Electricity board will sort out electricity crisis via satellite phone in Lahaul Spiti | लाहौल स्पीति के बिजली बोर्ड लगाए जाएंगे सेटेलाइट फोन, अब फोन सिग्नल बंद होने पर भी कर सकेंगे संपर्क

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कुल्लू12 मिनट पहले

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बोर्ड ने दो सैटेलाईट फोन खरीदे हैं, जिसके चलते मोबाईल और टेलीफोन सिगनल बंद होने के बावजूद भी वे आपस में संपर्क बनाए रख सकें।

  • पावर हाउस और सब स्टेशन के बीच संपर्क बनाए रखने के लिए खरीदे दो सैटेलाईट फोन
  • बर्फबारी के दौरान पावर हाउस थिरोट और सब स्टेशन कारघा के बीच नहीं हो पाता संपर्क

हिमाचल प्रदेश के लाहौल स्पीति में अब बिजली जाने पर लोगों को बिजली बोर्ड कर्मियों से संपर्क करने में कोई परेशानी नहीं होगी। क्योंकि एक नई व्यवस्था लागू होने जा रही है। लाहौल स्पीति में बिजली बोर्ड अब हाईटेक होगा। सर्दियों में जब बर्फबारी होती है तो घाटी में मोबाइल, टेलीफोन के सिगनल बंद हो जाते हैं।

ऐसे में बिजली बोर्ड के कर्मचारियों को लाईनें ठीक करने और बिजली की सप्लाई करने के लिए एक दूसरे से संपर्क करने में मुश्किल होता है। इसलिए बोर्ड ने दो सैटेलाईट फोन खरीदे हैं, जिसके चलते मोबाईल और टेलीफोन सिगनल बंद होने के बावजूद भी वे आपस में संपर्क बनाए रख सकें। इससे उन्हें इलाके में बिजली बहाल रखने में कर्मचारियों को आसानी होगी। एक सैटेलाइट फोन कारघा सब स्टेशन और एक थिरोट पावर स्टेशन में रखा जाएगा।

20 किलोमीटर दूरी है दोनों पावर स्टेशनों के बीच
33केवी सब स्टेशन कारघा और पावर स्टेशन थिरोट परियोजना के बीच की दूरी 20 किलोमीटर है। थिरोट में अभी किसी भी मोबाईल कंपनी का नेटवर्क अच्छा नहीं है, जिस कारण बोर्ड के कर्मचारियों और अधिकारियों को थिरोट में तैनात कर्मचारियों से संपर्क करना मुश्किल होता है। ऐसे में कारघा सब स्टेशन से कर्मचारियों को थिरोट जाना पड़ता है। बर्फबारी के दौरान पैदल चलना पड़ता है। इस वजह से कई-कई दिन तक लोग बिजली के बिना परेशानी उठाते रहते हैं।

सर्दियों में रोहतांग पास लाईन खराब होने पर थिरोट परियोजना से लेते हैं बिजली

सर्दियों में जब रोहतांग पास से होकर पलचान गई बिजली की लाईनें बर्फबारी के चलते खराब हो जाती हैं, तब घाटी की बिजली आपूर्ति ठप हो जाती है। ऐसे में बोर्ड थिरोट परियोजना की बिजली घाटी वासियों को उपलब्ध कराई जाती हैं। हालांकि अब रोहतांग पास होते हुए गई बिजली की लाईनों को विकल्प के तौर पर टनल से गुजारा जा रहा है, लेकिन उसके बावजूद भी यदि कोई दिक्कत आए तो थिरोट परियोजना से ही घाटी को बिजली सप्लाई की जाती है।

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