Encyclopedia of Himalaya Chhering Dorje passed away due to coronavirus, played an important role in the construction of Atal Tunnel | प्रसिद्ध साहित्यकार छेरिंग दोरजे का निधन, 200 दर्रों को पैदल पार किया, अटल टनल के निर्माण में निभाई थी अहम भूमिका

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  • हिमालय छीरिंग डोरजे के विश्वकोश को कोरोनावायरस के कारण दूर चला गया, अटल सुरंग के निर्माण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई

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लाहौल स्पीति17 मिनट पहले

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अटल टनल के निर्माण में अहम भूमिका निभाने वाले छेरिंग दोरजे नहीं रहे।

  • कोरोना संक्रमित थे, तबीयत बिगड़ने के कारण उन्हें मेडिकल कॉलेज नेरचौक रेफर किया गया था

एनसाइक्लोपीडिया ऑफ हिमालय के नाम से विख्यात प्रसिद्ध साहित्यकार 85 वर्षीय छेरिंग दोरजे का शुक्रवार को निधन हो गया। वे कोरोना संक्रमित थे। 10 नवंबर को उन्होंने कोरोना टेस्ट कराया था, जिसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। इसके बाद से वे भुंतर स्थित तेगूबेहड़ कोरोना केयर सेंटर में उपचाराधीन थे।

गत रात्रि तबीयत बिगड़ने के कारण उन्हें मेडिकल कॉलेज नेरचौक रेफर किया गया था, जहां शुक्रवार की सुबह उन्होंने दम तोड़ दिया। उनके बेटे को भी कोरोना हुआ था, जिसका इलाज नेरचौक कॉलेज में चल रहा था। वह महामारी से जंग जीत गया, लेकिन उसके पिता कोरोना से पार नहीं पा सके।

1939 में गुस्कियार गांव में जन्मे छेरिंग दोरजे ने अटल रोहतांग टनल के निर्माण में अहम भूमिका निभाई थी। उन्होंने इस संबंध में केंद्र सरकार को कई चिट्ठियां लिखी और वे टनल के बारे में बातचीत करने दिल्ली भी गए थे। उन्हीं की वजह से लाहौल स्पीति को दुनिया में एक पहचान मिली।

छेरिंग दोरजे बतौर डीपीआरओ कार्यरत थे। नौकरी से रिटायर होने के बाद उन्होंने ने साहित्य के क्षेत्र में भी दुनियाभर में नाम कमाया था। हिमालय क्षेत्रों के इतिहास और भूगोल का अध्ययन किया। अपने जीवनकाल में उन्होंने प्रदेश के 200 दर्रों के पैदल पार किया था।

छेरिंग दोरजे को एनसाइक्लोपीडिया ऑफ हिमालय भी कहा जाता है। वह अखिल भारतीय इतिहास संकलन समिति के प्रदेश उपाध्यक्ष भी थे। सीएम जयराम ठाकुर, कैबिनेट मंत्री डॉ रामलाल मारकंडा और गोविंद ठाकुर ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है।

छेरिंग दोरजे भोटी भाषा थे। इस भाषा के प्रचार प्रसार के लिए वे जापान, कोरिया, रूस सहित विभिन्न देशों में गए। उनके परिवार में पत्नी और दो बेटे हैं। बौन धर्म के प्रचार में भी उनका खास योगदान रहा है। हिमाचल प्रदेश वह बौन धर्म के एकमात्र विद्वान थे।

छेरिंग दोरजे ने दुनिया के विभिन्न विश्वविद्यालयों में शोधार्थियों को व्याख्यान भी दिए। इसके अलावा वे रौरिक आर्ट गैलरी ट्रस्ट के लाहौल स्पीति के अध्यक्ष भी रहे। रौरिक आर्ट गैलरी ट्रस्ट नग्गर (कुल्लू) में मौजूद रूसी भाषा की किताबों और साहित्य का वह हिंदी और अंग्रेजी में अनुवाद करना चाहते थे।

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