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khaskhabar.com : रविवार, 01 नवम्बर 2020 12:29 PM
जयपुर । राजस्थान के मुख्य सचिव के सेवा विस्तार को लेकर आखिरकार वहीं हुआ, जिसके बारे में अकटलें लगाई जा चुकी थी मुख्य सचिव पद पर आईएएस राजीव स्वरूप को तीन माह का सेवा विस्तार नहीं मिल सका। हालांकि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के अलावा खुद राजीव स्वरूप ने अपने स्तर पर प्रयास भी किए लेकिन सफल नहीं हो सके। फिर शनिवार देर रात जैसा राजस्थान में तबादलों को लेकर परिपाटी रही है कि रात के 12 या 1 बजे या 2 बजे, या कभी-कभी तड़के 4 बजे तबादला सूची जारी होती है। पता नहीं कौन सा मंथन होता है इस तबादला सूची को लेकर चाहे आईएएस की हो, या आरएएस अफसरों की, राजस्थान में मीडियाकर्मियों को देर रात तक इंतजार करना पड़ता है।
आईएएस राजीव स्वरूप के मामले को लेकर मोदी सरकार ने एक साफ संदेश दे दिया है कि ब्यूरोक्रेसी को दलगत राजनीति से दूर रहना होगा । किसी के दबाव में कोई भी गलत काम नहीं करना चाहिए। हालांकि इस मामले को लेकर ऱ्फोन टैपिंग प्रकरण को लेकर केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की नाराजगी बताई जा रही है। उस दौरान एसीएस होम राजीव स्वरूप ही थे। हो सकता है कि शेखावत के कारण ही मुख्य सचिव के पद पर राजीव स्वरूप को सेवा विस्तार नहीं मिल सका हो। लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के कार्यकाल के दौरान भी ब्यूरोक्रेसी मैडम के अलावा किसी का कहना नहीं मानती थी।
वहीं अगर कोई आईएएस मैडम का कहना नहीं मानता था तो दिल्ली के लिए प्रतिनियुक्ति की फाइल तत्काल क्लीयर हो जाती थी। पूर्व वसुंधरा के कार्यकाल में एक केंद्रीय मंत्री की पीड़ा यही थी, कि यहां राजस्थान की ब्यूरोक्रेसी केंद्र का कहना ही नहीं मानती थी।खैर निरंजन आर्य, तो पूर्ववर्ती वसुंधरा सरकार के कार्यकाल के दौरान विभागीय जांच के पद पर नियुक्त थे. वह अब एसीएस फायनेंस के पद से पदोन्नत होकर मुख्य सचिव बन चुके है। आर्य के चलते तीन वरिष्ठ आईएएस अफसरों को शासन सचिवालय से बाहर नियुक्ति दी गई है। जिसमें वीनू गुप्ता, सुबोध अग्रवाल, राजेश्वर सिंह मुख्य है।
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वेब शीर्षक-IAS राजीव स्वरूप मामले को लेकर मोदी सरकार ने नौकरशाही को दिया कड़ा संदेश,
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