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- स्वदेशी सेनानी बेटियों के साथ आत्मनिर्भर बन रहे हैं, युवा से लेकर बुजुर्ग महिलाएं भी इस अभियान में शामिल हुई हैं
रोहतक13 घंटे पहले
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स्वदेशी लड़ियां बनाती हुईं महिलाएं व लड़कियां।
- सेवा भारती संस्था में रोज 30 से 40 महिलाओं को दिया जा रहा काम
दीपावली का त्योहार बाजारों में चीनी उत्पादों का बहिष्कार किया जा रहा है। स्वदेशी सामन को लेकर बाजार में जोर दिया जा रहा है। इसी को देखते हुए शहर में सेवा भारती संस्था की ओर से स्वदेशी बिजली से चलने वाली लड़ियां व दीये बनवाए जा रहे हैं। इसमें महिलाएं व लड़कियाें को काम दिया जा रहा है। उद्देश्य इन्हें आत्मनिर्भर बनाना है।
इसमें महिलाओं व लड़कियाें को दीये व लड़ियों के हिसाब से रुपए दिए जा रहे हैं। इन लड़ियों व दीयों को बाजार में ग्राहक पसंद कर रहे हैं। इस संस्था में करीब 18 से लेकर 70 साल तक की महिलाएं काम कर रही है और अपना घर चला रही है।
67 की उम्र में मन को भाया ये काम
67 वर्षीय रमा ने बताया कि वह एक हाउसवाइफ है। पिछले 2 महीनों से सेवा भारती संस्था में काम कर रही है। उन्होंने आज तक कभी नौकरी नहीं की थी। उन्हें यह काम अच्छा लगा तो नौकरी की। रोज के 600 से 700 रुपए कमा रही है। रमा ने बताया कि सेवा भारती में काम करके उन्हें अच्छा महसूस हो रहा है।
लाॅकडाउन में काम छूटा, अब दोगुणा कमा रहीं
बबीता ने बताया हैं कि लॉकडाउन में उनकी नौकरी चली गई थी। पहले वह कॉस्मेटिक की दुकान पर काम करती थी। जहां से 4 हजार रुपए महीने के मिलते थे। अब यहां पार्ट टाइम काम कर महीने के 8000 रुपए कमा लेती हैं।
महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना लक्ष्य
सेवा भारती के सचिव हिमांशु ने बताया कि इस कार्य में महिलाओं को जोड़ने का उनका एक ही मकसद था कि महिलाएं जो घर पर रहती है वह भी आत्मनिर्भर बनें। संस्थान में महिलाएं व लड़कियां बिजली से चलने वाली लड़ियां व दीये बनाती है। एक लड़ी को बनाने के 25 रुपए मिलते है। वहीं एक दिया डेढ़ रुपए प्रति दिया के इन्हें दिए जाते हैं।
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