अगर परमाणु युद्ध हुआ तो इस देश के नागरिक रहेंगे सुरक्षित, जानिए वजह

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Nuclear War: दुनिया ने प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से समूहों का गठन किया.भले ही वे एक-दूसरे के खिलाफ लड़े, स्विट्जरलैंड युद्ध में भाग लेने के बजाय तटस्थ रहा. तटस्थता बनाए रखना मुश्किल था जब स्विट्जरलैंड के पड़ोसी जर्मनी, ऑस्ट्रिया और इटली द्वितीय विश्व युद्ध में सबसे आगे थे.

 

स्विट्जरलैंड ने संयम बनाए रखा
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जब रूसी शरणार्थी पड़ोसी लिकटेंस्टीन में आते थे, तब भी स्विट्जरलैंड ने संयम बनाए रखा. 1962 में रूस और अमेरिका के बीच हुए शीत युद्ध के दौरान इस जगह को परमाणु बम से भी सुरक्षित रखने के लिए बनाया गया था. इस देश के नागरिकों को नागरिक सुरक्षा प्रशिक्षण दिया जाता है. माना जा रहा है कि भारत में मुंबई हमले जैसा आतंकी हमला स्विट्जरलैंड में नामुमकिन है.

टैनबॉम

 

ऑपरेशन टैनबॉम
विश्व युद्ध के दौरान जर्मनी के तानाशाह हिटलर ने यहूदियों के साथ बहुत भेदभावपूर्ण व्यवहार किया था. जर्मनी ने एक हमले की योजना तैयार की क्योंकि यहूदियों ने स्विटज़रलैंड देश के तट पर बहुत संपत्ति जमा कर ली थी. हिटलर के सैन्य अधिकारियों ने योजना तैयार की और इसे ऑपरेशन टैनबॉम नाम दिया.

 

स्विट्जरलैंड की भौगोलिक रूप से रणनीतिक स्थिति को देखते हुए, देरी हुई क्योंकि कोई विशिष्ट लक्ष्य तय नहीं किया गया था. पैराशूट द्वारा सैनिकों को गिराना भी कम जोखिम भरा नहीं था. क्योंकि हर स्विस नागरिक के घर राइफलों और अन्य हथियारों से लैस थे. इस प्रकार, स्विट्जरलैंड की एक-एक इंच जमीन सुरक्षित होने के कारण, हिटलर ने हमले की योजना को छोड़ दिया.

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