Fasting on Goddess Ashtami and Navami is happy with cleanliness, only one can get the result of the whole Navratri | स्वच्छता से खुश होती हैं देवी, अष्टमी और नवमी पर व्रत-उपवास से ही मिल सकता है पूरे नवरात्र का फल

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  • देवी अष्टमी और नवमी पर उपवास रखने से होती है साफ-सफाई, सिर्फ एक ही फल पा सकता है पूरे नवरात्रि

17 दिन पहले

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  • नवरात्र के दौरान रखना चाहिए पवित्रता का ध्यान, तामसिक भोजन और हर तरह के नशे से दूर रहना चाहिए

17 अक्टूबर से शुरू हुए नवरात्र 25 तारीख तक रहेंगे। इन दिनों देवी की उपासना हर तरह से की जाती है। इसमें खास चीजों की मदद से विशेष पूजा, व्रत-उपवास, त्याग और तप किया जाता है। धर्म ग्रंथों के जानकार काशी के पं. गणेश मिश्र का कहना है कि इस दौरान देवी आराधना को सफल बनाने के लिए स्वच्छता का खास ध्यान रखना चाहिए। ऐसा करने से देवी प्रसन्न होती हैं। उन्होंने बताया कि नवरात्र में हर दिन व्रत-उपवास न रख पाएं हो तो सिर्फ अष्टमी और नवमी पर ही व्रत करने से पूरे नवरात्र का फल मिल सकता है। इन दिनों में तामसिक भोजन और हर तरह के नशे से दूर रहना चाहिए।

स्वच्छता और पवित्रता से प्रसन्न होती हैं देवी
नवरात्र में देवी पूजा के दौरान बाहरी और अंदरूनी, दोनों तरह से सफाई जरूरी होती है। इन दिनों में अंदरूनी सफाई के लिए व्रत-उपवास, प्राणायाम और ध्यान करने के साथ ही मन पर नियंत्रण रखने की कोशिश करनी चाहिए। ऐसा करने से मन नहीं भटकता और मानसिक पाप नहीं होते। जिससे अंदरूनी सफाई बनी रहती है। बाहरी स्वच्छता के लिए घर में गंदगी नहीं होनी चाहिए। इसके साथ ही हर दिन घर में गंगाजल और गौ मूत्र का छिड़काव करना चाहिए। जिन घरों में स्वच्छता का ध्यान रखा जाता है वहां समृद्धि आती है।

अष्टमी और नवमी पर व्रत-उपवास
नवरात्रि में देवी दुर्गा की विधि-विधान से पूजा की जाती है। मार्कंडेय पुराण का कहना है कि इन दिनों में निराहर यानी बिना कुछ खाए देवी की पूजा करनी चाहिए। हालांकि कई लोगों के लिए ये मुश्किल होता है। इसलिए सिर्फ अष्टमी या नवमी पर इस तरह से कठिन तप और पूजा की जा सकती है। ऐसा करने से पूरे नवरात्र की पूजा का विशेष फल मिल सकता है। कुछ लोग दोनों दिन भी व्रत-उपवास करते हैं। अष्टमी और नवमी पर किए गए व्रत-उपवास से तन और मन की शुद्धि तो होती ही है साथ ही देवी की कृपा से मनोकामना पूरी हो जाती है।

देवताओं ने भी किया था मां का पूजन
मार्कंडेय पुराण के मुताबिक देवताओं ने भी 9 दिनों तक देवी की विशेष पूजा की थी। देवराज इंद्र ने राक्षस वृत्रासुर का वध करने के लिए मां दुर्गा की विशेष पूजा-अर्चना की। यही नहीं भगवान शिव ने त्रिपासुर दैत्य के वध के लिए मां भगवती की पूजा की। जगत के पालनहार भगवान विष्णु ने मधु-कैटभ नामक दोनों असुरों का वध करने के लिए मां दुर्गा की पूजा की। वाल्मीकि रामायण में भी शक्ति पूजा का जिक्र आता है जो उन्होंने रावण वध से पहले की थी। देवी मां के आशीर्वाद से ही भगवान राम को अमोघ बाण मिला था, जिससे वो रावण का वध कर पाएं। पांडवों ने भी अपनी शक्ति बढ़ाने, धर्म के रास्ते जीत के लिए देवी मां की उपासना की थी।

नवरात्र में ध्यान रखने वाली बातें

  1. नवरात्रि के दौरान व्रत और पूजा करने वाले लोग दाढ़ी-मूंछ, नाखून और सिर के बाल कटवाने से बचें।
  2. कलश स्थापित किया है तो पूरे दस दिनों तक अखण्ड जोत जलाते हुए उस जगह को खाली ना छोड़ें।
  3. नौ दिनों तक तामसिक भोजन बिल्कुल ना करें। यानी लहसुन, प्याज और मांस सहित ठंड-बासी और किसी भी तरह का दूषित खाना न खाएं।
  4. व्रत करने वाले लोगों को इन दिनों अनाज का सेवन नहीं करना चाहिए। बल्कि फलाहार ही करें।
  5. पुराणों के मुताबिक व्रत के दौरान दिन में नहीं सोना चाहिए। ऐसा करने से व्रत भंग होता है यानी टूट जाता है।
  6. इन दिनों में शराब, तंबाकू और हर तरह के नशे से दूर ही रहना चाहिए।
  7. नवरात्र के दौरान पति-पत्नी को शारीरिक संबंध बनाने से भी बचना चाहिए।



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