Home Secretary investigating allegations of allotting houses to loved ones on DGP | डीजीपी पर चहेतों को मकान अलॉट करने के आरोपों की जांच कर रहे होम सेक्रेटरी

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चंडीगढ़एक घंटा पहले

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  • सीबीआई जांच की मांग पर हाईकोर्ट ने कहा-पहले होम सेक्रेटरी की रिपोर्ट आने दो, फिर देखेंगे
  • कॉन्स्टेबल ने डीजीपी संजय बेनिवाल के खिलाफ दी थी शिकायत, प्रशासन ने हाईकोर्ट में बताया

चंडीगढ़ पुलिस के काॅन्स्टेबल जगजीत ने आरोप लगाए थे कि डीजीपी संजय बेनिवाल ने पैसे लेकर उन पुलिसकर्मियों को भी सरकार मकान अलॉट कर दिए, जिनकी बारी भी नहीं आई थी।

अब इस मामले में वीरवार को हाईकोर्ट में नया मोड़ आ गया। चंडीगढ़ प्रशासन ने हाईकोर्ट को बताया कि डीजीपी पर लगे आरोपों की निष्पक्ष जांच की जा रही है। जांच का जिम्मा यूटी प्रशासन के होम विभाग यानि होम सेक्रेटरी को दिया गया है।

वे जांच शुरू कर चुके हैं और जल्द ही इस मामले में अपनी फैक्ट फाइनडिंग रिपोर्ट देंगे। इसके बाद जस्टिस राजमोहन सिंह ने काॅन्स्टेबल जगजीत की डीजीपी संजय बेनिवाल पर केस दर्ज कर जांच का जिम्मा सीबीआई को सौंपने की याचिका पर अपना फैसला सुनाया।

उन्होने कहा – ‘जब प्रशासन कह रहा है कि होम सेक्रेटरी मामले की जांच कर रहे हैं तो केस में अभी कोई फैसला करना या कोई बात करना उचित नहीं है। अभी मामले में होम सेक्रेटरी की रिपोर्ट का इंतजार करना जरूरी है’।

अब जरूर क्लीयर हो चुका है कि डीजीपी और यूटी पुलिस के रिटायर्ड इंस्पेक्टर अवतार सिंह पर लगे आरोपों की जांच होम सेक्रेटरी ने शुरू कर दी है। इस जांच में अभी तक शिकायतकर्ता काॅन्स्टेबल जगजीत सिंह को बयान और अपने आरोपों के समर्थन में सबूत देने के लिए बुलाया नहीं गया है।

आरोप – आउट ऑफ टर्न जाकर दिए कर्मचारियों को सरकारी मकान

काॅन्स्टेबल जगजीत सिंह ने सीबीआई, प्रशासक वीपी सिंह बदनोर, एडवाइजर मनोज परिदा को लिखित शिकायत दी थी कि डीजीपी बेनिवाल ने करीब 36 मकान इंस्पेक्टर अवतार सिंह के साथ मिलकर चहेते कर्मियों को आउट ऑफ टर्न अलॉट कर दिए।

आरोप हैं कि मेडिकल ग्राउंड और कंपोसेशन ग्राउंड पर ये मकान आउट ऑफ टर्न अलॉट किए जा सकते थे। जगजीत ने आरोप लगाया कौन से टाइप का मकान अलॉट होगा और कौन सा नंबर मिलेगा, यह भी तय कर दिया गया।

शिकायतकर्ता ने अपनी याचिका में कई उदाहरण देते हुए बताया कि कैसे एक काॅन्स्टेबल ने कहा कि जिस मकान में वह रह रहा है, वह रहने की हालत में नहीं है। इसलिए उसे उस मकान से बदलकर दूसरा मकान दे दिया। जबकि जो मकान खुद अफसर मान रहे थे कि रहने के लायक नहीं है, उस मकान को दूसरे काॅन्स्टेबल को अलॉट कर दिया।

इससे सवाल उठे कि जो मकान एक काॅन्स्टेबल के रहने के लिए ठीक नहीं है, वही मकान दूसरे के रहने के लायक कैसे हो सकता है? ऐसे ही कई उदाहरण जगजीत ने अपनी याचिका में दिए हैं।

जांच चल रही है: एडवाइजर

पुलिस के मकान अलॉटमेंट को लेकर शिकायत आई थी, जिसकी जांच हो रही है। इस बारे में मुझे ज्यादा जानकारी नहीं है। जांच होम सेक्रेटरी कर रहे हैं और जांच में क्या हो रहा है, वे तो वे ही जानें।
मनोज परिदा,
एडवाइजर टू एडमिनिस्ट्रेटर

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