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- गोविंद सागर को बचाने के लिए प्रदर्शन किया जाएगा, जनहित याचिका भी दायर की जाएगी: रामलाल ठाकुर
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बिलासपुर22 दिन पहले
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- सीवरेज की गंदगी भी इसी जलाशय में छोड़ी जा रही है।
- जलाशय को एक तरह से डंपिंग साइट बनाकर रख दिया गया है।
नयनादेवी के विधायक रामलाल ठाकुर ने गोविंद सागर में ठिकाने लगाई जा रही गंदगी को लेकर सरकार व प्रशासन पर निशाना साधा है।
उन्होंने कहा कि बिलासपुर के लिए गोविंद सागर झील का महत्व गंगा नदी जैसा ही है, लेकिन शहर के सारे कूड़े-करकट के साथ ही सीवरेज की गंदगी भी इसी में समा रही है। इसका असर मत्स्य उत्पादन के साथ ही शहर के सौंदर्य पर पड़ना स्वभाविक है।
वहीं, गंदगी व बदबू के चलते महामारी के दस्तक देने की भी आशंका है। बिलासपुर के हितों से जुड़े इस मामले को लेकर हर स्तर पर आवाज बुलंद की जाएगी। इसके तहत हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर करने के साथ ही धरने-प्रदर्शन से भी गुरेज नहीं किया जाएगा।वीरवार को सर्किट हाउस में पत्रकारों से बातचीत में रामलाल ठाकुर ने कहा कि गोविंद सागर जलाशय एक तरह से बिलासपुर जिला की भाग्य रेखा है। इसमें होने वाले मत्स्य उत्पादन से हजारों लोग रोजी-रोटी कमा रहे हैं।
इस जलाशय, कहलूर स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स तथा बंदला धार की वजह से बिलासपुर को थल, जल व नभ क्रीड़ाओं का त्रिवेणी संगम भी कहा जाता है। इस बात को नजरअंदाज करते हुए जलाशय को एक तरह से डंपिंग साइट बनाकर रख दिया गया है।
शहर का सारा कूड़ा-कर्कट अलीखड्ड के मुहाने पर जमा किया जा रहा है, जो वहां से गोविंद सागर में समा रहा है। इसी तरह सीवरेज की गंदगी भी इसी जलाशय में छोड़ी जा रही है। इसकी वजह से भाखड़ा बांध की आयु कम हो रही है, इसका असर प्रदेश की आय पर भी पड़ेगा।
इसके अलावा मछलियों का प्राकृतिक प्रजनन भी प्रभावित होगा। इसके बावजूद सरकार के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही है। कीरतपुर-नेरचैक फोरलेन के पिछले 3 वर्षों से ठप पड़े काम को लेकर सरकार की आलोचना करते हुए रामलाल ठाकुर ने कहा कि इन दिनों भाजपा के सभी नेता अटल रोहतांग टनल के फायदे गिनाकर इसकी वाहवाही बटोरने में लगे हैं।
जब तक फोरलेन नहीं बनेगा, तब तक रोहतांग टनल को लेकर शेख चिल्ली जैसी बातों का कोई महत्व नहीं है। फोरलेन का आलम यह है कि कई स्थानों पर पूर्व में बन चुकी सड़क का अस्तित्व मिटने के कगार पर है, जबकि कहीं निर्माणाधीन पुल ढह चुके हैं।
शुरुआत में इसकी लागत 1818 करोड़ रुपये थी, लेकिन कंपनी के अफसरों समेत कई प्रभावशाली लोगों ने ऐसी लूट मचाई कि 300 करोड़ कहां खर्च हुआ, इसका किसी को पता नहीं है।
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