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- फरीदाबाद निकिता मर्डर केस: एसआईटी ने 600 पेज चार्जशीट पेश की, 11 दिनों में सहेली इन कोर्ट समेत 60 लोग
फरीदबाद2 मिनट पहले
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फरीदाबाद में निकिता मर्डर केस में तैयार की गई चार्जशीट के साथ कोर्ट पहुंचे SIT के मेंबर।
- बल्लभगढ़ में 26 अक्टूबर को पेपर देकर लौट रही छात्रा निकिता की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी
- गुरुवार को चार्जशीट की एक्सपर्ट से भी जांच-पड़ताल कराई गई, डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी की अनुमति के बाद इसे पेश किया
फरीदाबाद के निकिता तोमर हत्याकांड में आरोपियों को सजा दिलाने की पुलिस ने पूरी तैयारी कर ली है। शुक्रवार को SIT ने 600 पन्नों की चार्जशीट कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत कर दी है। चार्जशीट में 60-61 गवाहों के बयान दर्ज किए गए हैं, जिनमें निकिता की सहेली के बयान को सबसे अहम माना जा रहा है। साथ ही संभावना है कि दिसंबर में इस केस की प्रॉपर सुनवाई शुरू हो जाएगी।

हापुड़ मूल की B.Com. फाइनल ईयर की छात्रा निकिता तोमर, जिसकी बीते दिनों अपहरण की कोशिश में हत्या कर दी गई थी। -फाइल फोटो
26 अक्टूबर को फरीदाबाद के सेक्टर-23 स्थित अपना घर सोसायटी में रह रही हापुड़ मूल के परिवार की बेटी निकिता का कत्ल कर दिया गया था। 21 साल की बेटी निकिता B.Com. थर्ड ईयर की छात्रा थी और घटना के वक्त बल्लभगढ़ के अग्रवाल कॉलेज से पेपर देकर बाहर निकली थी। इसी दौरान इकतरफा प्यार में नूंह से कांग्रेस विधायक आफताब अहमद के चचेरे भाई तौसीफ ने अपने एक दोस्त रेहान की मदद से कार में निकिता को अगवा करने की कोशिश की। इसी कोशिश में तौसीफ ने निकिता को गोली मार दी थी। पुलिस तौसीफ, रेहान और पिस्तौल उपलब्ध कराने वाले एक अन्य मददगार अजरुद्दीन को गिरफ्तार कर चुकी है। मामले में SIT जांच कर रही है। सरकार ने इस मामले की सुनवाई फास्टट्रैक कोर्ट में किए जाने की मंजूरी दे दी है।

कोर्ट में केस की कार्रवाई के संबंध में चर्चा करते वकील।
कल इसलिए नहीं सबमिट हो पाई चार्जशीट
गुरुवार को पुलिस प्रवक्ता आदर्श दीप सिंह ने दैनिक भास्कर को बताया कि एसआईटी की चार्जशीट की एक्सपर्ट से भी जांच-पड़ताल करा ली गई है। इसी प्रक्रिया के चलते गुरुवार को इसे फाइल नहीं किया जा सका, पर शुक्रवार को दोपहर 1 बजे इसे कोर्ट में पेश कर दिया गया। पुलिस ने चार्जशीट पुख्ता बनाने के लिए डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी से सलाह की। इसका अध्ययन करने में 4 से 5 घंटे का वक्त लग गया, इसीलिए गुरुवार को फाइल नहीं हो सकी। आज डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी की अनुमति के बाद कोर्ट में प्रस्तुत किया गया है।
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