For The Control Of Pollution In Delhi-NCR, The Names Of The Members Of The Commission Are Fixed, The SC Said – People Should Get Rid Of Smoke Ann | दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए आयोग के सदस्यों के नाम तय, SC ने कहा

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नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए आयोग का गठन कर दिया गया है. आयोग के सदस्यों के नाम भी तय कर दिए गए हैं. यह आयोग आज से ही काम करना शुरू कर देगा. सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई दिवाली के बाद करने की बात कही. कोर्ट ने सरकार से कहा, “यह सुनिश्चित कीजिए कि दिल्ली के लोगों को स्मॉग से निजात मिले.”

अक्टूबर-नवंबर के महीने में हर साल दिल्ली में छाने वाले धुंए पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अपने रिटायर्ड जज जस्टिस मदन बी लोकुर की अध्यक्षता में एक कमिटी का गठन किया था. लेकिन केंद्र सरकार ने कोर्ट को यह बताया कि वह अपनी तरफ से आयोग का गठन करने जा रही है. इसके बाद कोर्ट ने जस्टिस लोकुर कमिटी के गठन के आदेश को स्थगित कर दिया था. पिछले हफ्ते सरकार ने नए आयोग के गठन की अधिसूचना जारी की थी. आज सरकार ने कोर्ट को बताया कि नए आयोग के सदस्यों के नाम तय हो गए हैं. वह आज से ही काम करना शुरू कर देंगे. आयोग को व्यापक अधिकार दिए गए हैं.

मामले की सुनवाई कर रही बेंच के अध्यक्ष चीफ जस्टिस एस ए बोबड़े ने कहा, “इस मसले पर काम करने के लिए पहले भी कई संस्थाओं का गठन हो चुका है. हमारी दिलचस्पी इस बात में है कि दिल्ली के लोगों को प्रदूषण से मुक्ति मिले. हम मामले पर दिवाली की छुट्टियों के बाद सुनवाई करेंगे. सरकार अपनी तरफ से समस्या के हल के लिए पूरी कोशिश करे.”

सरकार की तरफ से गठित 15 सदस्य आयोग की अध्यक्षता पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के पूर्व सचिव एम एम कुट्टी को सौंपी गई है. इस पर एतराज करते हुए याचिकाकर्ता आदित्य दुबे के वकील विकास सिंह ने कहा कि आयोग की कमान सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट के किसी पूर्व जज को सौंपी जानी चाहिए. विकास सिंह ने यह भी कहा कि दिल्ली में धुए का प्रभाव बढ़ता जा रहा है. खुद उन्हें कफ की गंभीर समस्या हो गई थी. इस बारे में तुरंत कुछ करने की जरूरत है. लेकिन सरकार सिर्फ टालमटोल कर रही है.

इस पर सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि सरकार लगातार प्रयासरत है. आयोग तत्काल प्रभाव से काम करना शुरू कर देगा. उम्मीद है कि स्थितियों में सुधार होगा. चीफ जस्टिस ने कहा, “आपने जो अध्यादेश पारित किया है, उसके मुताबिक आयोग का आदेश ना मानने वाले लोगों के लिए 1 करोड़ रुपए तक का जुर्माना और 5 साल की कैद की सजा रखी गई है. हमें लगता है कि अपराध की श्रेणियां बनाई जानी चाहिए. उसके मुताबिक से दंड दिया जाना चाहिए. हर अपराध से एक ही सजा नहीं हो सकती.”



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