केंद्रीय विश्वविद्यालय हरियाणा, महेंद्रगढ़ के कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार ने कहा है कि 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का सपना युवाओं के माध्यम से पूरा हो सकता है। इस सपने को पूरा करने का रास्ता इनोवेशन से होकर गुजरता है। इनोवेशन ही किसी राष्ट्र की अर्थव्यवस्था में सकारात्मक बदलाव का आधार है। प्रो. टंकेश्वर कुमार बुधवार को गुरू जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, हिसार में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के उपलक्ष्य पर ’विकसित भारत के लिए स्वदेशी तकनीक’ विषय पर हुई एक दिवसीय कार्यक्रम को बतौर मुख्यातिथि संबोधित कर रहे थे। विश्वविद्यालय के चौधरी रणबीर सिंह सभागार के सेमीनार हॉल-1 में हुए इस कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई ने की। इस अवसर पर कुलसचिव प्रो. विनोद छोकर उपस्थित रहे। कार्यक्रम के संयोजक डीन फैकल्टी ऑफ फिजिकल साइंसिज एंड टेक्नोलॉजी प्रो. देवेन्द्र कुमार थे। यह कार्यक्रम हरियाणा राज्य विज्ञान, नवाचार एवं तकनीक परिषद द्वारा प्रायोजित था।
प्रो. टंकेश्वर कुमार ने कहा कि विकास एक सतत प्रक्रिया है जो सदियों से चलती आ रही है और आगे भी चलती रहेगी। इस प्रक्रिया में हर हितधारक का योगदान रहता है। उन्होंने कहा कि भारत के पास एक समृद्ध वैज्ञानिक परंपरा है। बाहर की तकनीकों से हम सीख तो सकते हैं, लेकिन हमारी पहचान स्वदेशी तकनीक से ही होगी। उन्होंने कहा कि विज्ञान ऑब्जरवेशन का खेल है। वैज्ञानिक तरक्की के लिए ऑब्जरवेशन टूल्स को बेहतर करना होगा। उन्होंने कहा कि छोटे बच्चों में भी रचनात्मकता बढ़ाने के लिए काम किया जाना चाहिए। किताबों में दिए गए समस्याओं के समाधान से अलग समाधान भी तलाशे जाने चाहिएं।
कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई ने अपने संबोधन में कहा कि भारत 2047 से पहले ही आजादी के शताब्दी वर्ष 2047 से पहले ही विकसित राष्ट्र के सपने को पूरा कर लेगा। भारत तेजी से इस दिशा में बढ़ रहा है। पूरी दुनिया भारत की तकनीक, ज्ञान और कौशल को स्वीकार करने लगी है। रक्षा क्षेत्र में स्वदेशी तकनीक अत्यंत आगे बढ़ चुकी है। चिकित्सा क्षेत्र में भी भारत तकनीकी दृष्टि से विश्व में अग्रणी है। पूरी दुनिया में सबसे पहले कोरोना वैक्सीन विकसित करके भारत ने देश तथा दुनिया के करोड़ों लोगों को लाभ पहुंचाया है। प्रो. नरसी राम बिश्नोई ने विश्वविद्यालय की आधुनिक विकास यात्रा के बारे में भी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय तेजी से विश्वस्तरीय पहचान को और अधिक मजबूत करने की ओर अग्रसर है। आगामी शैक्षणिक सत्र से विश्वविद्यालय तथा सम्बद्ध महाविद्यालयों के सभी कोर्सों में राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू कर दी जाएगी।
कुलसचिव प्रो. विनोद छोकर ने अपने धन्यवाद सम्बोधन में कहा कि विज्ञान और तकनीक के बिना विकास की परिकल्पना संभव ही नहीं है। भारत विज्ञान और तकनीक की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। वैज्ञानिक शोधों की श्रेणी में भारत विश्व के पहले पांच देशों में शामिल है।
संयोजक प्रो. देवेन्द्र कुमार ने स्वागत संबोधन किया तथा रमन प्रभाव एवं रमन स्पेक्ट्रोमीटर के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि रमन स्पेक्ट्रोमीटर की निर्माण टीम में विश्वविद्यालय के रसायन विभाग के पूर्व विद्यार्थी डा. सुरेन्द्र कुमार का भी योगदान रहा। यह हमारे लिए गौरव की बात है।
निमिषा सुर्यांशी रही भाषण व पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिता की विजेता।
संयोजक प्रो. देवेन्द्र कुमार ने बताया कि राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के उपलक्ष्य पर 4 व 5 मार्च को विभिन्न प्रतियोगिताएं आयोजित की गई। बुधवार को इन प्रतियोगिताओं के परिणाम घोषित किए गए। भाषण प्रतियोगिता में मास कम्युनिकेशन विभाग की निमिषा सुर्यांशी ने पहला, केमिस्ट्री के विनीत ने दूसरा तथा अंजलि ने तीसरा स्थान प्राप्त किया। प्रश्नोतरी प्रतियोगिता में केमिस्ट्री की कोमल व वर्षा पहले, पुष्कर व मनीष दूसरे तथा जतिन व जीनत की टीम तीसरे स्थान पर रही। पोस्टर मेकिंग में भी निमिषा सुर्यांशी पहले स्थान पर रही। फिजिक्स की गरिमा ने दूसरा तथा बीटेक आईटी के रमन ने तीसरा स्थान प्राप्त किया।