life management tips by pandit vijay shankar mehta on deepawali 2020, diwali 2020, Kartik month dates, significance of five days of Deepawali, diwali significance | जीवन के तीन खास पहलुओं को पूरी तरह से जीने का महीना है कार्तिक, दीपावली के पांच दिन पांच भावनाओं के प्रतीक हैं

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5 दिन पहलेलेखक: पं. विजयशंकर मेहता

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  • खानपान, धर्म-कर्म और पहनावा, ये तीन बातें कार्तिक महीने को श्रेष्ठ बनाती हैं

कुछ अलग ही दिन होंगे जब मौसम नया रूप लेगा। वो दिन आने वाले हैं। मौसम होगा शरद ऋतु का और महीना होगा कार्तिक। हिन्दू माह व्यवस्था में एक महीना कार्तिक का भी है। जो इस बार 1 नवंबर से शुरू होगा। हिन्दू शास्त्रों में लिखा है कि कार्तिक के समान श्रेष्ठ महीना कोई नहीं है। तो ये क्यों श्रेष्ठ है? तीन बातें हैं जो कार्तिक महीने को अन्य महीनों से अलग और श्रेष्ठ बनाती हैं।

खानपान, धर्म-कर्म और पहनावा।

पहला खानपान – ठंड का मौसम आएगा। ये वो समय है जब हमारे शरीर का पाचन का तंत्र पूरी स्वतंत्रता देता है, तुम जो भी खाओगे, मैं आसानी से पचा लूंगा। खान-पान पर असर सेहत पर पड़ेगा। स्वास्थ्य सुधारने के लिए ये सबसे बेहतरीन समय है।

दूसरा है धर्म-कर्म यानी मन को शांत रखने के लिए यदि आप मेडिटेशन करेंगे तो प्रकृति आपको पूरा समर्थन देगी। मौसम का सुहानापन आपके दिलो-दिमाग को बहुत ही क्रिएटिव और जल्दी से हर चीज को पकड़ने वाला बना देगा।

तीसरा है पहनावा, ठंड के मौसम में पहनने-ओढ़ने की मजा ही अलग हो जाता है।

कुल मिलाकर अगर हम कहे तो ये उमंग का अवसर आ रहा है। ये साल 366 दिन का है और आज 1 नवंबर को 306 दिन पूरे होंगे। 60 दिन बचे हैं। तो कम से कम आज से 15 दिन उमंग के दिन होंगे और खासतौर पर 12 नवंबर तक 16 नवंबर तक के पांच दिन तो निराले होने वाले हैं। क्योंकि, इस बीच दिवाली आएगी। हमारे यहां दिवाली 5 दिन का उत्सव मानी गई है। तो चलिए उमंग को समझते हैं और उमंग को जीते हैं।

अब आने वाले दिनों में हमारी उमंग पांच भाग में बंट जाएगी। आप आज से ही उमंग को महसूस करें तो 12 नवंबर पर दिवाली का पहला दिन आएगा आप इस आनंद को मस्ती को खुशी को उमंग को नए ढंग से महसूस कर सकते हैं।

पहला त्योहार उत्साह का

अगर सेहत अच्छी हो तो ही उत्साह है। ये दिन धनवंतरि जयंती के रूप में मनाया जाता है और भगवान धनवंतरि को स्वास्थ्य का देवता माना गया है। इसीलिए इसे राष्ट्रीय आयुर्वेदिक दिवस नाम दिया है। तो तबीयत को इस लायक रखिए कि कार्तिक मास में और दिवाली पर्व पर उमंग को जी सके।

दूसरा त्योहार उमंग का

13 नवंबर को आएगा नरक चतुर्दशी। कहते हैं इस दिन श्रीकृष्ण ने नरकासुर नाम के राक्षस को मारा और 16100 स्त्रियों को उसकी कैद से मुक्त कराया था। मानव जाति की इससे बड़ी कोई उन्नति नहीं है। हम मनुष्य है, लगातार प्रगति करना हमारा धर्म है। असली उमंग ही तब है, जब कोई किसी से शोषित न हो, कोई किसी को दबाए नहीं, सबको जीने की अपनी-अपनी स्वतंत्रता है।

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तीसरा त्योहार उजाले का

इस दिन जो रोशनी होगी, वो केवल बाहर होकर न रह जाए। हमारे भीतर भी एक ऐसा प्रकाश उतरे, जिसमें हम देख सके कि हम कंफ्यूज नहीं हैं और हम लगातार कुछ नया करने के लिए उमंग से भरे हुए हैं। एक दीए ने पांच बातें होती हैं। पहली वो दीया जिस भी पात्र का बना हो, मिट्टी का, पीतल का, दूसरा उसकी ज्योति, तीसरा बाती, चौथा तेल या रुई और पांचवां उसकी सुरक्षा। क्योंकि, हवाएं तो मौका ही ढूंढती है दीया बुझाने के लिए। दीये में एक और विशेषता है। इसे श्रृंखला में जलाया, जैसा कि दिवाली में करते हैं। दिवाली में एक से एक अधिक दीये क्यों जलाते हैं। क्योंकि, ज्योत से ज्योत जलाते चलो। अपनी उमंग का प्रकाश दूसरे में भी उतरे और आगे बढ़ता चले। अपनी खुशी को जितना दूसरों में बांटों और उनको खुश रखो, परमात्मा इतनी ही खुशी जिंदगीभर देगा।

चौथा त्योहार उत्सव का

इसदिन श्रीकृष्ण ने इंद्र का अहंकार तोड़ दिया था और समझाया था आपका काम है वर्षा की व्यवस्था करना। और आप ब्रज के लोगों से ग्वालों से अपनी पूजा करवाते हैं, ये ठीक नहीं है। और श्रीकृष्ण ने अपनी छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत को उठाया था और इंद्र को समझाया था पूजा प्रकृति की होनी चाहिए देवताओं की नहीं। और गोवर्धन को प्रकृति का प्रतीक बताया था। इससे बढ़ा उत्सव क्या होगा। उस दिन 56 भोग का अन्नकूट लगा था। खासतौर पर ये महीना खानपान के लिए जाना जाता है। लेकिन याद रखें जब आपका पेट भर रहा हो, तब इस बात का ध्यान रखना कि कोई और भूखा न रह जाए।

पांचवां त्योहार खुशियों का

इस दिन यमराज अपनी बहन यमुना के घर भोजन करने के लिए आते हैं। उनकी बहन यमुना हमेशा उनका रास्ता देखती थी। यमराज के पास इतने काम थे कि वे व्यस्त होने की वजह से अपनी बहन के यहां जा नहीं पाते थे। रिश्ते में ऐसी उदासी उतर आती है। कोई व्यस्त हो जाता है तो कोई थक जाता है। उस दिन यमराज ने यमुना से कहा कि बहन से कहा कि आज मैं तेरे यहां भोजन जरूर करूंगा। उदासी दूर हो गई, खुशी आ गई। और, उसी दिन से ये परंपरा हो गई।

अपने, अपने होते हैं, उनका साथ जरूर निभाएं और कोशिश करें कि आपके आसपास कोई उदास न रहें। तो 1 नवंबर से तैयारी कर लीजिए। उत्साह, उन्नति, उजाला, उत्सव और उदासी, जब इन पांचों को समझकर जिएंगे तो ये पखवाड़ा उमंग लेकर आएगा। और ये उमंग आगे आने वाले दिनों बढ़ती चली जाएगी।



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