[ad_1]
- हिंदी समाचार
- राष्ट्रीय
- नरेंद्र मोदी JNU अपडेट | JNU में स्वामी विवेकानंद के अनावरण पर पीएम नरेंद्र मोदी आज ताजा खबर अपडेट
Ads से है परेशान? बिना Ads खबरों के लिए इनस्टॉल करें दैनिक भास्कर ऐप
नई दिल्ली2 मिनट पहले
- कॉपी लिंक
पीएम मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए JNU कैंपस में बनाई गई स्वामी विवेकानंद की मूर्ति का अनावरण किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली में जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) में स्वामी विवेकानंद की मूर्ति का अनावरण किया। मोदी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कार्यक्रम में शामिल हुए। मूर्ति बनाने का काम 2017 में शुरू हुआ था। 2018 में बनकर तैयार होने के बाद पिछले 2 साल से मूर्ति को ढंककर रखा गया था। इस दौरान कई बार मूर्ति को नुकसान पहुंचाने की कोशिश भी की गई।
मूर्ति का अनावरण करते हुए मोदी ने कहा- स्वामी विवेकानंद की मूर्ति सपनों को साकार करने की प्रेरणा देती है। इससे सशक्त भारत का सपना साकार करने की प्रेरणा भी मिलती है। स्वामी विवेकानंद जानते थे कि भारत दुनिया को क्या दे सकता है। एक सदी पहले स्वामी विवेकानंद ने मिशीगन यूनिवर्सिटी में इसकी घोषणा भी की थी। स्वामी जी ने अपनी पहचान भूल रहे भारत में नई चेतना का संचार किया था।
मोदी बोले- स्वामी विवेकानंद अमर रहें
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “सभी नौजवानों से एक नारा बोलने के लिए कह रहा हूं। स्वामी विवेकानंद अमर रहें। इसके बाद उन्होंने अपने भाषण की शुरुआत की..
- स्वामी विवेकानंद कहते थे कि मूर्ति में आस्था का रहस्य ये है कि आप उस एक चीज से विजन ऑफ इम्युनिटी देखते हैं। मेरी कामना है कि JNU में ये प्रतिमा साहस और वो करेज है, जिसे विवेकानंद जी हर युवा में देखना चाहते थे।
- ये प्रतिमा हमें राष्ट्र के पति अगाध श्रद्धा, प्रेम सिखाए। ये स्वामीजी के जीवन का सर्वोच्च संदेश है। ये प्रतिमा देश को विजन ऑफ वननेस के लिए प्रेरित करे, जो स्वामीजी के चिंतन की प्रेरणा रहा है। ये प्रतिमा देश को यूथ डेवलपमेंट के साथ आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करे।
- साथियो! ये सिर्फ एक प्रतिमा नहीं है, बल्कि उस विचार की ऊंचाई का प्रतीक है, जिसके बल पर एक संन्यासी ने पूरी दुनिया को भारत का परिचय दिया था। उनके पास वेदांत का ज्ञान था। एक विजन था। वो जानते थे कि भारत दुनिया को क्या दे सकता है।
- वो भारत के विश्व बंधुत्व के संदेश को लेकर दुनिया में गए थे। भारत के सांस्कृतिक वैभव, विचारों और परंपराओं को उन्होंने गौरवपूर्ण तरीके से दुनिया के सामने रखा।
- जब चारों तरफ निराशा, हताशा थी, हम गुलामी के बोझ में दबे थे, तब स्वामीजी ने अमेरिका की मिशिगन यूनिवर्सिटी में कहा था कि यह शताब्दी आपकी है, लेकिन 21वीं शताब्दी निश्चित ही भारत की होगी।
- उनके शब्दों को सही करना हम सबका दायित्व है। भारतीयों के इसी आत्मविश्वास और उसी जज्बे को ये प्रतिमा समेटे हुए है।
- ये प्रतिमा उस ज्योतिपुंज का दर्शन है, जिसने गुलामी के लंबे कालखंड में खुद को अपने सामर्थ्य को, अपनी पहचान को भूल रहे भारत को जगाने का काम किया था। भारत में नई चेतना का संचार किया था।
- साथियो! आज देश आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य और संकल्प के साथ आगे बढ़ रहा है। आज आत्मनिर्भर भारत का विचार 130 करोड़ से ज्यादा भारतीयों की कलेक्टिव कॉन्शियसनेस, आकांक्षाओं का हिस्सा बन चुका है।
- जब हम आत्मनिर्भर भारत की बात करते हैं, तो लक्ष्य फिजिकल या मैटीरियल रिलायंस तक सीमित नहीं है। इसका अर्थ व्यापक है, दायरा व्यापक है। इसमें गहराई और ऊंचाई भी है।
- विदेश में एक बार किसी ने स्वामीजी से पूछा था कि आप ऐसा पहनावा क्यों नहीं पहनते, जिससे आप जेंटलमैन लगें? इस पर स्वामीजी ने जो जवाब दिया, वो भारत के आत्मविश्वास और भारत के मूल्यों से जुड़ा था। उन्होंने कहा कि आपके कल्चर में एक टेलर जेंटलमैन बनाता है, हमारे कल्चर में कैरेक्टर तय करता है कि कौन जेंटलमैन है।
- क्या ये सच नहीं है कि आप भारत में गुड रिफॉर्म को बैड पॉलिटिक्स नहीं माना जाता था। गुड रिफॉर्म्स गुड पॉलिटिक्स कैसे हो गए। इसको लेकर जेएनयू के साथी जरूर रिसर्च करें।
- मैं अनुभव के आधार पर एक पहलू जरूर रखूंगा। आज सिस्टम में जितने रिफॉर्म्स किए जा रहे हैं, उनके पीछे भारत को हर प्रकार से बेहतर बनाने का संकल्प है। आज हो रहे रिफॉर्म्स के साथ नीयत और निष्ठा पवित्र है। आज जो रिफॉर्म्स किए जा रहे हैं, उससे पहले एक सुरक्षा कवच तैयार किया जा रहा है। इसका सबसे बड़ा आधार विश्वास है।
- बीते 5-6 सालों में हमने किसानों के लिए एक सुरक्षा तंत्र विकसित किया। सिंचाई का बेहत इन्फ्रास्ट्रक्चर, मंडियों के आधुनिकीकरण पर निवेश, यूरिया, सॉयल हेल्थ कार्ड, बेहतर बीज, फसल बीमा, लागत का डेढ़ गुना एमएसपी, ऑनलाइन मार्केट, पीएम सम्मान निधि से मदद।
- बीते सालों में एमएसपी को भी अनेक बार बढ़ाया गया और किसानों से रिकॉर्ड खरीद भी की गई है। अब किसानों को पारंपरिक साधनों से ज्यादा विकल्प बाजार में मिल रहे हैं। जब विकल्प ज्यादा होते हैं तो खरीदारों में कॉम्पिटीशन बढ़ा है और इसका फायदा किसानों को मिलने वाला है।
विवेकानंद ने सभ्यता-संस्कृति पर गर्व का भाव जगाया
JNU के वाइस चांसलर ने अपने बयान में कहा- स्वामी विवेकानंद भारत के सबसे बड़े आध्यात्मिक लीडर्स में शुमार हैं। उन्होंने देश की आजादी, विकास, सहयोग और शांति के लिए काम किया। उन्होंने देश के युवाओं में भारतीय सभ्यता और संस्कृति पर गर्व करने का भाव जगाया। JNU में स्वामी विवेकानंद की मूर्ति लगाने का काम यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्रों की पहल पर किया गया है।
[ad_2]
Source link