पिछले 6 महीने में 11 हजार तक बढ़ी गोल्ड रेट, एक्सपर्ट्स ने बताया अभी खरीदने से होगा फायदा यां नुकसान

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मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज पर अप्रैल के लिए फ्यूचर गोल्ड की कीमतें 67,800 रुपये प्रति 10 ग्राम को खत्म हुई हैं. शुक्रवार को भारत में इस वित्त वर्ष का अंतिम कामकाजी दिन था. इसके बाद जब मार्केट जब सोमवार को काम शुरू करेगा तो नया वित्त वर्ष यानी 2024-25 शुरू हो जाएगा. खत्म हो रहे फाइनेंशियल ईयर की आखिरी 2 तिमाही में सोने की कीमतों में जबरदस्त तेजी देखने को मिली है. 6 महीने में गोल्ड प्रति 10 ग्राम 11,000 रुपये तक बढ़ गया है. जानकारों का मानना है कि अभी इसकी कीमत में तेजी थमेगी नहीं.

इसका सबसे बड़ा श्रेय यूएस फेडर रिजर्व द्वारा इस साल ब्याज दरों में 3 बार होने वाली कटौती को दिया जा रहा है. इसके अलावा भू-राजनीतिक परिस्थतियां और यूएस में मुद्रास्फीति में गिरावट भी गोल्ड की चमक के पीछे का कारण बताए जा रहे हैं. केवल गोल्ड ही नहीं सिल्वर भी तेजी दिखने की उम्मीद जताई जा रही है.

कहां जाएगा गोल्ड?
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के कमोडिटी व करेंसी हेड अनुज गुप्ता ने कहा है कि इंटरनेशनल मार्केट में गोल्ड सिंतबर 2024 तक $2,350 प्रति आउंस तक पहुंच सकता है. आपको बता दें कि अभी स्पॉट गोल्ड का प्राइस $2,254 डॉलर है. उन्होंने कहा है कि अगर कोई गोल्ड में निवेश करना चाह रहा है तो वह फेडरल रिजर्व की मीटिंग और उस बैठक में होने वाली संभावित रेट कटौती को ध्यान में रखकर निवेश करे. बकौल गुप्ता, फेडरल रिजर्व की अगली बैठक अप्रैल 30 अप्रैल से 1 मई के निर्धारित है जिसमें ब्याज दरों में कटौती की घोषणा हो सकती है. एसएस वेल्थ स्ट्रीट की फाउंडर सुंगधा सचदेवा ने कहा है कि वित्त वर्ष 25 में गोल्ड ₹72,000 to ₹75,000 रुपये के रिकॉर्ड हाई तक जा सकता है. उन्होंने बताया कि इंटरनेशनल मार्केट में गोल्ड की कीमत $2,370 से $2,450 तक जा सकती है.

क्या हैं कारण?
अनुज गुप्ता ने कहा है कि फेडरल रिजर्व द्वारा संभावित रेट कट की घोषणा के बाद से बाजार में सोने का भाव और तेज हो गया है. उन्होंने कहा कि बाजार रेट कट से पहले ही उस पर प्रतिक्रिया देने लगा है. इसके अलावा भू-राजनीतिक तनाव और अमेरिकी अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीति में हल्की गिरावट की वजह से भी सोने को समर्थन मिल रहा है. सचदेवा का कहना है कि अगर ब्याद दरें नीचे जाती हैं तो फिएट करेंसी की वैल्यू में गिरावट आएगी. उन्होंने कहा कि इसका खासतौर पर असर डॉलर इंडेक्स पर पड़ेगा जिसकी वजह से लोग बहुमूल्य धातुओं की ओर अपना कदम बढ़ाएंगे.

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