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सासारामएक घंटा पहले
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- जांच रिपोर्ट पोर्टल पर 15 तारीख तक करना होगा अपलोड
स्वास्थ्य विभाग द्वारा गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य का ध्यान रखने की हर कवायद की जा रही है। इस दिशा में प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत प्रत्येक माह की 9 तारीख को गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य की जांच की जाती है। लेकिन कोविड संक्रमण को ध्यान में रखते हुए आवश्यक निर्देशों के साथ राज्य स्वास्थ्य समिति ने प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान आयोजित करने के संबंध में आवश्यक निर्देश दिये हैं।
राज्य स्वास्थ्य समिति के मातृ स्वास्थ्य की राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ. सरिता ने पत्र के माध्यम से भेजे गए निर्देश में कहा है कि प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान कार्यक्रम प्रत्येक माह के 9 तारीख को भारत सरकार के नये गाइडलाइन के आलोक में जिलों के कंटेंटमेंट जोन तथा बफर जोर को छोड़ कर सभी स्वास्थ्य संस्थानों में आयोजित किया जा रहा है। इस माह 9 नवंबर को इसी दिशा निर्देश के अनुसार प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान कार्यक्रम का आयोजन किया जाना है।
इसे लेकर ग्रीन जोन में आने वाले और बफर जोन से बाहर के स्वास्थ्य संस्थानों पर गर्भवती महिलाओं का गुणवत्तापूर्ण प्रसव पूर्व जांच करवाया जाए तथा कोई भी गर्भवती माता प्रसव पूर्व जांच से वंचित नहीं रहें। इसके साथ ही इस माह में गर्भवती महिलाओं की प्रसव पूर्व जांच का प्रतिवेदन पमसा पोर्टल पर 15 तारीख तक अपलोड करवाने के लिए भी कहा गया है।
क्या है प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान
प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत सभी गर्भवती महिलाओं को गुणवत्तापूर्ण और व्यापक तौर पर प्रसव पूर्व जांच व देखभाल की सेवा प्रदान की जाती है। गर्भवती महिलाओं को सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर उनकी गर्भावस्था की दूसरी और तीसरी तिमाही के दौरान उनकी जांच कर प्रसव संबंधी जटिलता व जोखिम का भी पता किया जाता है। सभी सेवाएं स्त्री रोग विशेषज्ञ और चिकित्सकों के माध्यम से मुहैया कराया जाता है। गर्भवती महिलाओं को मातृ एवं बाल संरक्षण कार्ड व सुरक्षित मातृत्व पुस्तिकाएं दी जाती हैं। उच्च जोखिम वाली गर्भवती महिलाओं की पहचान कर उनका फॉलोअप किया जाता है।
इमिरिता में बच्चों की देखभाल के बताए गए टिप्स
सूर्यपुरा प्रखंड के मॉडल आंगनबाड़ी केंद्र इमिरिता में शुक्रवार को सेक्टर दो में शामिल सेविकाओं को प्रशिक्षण दिया गया। पर्यवेक्षिका निर्मला देवी व रूखसाना ख़ातून ने सेविकाओं के बीच बताया कि कमजोर बच्चों की देखभाल कैसे करें। ताकि वह स्वस्थ रहे, इस पर विशेष रूप से चर्चा हुई।
वहीं बीमारी के दौरान शिशु का आहार पर विशेष रूप से सेविकाओं को बताया तथा कुपोषण और मृत्यु से बचाव का ज्ञान दिया। साथ ही दांत, निमोनिया, डायरिया रोग से बचाव का उपाय बताया गया। इन रोगों के संक्रमण से बचने के लिए साफ-सफाई, स्तनपान व ऊपरी आहार लेने की जानकारी दी गई। छह माह से कम उम्र के बच्चों को मां का दूध ही पिलाना चाहिए, क्योंकि माँ के दूध में कई बीमारियों से लड़ने की क्षमता होती है।
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