Karva Chauth Puja Vrat Katha 2020; Karva Chauth Puja Vidhi , Karva Chauth Story Origin And Significance | पूजा के लिए 2 और चंद्रमा को अर्घ्य के लिए 1 मुहूर्त, रात 8:55 तक हर जगह दिखेगा चांद

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8 घंटे पहले

  • 7 शुभ योगों में पूजा और व्रत करने से अखंड सौभाग्य के साथ बढ़ेगी समृद्धि

कार्तिक महीने के शुक्लपक्ष की चतुर्थी यानी आज करवा चौथ व्रत मनाया जा रहा है। सुहागिन महिलाएं निर्जला व्रत रखकर पति की लंबी उम्र की कामना करेंगी। ये व्रत आज सूर्योदय से शुरू हो गया है और शाम को चांद निकलने तक रखा जाएगा। शाम को चंद्रमा के दर्शन करके अर्घ्य अर्पित करने के बाद पति के हाथ से पानी पीकर महिलाएं व्रत खोलेंगी। इस व्रत में चतुर्थी माता और गणेशजी की भी पूजा की जाती है। काशी के ज्योतिषाचार्य पं. गणेश मिश्र के मुताबिक इस बार करवा चौथ पर ग्रहों की स्थिति भी खास है। जिससे 7 शुभ योग बन रहे हैं। ग्रहों की ऐसी स्थिति पिछले 100 सालों में नहीं बनी।

व्रत का महत्व
पं. मिश्र बताते हैं कि शुभ ग्रह-योग में की गई पूजा से विशेष फल मिलता है। बुधवार होने से इस व्रत का फल और बढ़ जाएगा। इसके प्रभाव से पति-पत्नी में प्रेम बढ़ेगा। 7 शुभ योगों में पूजा करने से महिलाओं को व्रत का पूरा फल मिलेगा। इस योग के प्रभाव से अखंड सौभाग्य के साथ ही समृद्धि भी प्राप्त होगी। इस व्रत को करने से स्वास्थ्य अच्छा रहेगा और परिवार में सुख भी बढ़ेगा।

करवा चौथ पूजा मुहूर्त
शाम 5:25 से 5:50 तक
शाम 6:05 से 6:50 तक

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करवा चौथ कथा
एक साहूकार के सात बेटे और उनकी एक बहन करवा थी। सभी भाई बहन से बहुत प्यार करते थे। शादी के बाद उनकी बहन मायके आई तो बहुत परेशान थी।
भाई खाना खाने बैठे और बहन से भी खाने को बोला, बहन ने बताया कि उसका करवा चौथ का निर्जल व्रत है और वह खाना सिर्फ चंद्रमा को देखकर उसे अर्घ्‍य देकर ही खा सकती है।
चंद्रमा नहीं निकला तो वह भूख-प्यास से परेशान थी। सबसे छोटे भाई से बहन की हालत देखी नहीं गई।
उसने दूर पीपल के पेड़ पर दीपक जलाकर छलनी की ओट में रख दिया। जिसे दूर से देखने पर ऐसा लगने लगा कि जैसे चतुर्थी का चांद हो।
भाई बहन को बताया कि चंद्रमा उदय हो गया। अर्घ्य देकर भोजन कर लो। बहन ने उसे चंद्रमा समझकर अर्घ्‍य देकर खाना खाने लगी।
लेकिन तीसरा टुकड़ा खाते ही उसे अपने पति की मृत्यु की खबर मिलती है।
इससे वो दुखी हो जाती है। तब उसकी भाभी उसे सच्चाई बताती है कि करवा चौथ का व्रत गलत तरीके से टूटने पर देवता उससे नाराज हो गए हैं और ऐसा हुआ है।
सच्चाई जानने के बाद बहन करवा ने अपने पति का अंतिम संस्कार नहीं होने दिया। वह पूरे एक साल तक अपने पति के शव के पास बैठी रही।
इस तरह वो अपने किए का प्रायश्चित करती रही और चौथ माता से बार-बार विनती करती रही।
इसके बाद देवी मां उससे प्रसन्न हुई और उसके पति को जीवन का वरदान दिया।



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