महिला काव्य मंच हिसार इकाई ने आयोजित की डिजिटल काव्य गोष्ठी

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महिला काव्य मंच हिसार इकाई ने आयोजित की डिजिटल काव्य गोष्ठी

20 नवम्बर 2020 , हिसार।

महिला काव्य मंच (रजिस्टर्ड) हिसार इकाई हरियाणा ने डिजिटल काव्य गोष्ठी का आयोजन किया। जिसकी अध्यक्षता महिला काव्य मंच की राज्य सचिव ऋतु कौशिक जी ने की।
इस मौके पर कवयित्री पूनम मनचंदा ने मंच संचालन किया। गोष्ठी की शुरुआत पूनम मनचंदा से ही सरस्वती वंदना से की गयी ।
इस गोष्ठी में अलग अलग रंग से सजी
प्रेम , जीवन और सामाजिक विषयों पर खूबसूरत अन्दाज़ में कविता , ग़ज़ल, दोहे ,गीत आदि विधाओं में मन के भावों को प्रस्तुत किया गया।

कवयित्री सुमन कामरा ने “सुनो तुम जैसे हो वैसे ही अच्छे हो,दिल के बच्चे,मन के सच्चे पर तुम ऐसे ही अच्छे हो”कविता सुनाई।

महिला काव्य मंच, जींद की उपाध्यक्ष श्रीमती सरोज कौशिक जी ने “डूबते सूरज की लाली गर होती तेरे गालों की लाली” कविता के साथ अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई और खूब वाह वाही ली।

मशहूर शायरा व राज्य सचिव ऋतु कौशिक जी ने अपनी ग़ज़ल- “हर खुशी में भी बुझी रहती हूँ मैं,खुद में खुद को क्खोजती रहती हूँ मैं।” सुनाकर समां बांध दिया।

महिला काव्य मंच हिसार इकाई की अध्यक्ष रिम्पी लीखा जी ने कविता “मेरे दिल के चार हिस्से,छिपे हैं इसमें ढेरों किस्से” से हर औरत के मन का दर्पण दिखाया।

मंच की हिसार इकाई की उपाध्यक्ष डिम्पल सैनी ने ” उन चिठ्ठियों को कहानी बनने से पहले सही पते पर पहुँचाने की ख़ातिर….
वो ईश्वर डाकिया भी बन जाता है !
” भावों से ओतप्रोत कविता प्रस्तुत कर सबका मन मोह लिया।

कवयित्री मनीषा गम्भीर जी ने -“बहुत जिये मिट्टी के दीये लड़े ख़ूब आँधियों से तूफानों को टक्कर दिए।” अपनी रचना सुनाकर सबका दिल जीत लिया ।

कोकिल कंठी कवयित्री पूनम मनचंदा जी ने – “तुम्हारे बिन कहा जाऊ, गुरुवर ये बता दो तुम, जिए कैसे जमाने में, मुझे ये ही सीखा दो तुम” ग़ज़ल सुनाकर समां बांध दिया।

कवयित्री पूनम मेहता जी ने -“मेरे शहर को आजकल ये क्या हो गया है
हर शख्स यहाँ गुम है गुमनाम हो गया है”ग़ज़ल सुनाकर सबका मन मोह लिया।

कवयित्री पुष्पा मोर जी ने “जीवन की आपाधापी में रिश्तों का मूल्य खत्म हो रहा है” अपनी कविता प्रस्तुत कर वाहवाही लूटी।

कवयित्री सुनीता मेहतानी जी ने – ” कुछ भी अच्छा नहीं इक कशमकश है।”कविता प्रस्तुत की।

कवयित्री सीमा शर्मा जी ने
“शराफत का तेरी मान रखने को हर सितम हम सह गए”कविता के ज़रिए अपने उद्गार प्रकट किए।

कवयित्री डिंपल चहल जी ने “पहली बार एक रंगीन दुपट्टा बड़े चाव से गले मे डाला एक दोस्त की बहन की शादी में।” कविता के साथ गोष्ठी में अपनी भभूती डाल इसे सफल बनाया।

अंत में राज्य सचिव श्रीमती ऋतु कौशिक ने सभी को सफल गोष्ठी की बधाई व शुभकामनाएं दीं व हिसार इकाई की अध्यक्ष श्रीमती रिम्पी लीखा ने धन्यवाद ज्ञापन के साथ गोष्ठी का समापन किया।

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