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लुधियानाएक दिन पहले
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- भास्कर ने उठाया था मुद्दा तो इंदौर गई थी टीम, जानी विधि
शहर के ताजपुर रोड स्थित डंप की 50 एकड़ जमीन पर सालों पुराने 15-20 लाख मीट्रिक टन कूड़े की प्रोसेसिंग अब 100 करोड़ की जगह महज 30 करोड़ में होगी। लुधियाना निगम के अधिकारियों ने इंदौर नगर निगम से सीख लेकर उसी के तहत तैयारियां शुरू कर ली हैं।
पहले इस कूड़े की प्रोसेसिंग पर 100 करोड़ का बजट तैयार किया गया था लेकिन अब दोबारा से तैयार की गई डीपीआर(डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) को लुधियाना स्मार्ट सिटी लिमिटेड के तहत सिटी लेवल टेक्नीकल कमेटी ने मंजूरी दे दी है।
अब स्टेट लेवल की टेक्नीकल कमेटी की मंजूरी मिलते ही टेंडर लगाने की प्रक्रिया शुरू होगी। डीपीआर के संबंध में पुष्टि मेयर बलकार सिंह संधू ने की है।
बता दें कि दैनिक भास्कर ने 16 सितंबर के अंक में एक्सपर्ट के हवाले से ये मुद्दा प्रमुखता से उठाया था कि इंदौर की नगर निगम ने 15 लाख मीट्रिक टन कूड़े को महज 12 करोड़ में खत्म किया है, अगर लुधियाना नगर निगम भी इंदौर से सीख लेगा तो 100 करोड़ की जगह महज 25-30 करोड़ में डंप साइट का निपटारा किया जा सकता है। ऐसे में निगम अब इंदौर से सीख लेकर 70 करोड़ की बचत करेगा।
प्रोसेसिंग के बाद निकले मलबे का बंदोबस्त करेगा काॅन्ट्रेक्टर
इंदौर से सीख लेकर लौटी निगम टीम ने शहर में भी उसी तर्ज पर काम करने की प्रजंेटेशन मेयर बलकार सिंह संधू और निगम कमिश्नर प्रदीप कुमार सभ्रवाल को सौंपी थी। जिसके बाद मेयर ने इस पर संज्ञान लेते हुए स्मार्ट सिटी के तहत डीपीआर तैयार करवाते हुए इसकी मंजूरी दिलाई है।
मेयर संधू ने बताया कि प्रोसेसिंग के लिए मशीनरी खरीदी जाएगी, जबकि इसको चलाने के लिए काॅन्ट्रेक्ट बेस पर काम दिया जाएगा। जिस कंपनी को प्रोसेसिंग का काम सौंपा जाएगा, उसकी तरफ से प्रोसेसिंग के बाद निकलने वाली मिट्टी, पत्थर, कांच, प्लास्टिक को अलग करने के बाद उसका बंदोबस्त भी करने की जिम्मेदारी कांट्रेक्टर के पास होगी।
डंप साइट पर लगेगा कोई प्रोजेक्ट
बता दें कि इंदौर सिटी ने सालों पुराने डंप साइट पर कूड़े की प्रोसेसिंग करते हुए वहां पर साइंटिफिक तरीके से काम करवाते हुए डंप साइट को पब्लिक के लिए टूरिस्ट प्लेस के तौर पर बना दिया है।
जहां पर पेड़-पौधे, गार्डन, जंगल, पिकनिक स्पाॅट आदि के तौर पर प्रयोग हो रही है। नगर निगम लुधियाना में भी कूड़े की प्रोसेसिंग वहां की तरह ही होगी, लेकिन निगम इस जगह को टूरिस्ट जगह के तौर पर नहीं बनाएगा। मेयर संधू ने बताया कि कूड़े की प्रोसेसिंग होने के उपरांत डंप को यहां से पूरी तरह से समाप्त किया जाएगा, जबकि खाली जमीन को किसी अन्य प्रोजेक्ट के लिए इस्तेमाल में लाई जाएगी।
इधर,मलबे की प्रोसेसिंग के लिए लगा टेंडर, ढंडारी में बनेगा सीएंडडी प्लांट
भास्कर की तरफ से ये मुद्दा भी गंभीरता से लगातार उठाया गया था कि नगर निगम की ओर से पिछले चार साल से मलबे की प्रोसेसिंग के लिए सीएंडडी प्लांट लगाने के लिए जगह फाइनल नहीं की गई है।
सिर्फ कागजों में प्लांट की लागत 6 करोड़ से बढ़कर 20 करोड़ तक पहुंच गई थी। ऐसे में भास्कर के उठाए मुद्दे के बाद ही इंदौर में ही सीएंडडी प्लांट को देखा गया और उसी तर्ज पर यहां पर स्मार्ट सिटी के तहत अब करीब 9 करोड़ में ढंडारी में निगम की जमीन पर कंस्ट्रक्शन एंड डिमॉलिश वेस्ट मैनेजमेंट एक्ट-2016 के तहत सीएंडडी प्लांट लगाने के लिए टेंडर लगाया जा चुका है।
अब आगे क्या: सीएंडडी प्लांट का टेंडर लगाया जा चुका है। 11 नवंबर तक टेंडर ओपन होगा, सफल आवेदन को वर्क ऑर्डर जारी होने के बाद 12 महीने में प्लांट को बनाकर देना है।
प्लांट के बनने पर बिल्डिंगों को बनाने या रिपेयरिंग से निकलने वाले मलबे को रिसाइकल करते हुए मलबे से टाइल्स, रोड जालियां, रोड कर्व, रेडी मिक्स कंक्रीट, रेत-बजरी को अलग कर काम में लाया जा सकेगा। प्लांट की क्षमता रोजाना लगभग 100 मीट्रिक टन कचरे से बजरी, रेत और लोहे के सरिए को अलग किया जाएगा।
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