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- प्रदूषण के कारण, राज्य के 9 शहरों की 1.26 करोड़ आबादी को मिलेगी राहत, हर वार्ड में 2 जगहों पर गंदगी के नमूने
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जालंधर9 घंटे पहले
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- केंद्र सरकार की प्रदूषण शुद्ध करने की योजना में जालंधर, अमृतसर, लुधियाना समेत 9 शहर शामिल
- 4200 करोड़ होंगे खर्च, नवंबर में ही पहली और जनवरी में जारी होगी दूसरी किस्त
फेस्टिवल सीजन में दमघोंटू प्रदूषण से जूझ रही 9 शहरों की 1.26 करोड़ आबादी को राहत दिलाने का खाका तैयार किया गया है। इसके लिए सरकार ने आईआईटी दिल्ली के साथ रिसर्च का निर्णय लिया है। इस रिसर्च के लिए शहर के सभी वार्डों में 2-2 जगहों पर गंदगी होने की वजहों के सैंपल लिए गए हैं। केंद्र सरकार ने 15 राज्यों के 122 शहरों में 10 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों की प्रदूषित हवा को सुधारने की पहल की है।
इसमें सूबे के जालंधर, अमृतसर, पटियाला, लुधियाना समेत 9 शहर शामिल हैं। इसके लिए 15वें वित्त आयोग से 4200 करोड़ रुपया खर्चा किया जाएगा। 2 महीने के प्रदर्शन के आधार पर सरकार के द्वारा जनवरी माह में दूसरी किस्त दी जाएगी। यदि शहरी इकाइयों द्वारा पैसा न खर्चा किया गया तो इसका ब्याज वसूला जाएगा।
जांच होगी क्यों बढ़ रहा प्रदूषण
आईआईटी ने रिसर्च में 10 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों को चुना है। जालंधर के 80 वार्डों में 160 जगहों के सैंपल लिए हैं। यह पता लगाने की कोशिश होगी कि आखिर इन जगहों पर वायु अधिक प्रदूषित क्यों हो रही है, इसे कैसे रोका जा सकता है।
आईआईटी दिल्ली को दो माह पहले भेजे गए थे सैंपल
पंजाब पॉल्यूशन बोर्ड के निर्देश पर जिला प्रशासन ने नगर निगम व अन्य डिपार्टमेंट की मदद से सर्वे कराया था। सैंपल पीपीसी ने दो माह पूर्व ही आईआईटी दिल्ली को भेजा है। आईआईटी की ओर से अध्ययन भी किया जा रहा है। फिलहाल अब तक रिपोर्ट नहीं आई है।
सरकार की जैसी रिपोर्ट आएगी उस पर काम करेंगे: एक्सईएन
एक्सईएन कुलदीप सिंह ने कहा कि आईटीआई ने पीपीसीबी से 7 बिंदुओं पर रिपोर्ट मांगी थी। इनके आधार पर रिपोर्ट आईआईटी भेज दी है। आगे की क्या प्रगति है इस पर कोई जानकारी नहीं है। सरकार की ओर से जैसे ही कोई रिपोर्ट आती है, उस पर काम शुरू किया जाएगा।
आईटीआई ने पीपीसीबी से इन सात बिंदुओं पर मांगी थी रिपोर्ट
1. शहरी या फिर ग्रामीण एरिया में पराली जलाए जाने का डाटा।
2. किन किन जगहों में कितने ईंट भट्टे चल रहे हैं।
3. शहर के 6 से 7 पेट्रोल पंप जहां सबसे अधिक पेट्रोल डीजल की बिक्री होती है।
4. स्कूल कॉलेजों में चलने वाली जनरेटर की संख्या।
5. कंट्रक्शन से निकलने वाले डस्ट।
6. सरकारी ऑफिसो में चलने वाले जनरेटर।
7. शहर के वार्डो में लगने वाले कूड़े के ढेर।
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