[ad_1]
हिसार25 मिनट पहले
- कॉपी लिंक
दो दशकों से कैमरी रोड पर पीडब्ल्यूडी एंड बीएंडआर की जमीन पर अवैध रूप से बनीं दुकानें। ये पूरा बाजार सरकारी जमीन पर बना है।
- नगर निगम सीमा में कैमरी रोड पर एनक्रोचमेंट देख कर भी अफसरों ने बंद रखीं आंखें
(शैलेंद्र शर्मा) नगर निगम हो या फिर विद्युत वितरण निगम घोटाले और फर्जीवाड़े के लिए हमेशा चर्चा में रहे हैं। इस कड़ी में एक नाम पीडल्यूडी एंड बीएंडआर का भी और जुड़ गया। एक आरटीआई में पीडब्ल्यूडी में भी एक हैरत में डालना वाला भूमि घोटाला सामने आया है। कैमरी रोड स्थित नहर के निकट खुली पड़ी करोड़ों की सरकारी जमीन पर लोगों ने अवैध कब्जे कर पूरा बाजार तैयार बना लिया।
एक दो नहीं बल्कि एक मैरिज पैलेस की पार्किग सहित 40 से अधिक लोगों ने पक्की दुकानें बना कर खड़ी कर दीं। अफसरों के सामने ही पिछले 20 साल से यह बाजार संचालित हो रहा है। विभाग के अफसर यह कहकर पल्ला झाड़ रहे हैं कि उनकी जानकारी में नहीं आया। बड़ा सवाल है कि इतनी दुकानें एक दिन में नहीं बनी होंगी इनमें समय लगा होगा। बाजार में सभी दुकानें पक्की बनी हुई हैं। कई दो दो मंंजिला भी हैं।
हेयर ड्रेसर, साउंड सिस्टम, फ्रूट, किरयाना सहित का बिल्डिंग मैटीरियल का कारोबार यहां होता है। मेन रोड की साइड में छोड़ी गई जगह को देख यह अंदाज भी नहीं लग पाता कि ये जमीन सरकारी है। अब रेलवे क्रॉसिंग पर बन रहे आरओबी के चलते लोगों को आने जाने में दिक्कत हुई तो अवैध निर्माण का मामला उठना लाजमी था।
यूं उठा मामला : रेलवे क्रॉसिंग पर आरओबी निर्माण के चलते वाहन चालकों को दिक्कत हुई तो अधिवक्ता ने मांगा जवाब
कैमरी रोड रेलवे क्रॉसिंग पर आरओबी का निर्माण कराया जा रहा है। इसके लिए पीडबल्यूडी एंड बीएंडआर लगातार काम कर रहा है। ब्रिज के निर्माण से लोगों को दिक्कत हुई तो एक अधिवक्ता करन सिंह तंवर ने विभाग से आरटीआई मांगी। इसमे मैरिज पैलेस की पार्किंग सहित दुकानों के मामले में जानकारी मांगी थी। इसके बाद पीडब्ल्यूडी एंड बीएंड आर में खलबली मच गई।
आरटीआई में जानकारी में आया कि नहर किनारे बने मैरिज पैलेस पार्किंग सहित रेलवे क्रासिंग तक पूरा बाजार गुलजार है। इसमें 40 दुकानें बनी हैं। यह दुकानें पीडल्यूडी की जमीन पर अवैध रूप से बनी हैं। विभाग ने भी आरटीआई में इस बात की तस्दीक की है कि पूर्वी साइड में मैरिज पैलेस की पार्किंग सहित पूरा बाजार अवैध है।
घालमेल : आखिर कैसे बस गया सरकारी जमीन पर पूरा बाजार
अधिवक्ता करन सिंह तंवर बताते हैं सरकारी जमीन पर एक दो नहीं बल्कि पूरी 40 दुकानें बनाना अपने आप में हैरत कर देने वाला है। जो विभाग के अधिकारियों की भूमिका पर भी सवाल खड़े करता है। कहीं न कहीं इसमें अफसरों की संलिप्तता से भी इंकार नहीं किया जा सकता है। सड़क किनारे पड़ी पीडल्यूडी की जमीन की कीमत करोड़ों में हैं। इस जमीन पर एक दो लोग ने नहीं बल्कि 40 लोग अवैध रूप से काबिज है।
विभाग ने कराई पैमाइस तो सब शीशे जैसा साफ हुआ
विभाग में मामला उछला तो अधिकारियों ने तहसीलदार के माध्यम से इसकी पैमाइस कराई। इसमें सारे तथ्य शीशे की तरह साफ हो गए। पूरा बाजार सरकारी जमीन पर पाया गया। बड़ा सवाल है कि अब तक विभाग के संज्ञान में क्यों नहीं आया, या फिर विभाग जानबूझकर अंजान बना रहा।
जवाब मांगा तो सामने आया सच
निशानदेही पर इन लोगों के नाम आए सामने, बिना रजिस्ट्री के ही ये बन बैठे दुकानों के मालिक
ब्लैसिंग बैक्विट हाल, ओम प्रकाश राठी, महादेव, मांगेराम, विनोद कुमार, कविता देवी, रमेश, इंदराज, भीओ सिंह, भूमित्रा देवी, शमशेर जाखड़, अशोक कुमार, दयानंद, सुंदर, संदीप, शंकुतला देवी, आरएच बिश्नोई, रोभन लाल गोयल, सतपाल, बलबंत राया, प्रेम नरायाण, सतबीर, रामनिवास, ओम प्रकाश, सुकमा कौर, यशपाल, संतोषी देवी, अशोक कुमार, राजपाल, राममेहर, विजय पाल, परमेश, रनसिंह, कपूर सिंह ओमपति देवी, ओम ब्रिक्स कंपनी, प्रवीन, सालिक राम, लीलाकृष्ण शामिल हैं।
करोड़ों का गबन: करोड़ों के जमीन पर दुकानें बना चढ़ाईं किराए पर 35 सौ से 45 सौ रुपये हर महीने ले रहे किराया
इन अवैध कब्जेदारों ने दुकानें बनाकर किराए पर उठा दी हैं। इनमें अधिकांश दुकानों में किराएदार अपना कारोबार चला रहे हैं। कुछ दुकानों में खुद बनाने वाले ही अपना व्यवसाय चलाते हैं। एक दुकान से करीब 3500 -4500 तक प्रतिमाह किराया वसूला जा रहा है। औसतन प्रति दुकान प्रतिमाह के अनुमान लगाएं तो एक साल में पूरे बाजार को किराया 19 लाख 20 हजार रुपए होता है। यानी मोटे तौर पर 20 साल में यह धनराशि 3 करोड़ 84 लाख रुपए बनती है। सरकारी जमीन का ऐसा इस्तेमाल पहले कभी नहीं हुआ।
अफसर को पता नहीं: कैमरी रोड पर किसी को परेशानी की शिकायत हमें नहीं मिली, लेकिन ये कब्जा ही है : एक्सईएन
पीडब्लूटी एंड बीएंडआर के एक्सईएन विशाल का कहना है कि कैमरी रोड पर पूर्वी साइड में बसा हुआ बाजार अवैध है। पैमाइस में यह तथ्य सामने आए हैं। पुराना मामला है इसलिए किसी ने छेड़ा नहीं। क्योंकि कभी सड़क के संचालन में कोई रुकावट नहीं आयी। इस तरह के और भी मामले हो सकते हैं। हालांकि इसकी जिम्मेदारी संबंधित एसडीओ की है। कहां कहां एन्क्रोचमेंट हैं। कब्जेधारियों पर कार्रवाई की जा रही है।
[ad_2]
Source link