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चौधरी चरण सिहं हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के नवीकरणीय एवं जैव ऊर्जा विभाग के सभागार में स्पार्क-एमएचआरडी द्वारा प्रायोजित बायोमास रूपातंरण तकनीक द्वारा फसलीय अवशेष प्रबंधन विषय पर एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन हुआ। कार्यक्रम में मुख्यातिथि विश्वविद्यालय के अनुसंधान निदेशक डॉ. जीतराम शर्मा रहे, जबकि उत्तरी क्षेत्र कृषि मशीनरी प्रशिक्षण एवं परीक्षण संस्थान के निदेशक डॉ. मुकेश जैन विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद रहे। इस आयोजन पर कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया विश्वविद्यालय एवं स्पार्क परियोजना के अंतराष्ट्रीय सह-पीआई प्रो. शाहाबद्धीन सोखन्सज मुख्य वक्ता के रूप में शामिल हुए।
अनुसंधान निदेशक डॉ. जीत राम शर्मा ने बायोमास रूपातंरण तकनीक द्वारा फसलीय अवशेष प्रबंधन से पराली को जलाने व उससे होने वाले प्रदूषण को रोकने से संबंधित कई महत्वपूर्ण पहलुओं पर चर्चा की। पराली की समस्या से निदान के लिए युवा वैज्ञानिकों व शोधार्थियों को इस वर्कशॉप में उन आधुनिक तकनीकों से अवगत कराया गया, जोकि पराली जलाने व उससे होने वाले प्रदूषण की समस्या को खत्म करेगा, ताकि वर्तमान समय में वायु प्रदूषण जैसे खतरे को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सके।
डॉ. मुकेश जैन ने प्रतिभागियों को प्रमाण-पत्र वितरित किए। कृषि अभियांत्रिकी एवं तकनीकी महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. बलदेव डोगरा ने कार्यशाला के बारे में जानकारी दी। प्रो. शाहाबद्धीन सोखन्सज ने बायोमास रूपातंरण तकनीक द्वारा फसलीय अवशेष प्रबंधन में शामिल तकनीकों की महत्वत्ता बताई। उन्होंने कहा कि भारत जैसे विकासशील देशों में बायोमास को जलाया जा रहा है, जिससे इस उपयोगी संसाधन से वंचित होते जा रहे हैं। ये स्थिति वर्तमान और आने वाली पीढिय़ों के लिए एक बड़ा खतरा बन सकती है।
नवीकरणीय एवं जैव ऊर्जा विभाग के विभागाध्यक्ष एवं प्रोजेक्ट इंचार्ज डॉ. योगेंद्र कुमार यादव ने सभी का स्वागत किया, जबकि सहायक प्राध्यापिका डॉ. यादविका ने धन्यवाद प्रस्ताव पारित किया।