दिग्गज अभिनेता और भाजपा नेता मिथुन चक्रवर्ती (Mithun Chakraborty) को कथित तौर पर इस्केमिक सेरेब्रोवास्कुलर दुर्घटना के लक्षण दिखने के बाद शनिवार सुबह कोलकाता के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जिसका सरल शब्दों में अर्थ है, धमनी का अवरुद्ध होना या बंद होना.
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थ्रोम्बस या रक्त के थक्के के कारण मस्तिष्क तक पहुंचने वाले अभिनेता को सोमवार दोपहर अस्पताल से छुट्टी दे दी गई. अस्पताल से बाहर आने के बाद सुपरस्टार ने कहा कि ज्यादा खाने की आदत को छोड़कर उन्हें कोई और परेशानी नहीं है.
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उन्होंने कहा, ‘मैं राक्षस की तरह खाता हूं, इसलिए मुझे सजा मिली. सभी के लिए मेरी सलाह है कि अपने आहार पर नियंत्रण रखें. जो लोग मधुमेह के रोगी हैं, उन्हें यह ग़लतफहमी नहीं रखनी चाहिए कि मीठा खाने से कोई फ़र्क नहीं पड़ेगा. अपने आहार पर नियंत्रण रखें.’
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अभिनेता ने यह भी स्पष्ट किया कि उनका अस्पताल में भर्ती होना उन्हें आगामी लोकसभा चुनाव के लिए पश्चिम बंगाल में भाजपा के लिए प्रचार करने से नहीं रोकेगा.
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उन्होंने कहा, ‘पश्चिम बंगाल में 42 लोकसभा क्षेत्रों की देखभाल कौन करेगा? मैं करूंगा. मैं भाजपा के साथ सक्रिय रूप से जुड़ा रहूंगा. अगर कहा गया तो मैं चुनाव प्रचार के लिए दूसरे राज्यों में भी जाऊंगा. मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बहुत सम्मान करता हूं. भाजपा के लिए अपने चरम पर पहुंचने का समय आ गया है.’
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एक सफल बहुभाषी फिल्म स्टार होने के अलावा मिथुन चक्रवर्ती का एक रंगीन राजनीतिक करियर रहा है. कोलकाता में अपने कॉलेज के दिनों के दौरान वह नक्सली आंदोलन की ओर आकर्षित हो गए थे. अपने करियर के उत्तरार्ध में वह सीपीआई-एम के नेतृत्व, खासकर पश्चिम बंगाल के पूर्व मंत्री दिवंगत सुभाष चक्रवर्ती के करीबी बन गए थे.
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हालांकि, बाद में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के आग्रह पर वह तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य बने थे. पश्चिम बंगाल में करोड़ों रुपये के चिटफंड घोटालों, खासकर सारदा समूह और रोज वैली घोटालों में प्रमुख तृणमूल नेताओं का नाम घसीटे जाने के बाद उन्होंने राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी से दूरी बनानी शुरू कर दी. 2021 के विधानसभा चुनाव से पहले, चक्रवर्ती प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में कोलकाता में एक मेगा रैली में भाजपा में शामिल हुए थे.