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लुधियाना17 घंटे पहले
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- फर्जी दस्तावेज बना गाड़ी बेचने वाले गिरोह के 3 सदस्य पुणे से प्रोडक्शन वॉरंट पर लाए गए
- लुधियाना, पंचकूला, दिल्ली में गाड़ियां खुलवाकर पार्ट्स करते थे सप्लाई
पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और पुणे में लग्जरी गाड़ियां चोरी कर उनके पार्ट्स अलग कर और फर्जी दस्तावेज बनाकर बेचने वाले गिरोह के तीन सदस्यों को लुधियाना पुलिस ने प्रोडक्शन वाॅरंट पर लिया है। आरोपियों की पहचान न्यू दिल्ली निवासी दीपक खन्ना उर्फ तुषार, पटियाला निवासी हरप्रीत सिंह उर्फ स्मार्टी और पुणे निवासी मंजीत सिंह उर्फ बब्बा के रूप में हुई है। पूछताछ के दौरान उनके कब्जे से दो इनोवा, एक फाॅर्च्यूनर और एक बीट कार बरामद की है। फिलहाल उनसे पूछताछ की जा रही है। डीसीपी क्राइम सिमरतपाल सिंह ढींडसा ने बताया कि पुणे पुलिस ने उक्त आरोपियों को गिरफ्तार किया था, जोकि पंजाब और दूसरे राज्यों से गाड़ियां चोरी करते थे। लुधियाना पुलिस ने उक्त आरोपियों को पुणे से प्रोडक्शन वाॅरंट पर लिया था। जिन्होंने पूछताछ में चार गाड़ियां बरामद करवा कर दी। इनमें से तीन गाड़ियां डिवीजन 5, सराभा नगर और पीएयू के इलाके से चोरी की थी। जबकि चौथी गाड़ी फाॅर्च्यूनर चंडीगढ़ से चोरी कर लाए थे।
मैकेनिक का काम सीखने के बाद चुराने लगे गाड़ियां
आरोपियों ने पुलिस पड़ताल में बताया कि उन्होंने पहले मैकेनिक का काम सीखा था। जिसमें बड़ी गाड़ियों के लाॅक को कैसे बिना चाबी के अनलाॅक करें, उसकी इलेक्ट्राॅनिक डिवाइस को मार्केट में सर्च किया। जिसके बाद उक्त डिवाइस की मदद से गाड़ियां चुराना शुरू किया। उनका लिंक पुणे में पिछले दिनों 3.58 करोड़ की गाड़ियों के साथ पकड़े गिरोह के साथ है। आरोपी गाड़ियां चुराने के बाद उस पर फर्जी नंबर लगाते और उन्हें चलाकर दिल्ली और पुणे में ले जाकर उनके पार्ट्स अलग कर देते थे। जिसके बाद उन्हें मार्केट में बेचते थे। अभी तक 50 से ज्यादा वारदातें आरोपियों ने कबूली है।
फॉलो करने से पुलिस को मिली कामयाबी: आरोपियों के ही गिरोह के कुछ लोग सेंट्रल जेल में बंद थे। पुणे पुलिस द्वारा पकड़े आरोपियों ने बताया था कि उनके कुछ साथी लुधियाना में बंद हैं। इसके बाद बीते दिनों पुणे पुलिस लुधियाना आई और जेल से चोरों को प्रोडक्शन वाॅरंट पर लेकर पूछताछ की। इसके बाद लुधियाना पुलिस ने उसे फाॅलो किया और पुणे में पकड़े आरोपियों से रिकवरी की।
ऐसे करते थे धंधा एक्सीडेंटल गाड़ियों के बनाते थे दस्तावेज
पड़ताल के दौरान आरोपियों ने बताया कि वो वो गाड़ियां देखते थे, जोकि एक्सीडेंटल होती थी। फिर उक्त गाड़ी का नंबर चोरी की गाड़ी पर लगाकर आरोपी दिल्ली में ही बैठे अपने गिरोह के मेंबरों से फर्जी दस्तावेज तैयार करवाते थे। जिसके बाद उक्त गाड़ियों को आगे बेच देते थे।
तीनों पर दर्ज हैं कई मामले : पुलिस ने जब इनका आपराधिक रिकाॅर्ड चेक किया तो पता चला कि दीपक के खिलाफ 34, हरप्रीत सिंह पर 10 और मंजीत सिंह पर 15 पर्चे दर्ज हैं। ये मामले पूरे इंडिया में दर्ज किए गए हैं। फिलहाल पुलिस बाकी का रिकाॅर्ड भी चेक कर रही है।
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