International Kullu Dussehra will begin this evening from Dhalpur Maidan of Kullu | ढालपुर मैदान में आज से शुरू होगा अंतर्राष्ट्रीय कुल्लू दशहरा, रथयात्रा में 200 लोग ही शामिल हो सकेंगे

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कुल्लू19 दिन पहले

कुल्लू के ढालपुर में आज दशहरा पर्व होगा, जिसकी तैयारी पुलिस व प्रशासन ने की है। फोटो गौरीशंकर

  • पहले रथयात्रा के दौरान 365 देवी-देवता पहुंचते थे, इस बार केवल 7 देवी-देवता पहुंचेंगे

कुल्लू में रविवार शाम अंतर्राष्ट्रीय कुल्लू दशहरा मनाया जाएगा। रथयात्रा का आगाज ढालपुर मैदान से होगा। इस आयोजन को लेकर कोविड-19 के सभी दिशा-निर्देशों को पालन करने के लिए जिला प्रशासन की ओर से आयोजन कमेटी को निर्देश दिए गए हैं। रथयात्रा के दौरान 200 लोग शामिल हो सकेंगे। इसके लिए पुलिस व प्रशासन की ओर से व्यवस्था की गई है।

ठारा करड़ु की सौह (ढालपुर मैदान) में यह दूसरा मौका है, जब इसके देवी-देवताओं की संख्या दहाई का आंकड़ा भी पार नहीं होगा। उत्सव में सात देवी-देवताओं के भाग लेने पर सहमति बनी हुई है। इसके चलते इस उत्सव में देवी हिडिम्बा, नग्गर की देवी, जमलू देवता, बिजली महादेव, रैला का लक्ष्मी नारायण देवता और देवता गौहरी भाग लेंगे, लेकिन मुख्य रूप से भगवान रघुनाथ इस उत्सव में शामिल होंगे। इस बार देवी-देवताओं के इस उत्सव को देखने के लिए लोग भी नहीं जुट पाएंगे।

जिस रथ पर देवी-देवता सवार होकर निकलेंगे, वो पूरी तरह से तैयार है।

जिस रथ पर देवी-देवता सवार होकर निकलेंगे, वो पूरी तरह से तैयार है।

उत्सव का लाइव प्रसारण

लोगों को अपने ही घरों में टीवी के माध्यम से उत्सव को लाइव देखना होगा। इस उत्सव में 365 तक देवी-देवताओं के भाग लेने की परंपरा रही है, लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए इसका स्वरूप सीमित किया है। लिहाजा, इस बार उत्सव को प्रतीकात्मक रूप से मनाया जाएगा। इस उत्सव के लिए ढालपुर का ऐतिहासिक मैदान पूरी तरह से तैयार हो गया है।

देवी हिडिंबा की रहती है अहम भूमिका

घाटी में देवताओं की दादी कही जाने वाली माता हिडिंबा की अहम भूमिका होती है। इनके बगैर दशहरा उत्सव अधूरा माना जाता है। कुल्लू के राज दरबार के साथ देवी हिडिंबा का इतिहास है। देवी हिडिंबा ने ही कुल्लू के प्रथम राजा विहंगमणिपाल को गांव में आतंक फैलाने वाले पीति ठाकुरों का नाश करके उन्हें राजा बनाया था।

इस बार ये नहीं होगा

उत्सव में अंतर्राष्ट्रीय कुल्लू दशहरा में जहां 365 तक देवी-देवताओं के भाग लेने की परंपरा रही है, लेकिन इस बार सिर्फ रघुनाथ के अलावा सात देवी-देवता ही पहुंचेंगे। जबकि, हजारों लाखों की संख्या में इस उत्सव में लोग आते हैं, लेकिन इस बार लोग उत्सव को देखने नहीं आ सकेंगे। जबकि, लाल चंद प्रार्थी कलाकेंद्र में आयोजित होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम भी नहीं होंगे। न रिकाॅर्ड बनाने वाली कुल्लवी नाटी होगी और न ही व्यापारिक दृष्टि से दुकानें आदि सजँगी।

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