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मोरनी17 घंटे पहले
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- मोरनी में नौतोड़ भूमि पर प्रशासन की कार्रवाई से किसान चिंतित
मोरनी के किसानों की गुजर-बसर का एकमात्र जरिया नौतोड़ भूमि, इस पर किसान कई पुश्तों से खेती करते आ रहे हैं। उस भूमि को किसानों के हक में करने की बजाय प्रशासन द्वारा उनके हक हकूकों से वंचित करने की चल रही कार्रवाई से मोरनी के किसान चिंतित हैं।
किसानों में इस बात की चिंता है कि अगर उनकी गुजर-बसर का एकमात्र यह जरिया भी प्रशासन और सरकार ने उनसे छीन लिया तो उनका गुजारा कैसे होगा। क्योंकि इस भूमि को किसान पिछले 100 सालों से इस्तेमाल कर रहे हैं किसानों के नाम इस जमीन की गिरधारी अभी राजस्व रिकाॅर्ड में दर्ज हैं। अब प्रशासन ने अचानक तोड़ने के आदेश दिए गए हैं।
हरियाणा के एकमात्र पहाड़ी क्षेत्र मोरनी में किसानों को नौतोड़ भूमि का मालिकाना हक दिलवाने के लिए शिवालिक विकास मंच के प्रधान विजय बंसल ने पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की हुई है। मामला अभी विचाराधीन है और समस्या के समाधान के लिए फॉरेस्ट सेटलमेंट अफसर भी कोर्ट के आदेशों पर नियुक्त किया हुआ है।
बंसल ने बताया कि उपायुक्त ने 7 सितंबर 2020 को किसानों के हितों को दरकिनार करते हुए प्रभावशाली लोगों को फायदा पहुंचाने की नजर से किसानों की 257 एकड़ की कुल भूमि पर गिरदावरी में नाम होने को अमान्य घोषित कर खसरा नंबरों को खत्म करने का फैसला लेकर राज्य सरकार से लागू करवा लिया है। इसके चलते अब मोरनी तहसीलदार को भी आदेश पारित कर दिए गए हैं।
जमीन पर कब्जा लेने के बारे कहा गया है। अब बंसल ने सीएम को पत्र लिखकर किसान विरोधी फैसले को लागू न करने की मांग की है। यह मामला अभी हाईकोर्ट के समक्ष लंबित है तथा कोर्ट मे अगली सुनवाई निश्चित है।
यह है मामला…
1987 में भारतीय वन अधिनियम 1927 की धारा 6 के अंतर्गत अधिसूचना जारी हुई थी जिसमें स्पष्ट किया था कि जब तक बंदोबस्त नहीं होता तब तक जमीन का स्वरूप नहीं बदला जाएगा। 14 भोज कोटाहा मोरनी हिल्स की मलकियत भूमि में सरकार द्वारा 8 भोज की भूमि को अधिग्रहण करते समय नोटिफिकेशन 28 मार्च 1969 में रिकाॅर्ड जमाबंदी 1961-62 को दर्ज नौतोड़ भूमि को आधार माना गया।
4 साल बाद 1969 से पूर्व अमल में लाई गई जमाबंदी 1965-66 भी बनी है उसको आधार वर्ष नहीं बनाया गया। 23 जनवरी 1979 से पहले वर्ष 1975-76 में दर्ज जमाबंदी बनाई गई उसको भी आधार वर्ष नहीं माना गया। वन विभाग ने उपरोक्त अधिग्रहण नोटिफेक्शन जारी करते समय सर्वे ऑफ इंडिया शीट को ही रिकाॅर्ड माना गया।
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