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एक महीने पहले
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- एक राज्य में अकाल पड़ा तो राजा भूखे लोगों को दे रहे थे रोटियां, सभी लोग बड़ी-बड़ी रोटियों के लिए झगड़ रहे थे, एक छोटी बच्ची भी रोटी लेने के लिए खड़ी थी, उसे सबसे छोटी मिली, वह इसमें भी खुश हो गई
जो लोग ईमानदार हैं, उन्हें देर ही सही, लेकिन सफलता जरूरत मिलती है। इसीलिए इस गुण को छोड़ना नहीं चाहिए, बेईमानी से कुछ पलों का लाभ मिल सकता है, लेकिन भविष्य में इसकी वजह से परेशानियां जरूर होती हैं। ईमानदारी का महत्व बताने वाली एक लोक कथा प्रचलित है।
प्रचलित लोक कथा के अनुसार पुराने समय में एक राज्य में अकाल पड़ गया। राज्य के लोगों का खाना खत्म हो गया। लोग भूखे मर रहे थे। तब वहां के राजा ने प्रजा को रोटियां देना शुरू कर दिया। जब ये बात पूरे राज्य में फैल गई तो राजा के महल में लोगों की भीड़ लगने लगी। सभी लोग बड़ी-बड़ी रोटियां पाने के लिए झगड़ते थे।
एक दिन रोटी लेने के लिए एक छोटी लड़की भी महल पहुंची। जब सारे लोग रोटियां लेकर चले गए तब राजा के पास एक ही सबसे छोटी रोटी बची थी। राजा ने वह रोटी उस बच्ची को दे दी। इसके बाद कुछ दिनों तक ऐसा ही हुआ, राजा उस बच्ची के लिए एक रोटी बचाकर रखते थे। एक दिन ने बच्ची को रोटी दी तो वह दौड़कर अपने घर पहुंची।
घर पहुंचकर उसकी मां ने रोटी देखी तो उसमें एक मूल्यवान रत्न था। महिला ने अपनी बच्ची से कहा कि बेटी ये रत्न राजा को लौटाकर आ जाओ। शायद ये गलती से रोटी में लगकर हमारे पास आ गया है।
छोटी बच्ची तुरंत ही राजमहल पहुंच गई। सैनिकों ने राजा बताया कि एक छोटी बच्ची आपने मिलना चाहती है। राजा उस बच्ची के पास पहुंचे। बच्ची ने राजा से कहा कि आपने जो रोटी मुझे दी थी, उसमें ये रत्न भी आ गया था। मैं आपको ये रत्न लौटाने आई हूं।
राजा बच्ची की ईमानदारी से बहुत खुश हुआ और उसे अपने महल में ही रहने के लिए जगह दे दी। उस बच्ची और उसकी मां के लिए खाने-पीने का इंतजाम कर दिया। बच्ची की पढ़ाई की भी व्यवस्था राजा ने कर दी। बड़ी होकर वही लड़की राजा की उत्तराधिकारी भी बनी।
कथा की सीख
इस छोटी सी कथा की सीख यही है कि जब जीवन में मुश्किल समय आता है तब भी ईमानदारी नहीं छोड़नी चाहिए। देर से ही सही, लेकिन ईमानदारी का अच्छा फल जरूर मिलता है।
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