीड़ होती है।

नर्मदा नदी: नर्मदा नदी का पवित्र जल और उसके किनारे स्थित मंदिर आपकी यात्रा को और भी पवित्र बना देते हैं। नर्मदा नदी में स्नान करना धार्मिक दृष्टि से अत्यंत शुभ माना जाता है।

Omkareshwar Jyotirlinga भारत का एक अद्वितीय धार्मिक स्थल है। यहां भगवान शिव और मां पार्वती की उपस्थिति और उनके चौसर खेलने की पौराणिक मान्यता इस मंदिर को और भी विशिष्ट बनाती है। सावन के महीने में यहां आने वाले भक्तों को एक अद्वितीय और दिव्य अनुभव प्राप्त होता है। ओंकारेश्वर की यात्रा न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह आपके मन और आत्मा को भी शांति और सकारात्मक ऊर्जा से भर देती है।

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