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हमीरपुरएक घंटा पहले
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- अब तो हद हो गई, मेडिकल कॉलेज में मरीजों को कैसे मिले सुविधाएं-इस तरफ किसी का ध्यान नहीं
- कराह रहे मरीज, सरकार और अधिकारी हैं मौन, अस्पताल प्रशासन भी लापरवाह
(विक्रम ढटवालिया) मेडिकल कॉलेज हमीरपुर में खराब सीटी स्कैन मशीन एक माह बाद भी ठीक नहीं हो पाई है। दो माह पूर्व आई अल्ट्रासाउंड सिस्टम की नई मशीन की रजिस्ट्रेशन भी अभी नहीं हो पाई है। पीपी मोड पर एक्स-रे करवाने वालों को लंबा इंतजार करना पड़ रहा है।
वजह यह है कि सीटी स्कैन के साथ स्थित एक्स-रे रूम में एक्स-रे नहीं हो रहे। अब मरीज करें भी तो करें क्या? ‘नाम बड़े-दर्शन छोटे’ कहावत, हमीरपुर के इस मेडिकल कॉलेज में मरीजों के लिए यही संदेश दे रही है। बुनियादी ढांचे की खामियों ने मरीजों को हर एक जगह पर परेशान होने के लिए छोड़ दिया है। तभी तो कतारबद्ध ये मरीज यही पूछ रहे हैं,कि आखिर कौन करेगा, इस बिगड़ी हुई व्यवस्था में सुधार?
बीते रोज सीटी स्कैन मशीन को ठीक करने के लिए इंजीनियर आए तो थे लेकिन उसकी खामी दूर नहीं हो पाई। अब 15 साल पुरानी यह सीटी स्कैन मशीन ठीक भी हो पाएगी या नहीं? खुद अस्पताल प्रशासन को भी पता नहीं है। क्योंकि इसकी लाइफ मुकम्मल हो चुकी है। और नई मशीन खरीदने के लिए अभी कोई ऑर्डर नहीं दिया गया है।
ऐसे में मरीजों को प्राइवेट में ही भटकना पड़ेगा। तभी तो वे पूछ रहे हैं, यह कैसा मेडिकल कॉलेज? मेडिकल कॉलेज की इस सीटी स्कैन पर सरकारी रेट पर सीटी स्कैन होते हैं। जबकि बाहर प्राइवेट में दोगुने से ज्यादा पैसे मरीजों को खर्च में पढ़ते हैं। ऐसे में प्रदेश सरकार और उसका स्वास्थ्य अमला चैन की नींद क्यों सोया हुआ है, किसी की समझ में नहीं आ रहा।
स्थानीय नेता भी आखिर क्यों चुप्पी साधे हैं। एक्स-रे सुविधा भी प्रॉपर नहीं चल रही है। क्योंकि बीपी मोड पर जहां मरीजों के एक्स-रे हो रहे हैं, वहां भीड़ की वजह से मरीजों को लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। वे स्टेचर पर काफी देर तक कराहते को मजबूर हैं। लेकिन इस व्यवस्था में भी बेहतर सुधार कब होगा, किसी को भी कोई फिकर नहीं दिखती।
घंटों करना पड़ रहा है इंतजार
वीरवार को एक्स-रे रूम के बाहर जो नजारा देखा वह पीड़ादायक था। एक घंटे तक मरीजों को इंतजार करना पड़ रहा था। बाद में पता चला कि सीटी स्कैन के साथ जो एक्स-रे मशीन है, वहां भी एक्स-रे नहीं हो रहे हैं। इसी वजह से सारे मरीज पीपी मोड वाली एक्स रे मशीन के पास आ रहे हैं।
वहां 2 दिन से समस्या चल रही है। छोटी-छोटी तकनीकी खामियों पर किसी का कोई ध्यान नहीं है। कभी-कभी तो यह एहसास होता है कि संबंधित एचओडी आखिर इस व्यवस्था में सुधार क्यों नहीं करते। क्या राम भरोसे ही सारी व्यवस्था चलती रहेगी।
कमरा एक, मरीजों की तादाद काफी ज्यादा
अब हालात अल्ट्रासाउंड मशीन का ही देख लीजिए। केवल एक कमरे में काम हो रहा है। जबकि मरीजों की तादाद काफी ज्यादा है। यदि एक साथ दो अल्ट्रासाउंड मशीनों पर काम शुरू हो जाए तो मरीजों को ना ही तो लंबा इंतजार करना पड़ेगा और ना ही उन्हें लंबी डेट दी जाएगी। जिससे उनके आने जाने का खर्चा भी बचेगा और परेशानी भी।
दो माह पूर्व जो नई अल्ट्रासाउंड मशीन आई थी,उसकी रजिस्ट्रेशन कब होगी? अब इसका भी पता नहीं है। वैसे भी जिस मशीन पर एक्स-रे हो रहे हैं उसके रिजल्ट दर्जे के मुताबिक नहीं है, लेकिन कामचलाऊ व्यवस्था चल रही है नई बेहतर मशीन पर सारे अच्छे क्यों नहीं हो रहे यह भी सवाल है। लेकिन मरीज प्रशासन से पूछें भी तो पूछें कैसे?
एक ही मशीन पर हो रहे है एक्स रे
इधर मेडिकल कॉलेज के एमएस डॉ.आरके अग्निहोत्री का कहना है कि मशीन 15 साल पुरानी है और जिस कंपनी के पास देखरेख का ठेका है, उसके इंजीनियर इसे ठीक नहीं कर पा रहे। दो माह पूर्व अल्ट्रासाउंड की जो नई मशीन आई थी उसकी अभी रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया मुकम्मल नहीं हुई है। इसलिए दिक्कत आ रही है।
लेकिन एक्स-रे मशीन में केवल एक पर ही काम हो रहा है, इसका पता किया जाएगा। जबकि रेडियोलॉजी डिपार्टमेंट के एचओडी डॉ. पीके सोनी का कहना है कि सीटी स्कैन मशीन के सॉफ्टवेयर में दिक्कत है। नई खरीदने से ही समस्या हल हो पाएगी। डिमांड तो भेजी गई है,लेकिन कब खरीदी जाएगी? इसका उन्हें पता नहीं है।
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