Kargil Vijay Diwas : अमर शहीद कैप्टन विक्रम बत्रा का पालमपुर स्थित घर और उनकी वीरता के किस्से

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शौर्य और वीरता की प्रतीक: कैप्टन विक्रम बत्रा

कारगिल विजय दिवस आज मनाया जाता है। वीरता 26 जुलाई 1999 को कारगिल की पहाड़ियों पर पाकिस्तानी सेना ने भारतीय सेना को हराया। परमवीर चक्र विजेता कैप्टन विक्रम बत्रा भी इस युद्ध में भारतीय सेना ने खोया था। हम उनकी वीरता और शौर्य पर आज भी गर्व करते हैं और उनकी यादें हमारे दिलों में जीवित हैं। आइए, कैप्टन विक्रम बत्रा और उनके पालमपुर स्थित घर की विशेषताओं को जानें।

Kargil Vijay Diwas : अमर शहीद कैप्टन विक्रम बत्रा का पालमपुर स्थित घर और उनकी वीरता के किस्से
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पालमपुर का “विक्रम बत्रा भवन”

कैप्टन विक्रम बत्रा का जन्म 9 सितंबर 1974 को पालमपुर, हिमाचल प्रदेश में हुआ था। उनके बचपन की अधिकांश यादें पालमपुर से जुड़ी हुई हैं। विक्रम बत्रा का घर, जिसे “विक्रम बत्रा भवन” के नाम से जाना जाता है, आज भी लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। हालांकि, आर्मी सिक्योरिटी के चलते वहां वीडियोज और फोटोज लेने पर मनाही है, लेकिन आप दूर से कैप्टन विक्रम बत्रा के घर को देख सकते हैं। इस घर में उनका परिवार आज भी रहता है और यह स्थान उनके सम्मान और स्मृति को सजीव रखता है।

कारगिल युद्ध और कैप्टन विक्रम बत्रा की वीरता

कारगिल युद्ध में कैप्टन विक्रम बत्रा की वीरता को कोई नहीं भूल सकता। 20 जून 1999 को कैप्टन बत्रा ने प्वाइंट 5140 को पाकिस्तानी सेना के कब्जे से मुक्त कराया था। यह उनके साहस और वीरता का सबसे बड़ा प्रमाण है। इस दौरान उन्होंने अपनी टीम का नेतृत्व करते हुए अदम्य साहस का परिचय दिया और रणभूमि में ही वीरगति प्राप्त की।

कैप्टन विक्रम बत्रा ने प्वाइंट 4875 चोटी पर भी फतह हासिल की थी, जिसके कारण भारत सरकार ने इस पहाड़ की चोटी को ‘बत्रा टॉप’ के नाम से नवाजा। यह स्थान उनकी वीरता का सजीव प्रतीक है। उनके जुड़वां भाई विशाल बत्रा ने 2019 में इस स्थान का दौरा किया था और इसे देखकर अपने भाई की वीरता पर गर्व महसूस किया।

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कैप्टन विक्रम बत्रा के नाम पर देश के विभिन्न स्थान

कैप्टन विक्रम बत्रा की वीरता और बलिदान को याद रखने के लिए देश के विभिन्न हिस्सों में उनके नाम पर स्थान और स्मारक स्थापित किए गए हैं।

  1. बत्रा टॉप: प्वाइंट 4875, जिसे अब ‘बत्रा टॉप’ के नाम से जाना जाता है, कैप्टन विक्रम बत्रा की वीरता का सबसे बड़ा प्रतीक है।
  2. कैप्टन विक्रम बत्रा एन्क्लेव: जबलपुर छावनी में एक रेजिडेंटल एरिया को उनके नाम पर ‘कैप्टन विक्रम बत्रा एन्क्लेव’ कहा जाता है।
  3. विक्रम बत्रा ब्लॉक: सेवा चयन केंद्र इलाहाबाद के एक हॉल का नाम ‘विक्रम बत्रा ब्लॉक’ रखा गया है।
  4. विक्रम बत्रा मेस: भारतीय मिलिट्री अकादमी (IMA) में संयुक्त कैडेट मेस का नाम ‘विक्रम बत्रा मेस’ रखा गया है।
  5. स्मारक, DAV कॉलेज: चंडीगढ़ के DAV कॉलेज में कैप्टन विक्रम बत्रा का एक स्मारक है।
  6. शहीद कैप्टन विक्रम बत्रा चौक: नई दिल्ली के मुकरबा चौक और इसके फ्लाईओवर का नाम बदलकर शहीद कैप्टन विक्रम बत्रा चौक कर दिया गया है।
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कारगिल वॉर मेमोरियल: वीर जवानों को श्रद्धांजलि

भारतीय सेना के वीर जवानों को श्रद्धांजलि देने और पाकिस्तान सेना पर विजय को याद रखने के लिए भारत सरकार ने लेह हाईवे पर द्रास में कारगिल वॉर मेमोरियल बनाया गया है। यह स्थान शहीदों की वीरता और बलिदान को समर्पित है। हर साल 26 जुलाई को यहां शहीदों को श्रद्धा-सुमन अर्पित किया जाता है।

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कैप्टन विक्रम बत्रा की विरासत

कैप्टन विक्रम बत्रा की वीरता और बलिदान आज भी हमें प्रेरित करता है। उनके नाम पर बने स्मारक और स्थान उनकी वीरता की कहानियों को सजीव रखते हैं। उनका जीवन और बलिदान हमें देशभक्ति और साहस की सीख देते हैं। कारगिल विजय दिवस के अवसर पर हम सभी को उनके बलिदान को याद करते हुए गर्व महसूस करना चाहिए और उनकी विरासत को आगे बढ़ाने का संकल्प लेना चाहिए।

कैप्टन विक्रम बत्रा का जीवन और उनकी वीरता की कहानियां हमें यह सिखाती हैं कि देश के लिए बलिदान देने का साहस और संकल्प होना चाहिए। उनके सम्मान में बने स्मारक और स्थान हमें हमेशा उनकी याद दिलाते रहेंगे।

कारगिल विजय दिवस हमें भारतीय सेना के वीर जवानों की साहस और बलिदान की याद दिलाता है। कैप्टन विक्रम बत्रा की वीरता की कहानियां और उनका जीवन हमेशा प्रेरित करेंगे। उनकी वीरता और बलिदान को देश भर में उनके नाम पर बने स्मारकों और पालमपुर में उनके घर “विक्रम बत्रा भवन” ने जीवित रखा है। हम सभी को उनकी वीरता पर गर्व महसूस करना चाहिए इस विजय दिवस पर।

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