Increasing levels of pollution increase lung cancer risk, 34% problem in Maulana Azad’s study | प्रदूषण के बढ़ते स्तर ने बढ़ाया फेफड़े के कैंसर का खतरा, मौलाना आजाद के अध्ययन में 34 फीसदी में आई समस्या

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नई दिल्ली6 घंटे पहले

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फाइल फोटो

राजधानी में बढ़ता प्रदूषण का स्तर दिल्लीवालों के लंग को खराब कर रहा है। एक अध्ययन से पता चला है कि करीब 34 फीसदी दिल्लीवालों में लंग इन्फेक्शन हैं। राजीव गांधी कैंसर इंस्टीट्यूट (आरजीसीआईआरसी) के मेडिकल डायरेक्टर डॉ विनीत तलवार का कहना कि पिछले 10 दिनों में दिल्ली और उसके पड़ोसी क्षेत्रों में अचानक तेज से प्रदूषण के स्तर में वृद्धि देखी गई है।

डब्ल्यूएचओ के अनुसार वर्तमान में प्रदूषण का स्तर मान से कही ज्यादा है। वर्ष 2016 में मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज के सामुदायिक चिकित्सा विभाग द्वारा किए गए एक अध्ययन में 3019 व्यक्तियों को स्पाइरोमैट्री के माध्यम से देखा गया। इसमें करीब 34.35 फीसदी मरीजों के फेफड़ों में दिक्कत पाई गई। उन्होंने कहा कि वायु प्रदूषण फेफड़ों की आंतरिक परत को नुकसान पहुंचा रहा है।

कोविड-19 की स्थिति में यह समस्या को और ज्यादा बढ़ा रहा है। डा. तलवार का कहना है कि शुरुआती स्टेज में फेफड़े के कैंसर के लक्षणों को आमतौर पर टीबी का लक्षण मान लिया जाता है। इससे गलत इलाज में बहुत वक्त बर्बाद हो जाता है और मरीज का कैंसर एडवांस स्टेज में पहुंच जाता है।

खासकर धूम्रपान करने वाले लोगों को जांच जरूर करा लेनी चाहिए, क्योंकि उन्हें खतरा ज्यादा होता है। फेफड़े के कैंसर के मात्र 10 प्रतिशत मरीज ही जल्दी इलाज के लिए आ पाते हैं। वहीं 60 से 70 प्रतिशत मरीजों को इलाज मिलने में देरी हो जाती है।

सांस लेने में हो रही है दिक्कत
कालरा अस्पताल के डायरेक्टर डाॅ.आरएन कालरा का कहना है प्रदूषण का स्तर बढ़ने के साथ सांस लेने में दिक्कत बढ़ रही है। ऐसे में सलाह दी जाती है कि जब प्रदूषण का स्तर हो तो लोग सुबह जल्दी बाहर न निकलें। स्मॉग के कारण बुजुर्गों और बच्चों में संक्रमण और एलर्जी होने की संभावना अधिक होती है। खराब हवा, गुणवत्ता, अस्थमा, सीओपीडी, उच्च बीपी और यहां तक कि हृदय रोगों के बढ़ने की संभावना रहती है।
प्रदूषण के लिए यह है जिम्मेदार
दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण के लिए वाहन प्रदूषण, निर्माण गतिविधियां, गाड़ी, निर्माण सामग्री, सड़कों पर धूल, कृषि या फसल अवशेषों को जलाना, औद्योगिक और बिजलीघर, उत्सर्जन, नगर निगम के कचरे को जलाना, थर्मल एनर्जी पावर प्लांट और अरावली पहाड़ी क्षेत्रों में खनन सहित अन्य मुख्य कारण है।

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