NSE का बड़ा कदम: खुदरा निवेशकों की सुरक्षा के लिए वीकली डेरिवेटिव्स का बंद होना

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भारतीय शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव और विशेष रूप से फ्यूचर्स और ऑप्शन (F&O) ट्रेडिंग में निवेशकों के नुकसान की लगातार बढ़ती संख्या ने नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) को एक महत्वपूर्ण कदम उठाने के लिए प्रेरित किया है। हाल ही में, NSE ने घोषणा की है कि वह बैंक निफ्टी, निफ्टी मिडकैप सेलेक्ट, और निफ्टी फाइनेंशियल सर्विसेज के लिए वीकली इंडेक्स डेरिवेटिव्स कॉन्ट्रैक्ट्स को बंद करेगा। इस निर्णय का उद्देश्य खुदरा निवेशकों की सुरक्षा को बढ़ावा देना और बाजार की स्थिरता सुनिश्चित करना है।

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क्या है वीकली डेरिवेटिव्स?

डेरिवेटिव्स वित्तीय अनुबंध हैं जिनकी कीमत संपत्तियों की भविष्य की कीमत पर निर्भर करती है। वीकली डेरिवेटिव्स कॉन्ट्रैक्ट्स केवल एक सप्ताह की अवधि के लिए होते हैं, और इनकी एक्सपायरी हर हफ्ते होती है। इन्हें निवेशक संभावित लाभ के लिए उपयोग करते हैं, लेकिन साथ ही इनमें जोखिम भी बहुत अधिक होता है।

NSE ने 10 अक्टूबर को जारी सर्कुलर में स्पष्ट किया है कि 13, 18, और 19 नवंबर से बैंक निफ्टी, निफ्टी मिडकैप सेलेक्ट और निफ्टी फाइनेंशियल सर्विसेज के वीकली डेरिवेटिव्स कॉन्ट्रैक्ट्स बंद कर दिए जाएंगे। अब से केवल निफ्टी की वीकली एक्सपायरी ही होगी, जिससे खुदरा निवेशकों को होने वाले नुकसान को कम करने की कोशिश की जा रही है।

सेबी की चिंताएँ

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने हाल ही में एक सर्कुलर जारी किया था, जिसमें फ्यूचर्स और ऑप्शन ट्रेडिंग के लिए नए नियम लागू किए गए हैं। SEBI की रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2021-22 से लेकर वित्त वर्ष 2023-24 तक, 1.13 करोड़ यूनिक इंडीविजुअल ट्रेडर्स ने फ्यूचर एंड ऑप्शन में ट्रेडिंग करने पर 1.81 लाख करोड़ रुपये की अपनी गाढ़ी कमाई को गंवा दिया है। इससे SEBI में चिंता उत्पन्न हुई है, क्योंकि 91.1 प्रतिशत ट्रेडर्स ने फ्यूचर और ऑप्शन ट्रेडिंग में नुकसान का सामना किया है।

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बड़े नुकसान का आंकड़ा

फायदा कमाने के सपने में, खुदरा निवेशकों ने भारी नुकसान झेला है। वित्त वर्ष 2023-24 में, अकेले 75,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। SEBI की रिपोर्ट के अनुसार, हर ट्रेडर को औसतन 1.20 लाख रुपये का नुकसान हुआ है, जो निवेशकों के लिए चिंता का विषय है।

नए नियमों की शुरुआत

20 नवंबर से, सभी एक्सचेंजों को प्रति एक्सचेंज एक ही इंडेक्स तक वीकली ऑप्शन एक्सपायरी को सीमित करना होगा। इसके साथ ही, एक्सचेंजों को दिन में कम से कम चार बार इंट्राडे पोजीशन की निगरानी करनी होगी। अगर इंट्राडे लिमिट्स का उल्लंघन होता है, तो उस पर जुर्माना लगाया जाएगा।

निवेशकों की सुरक्षा के लिए उपाय

SEBI के नए नियमों का उद्देश्य निवेशकों की सुरक्षा को बढ़ाना और बाजार की स्थिरता को सुनिश्चित करना है। इसका एक हिस्सा वीकली एक्सपायरी को सीमित करना है, जिससे वीकली ऑप्शन की अत्यधिक अटकलों पर अंकुश लगाया जा सके। इससे ट्रेडिंग के दौरान होने वाले अत्यधिक उतार-चढ़ाव को कम करने में मदद मिलेगी।

इसके अलावा, भारतीय स्टॉक एक्सचेंज (BSE) ने भी 3 अक्टूबर को घोषणा की थी कि वह 14 नवंबर से सेंसेक्स 50 के वीकली डेरिवेटिव्स कॉन्ट्रैक्ट्स बंद कर देगा। इस प्रकार, सभी एक्सचेंजों में एक समान दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं।

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क्या है इसका प्रभाव?

इस निर्णय का असर खुदरा निवेशकों पर व्यापक रूप से पड़ेगा। जो लोग वीकली डेरिवेटिव्स में ट्रेडिंग कर रहे थे, उनके लिए यह निर्णय एक चुनौती हो सकता है। लेकिन लंबे समय में, यह कदम उनकी सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है। खुदरा निवेशकों को अपनी ट्रेडिंग रणनीतियों को फिर से विचार करने की आवश्यकता होगी, खासकर अब जब वीकली एक्सपायरी का विकल्प कम हो गया है।

एनएसई द्वारा उठाए गए इस कदम का उद्देश्य निवेशकों की सुरक्षा को बढ़ाना और बाजार की स्थिरता को सुनिश्चित करना है। यह कदम निश्चित रूप से उन निवेशकों के लिए एक नई दिशा का संकेत है, जो फ्यूचर्स और ऑप्शन ट्रेडिंग में शामिल होने का विचार कर रहे थे। भविष्य में, निवेशकों को अपनी रणनीतियों में बदलाव करना पड़ सकता है, लेकिन यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि वे सुरक्षित और स्थिर निवेश निर्णय लें। ऐसे परिवर्तनों के साथ, खुदरा निवेशकों को जागरूक रहना और बाजार के परिवर्तनों के अनुसार अपनी योजनाओं को अपडेट करना चाहिए।

NSE का यह कदम न केवल खुदरा निवेशकों की सुरक्षा को सुनिश्चित करेगा, बल्कि भारतीय शेयर बाजार की स्थिरता को भी बढ़ाएगा, जिससे अंततः सभी निवेशकों को लाभ होगा।

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