महिला सैल के सौजन्य से विश्वविद्यालय के महिला सुरक्षाकर्मियों तथा सफाई कर्मचारियों के लिए कार्यस्थल पर उत्पीड़न रोकने तथा मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर रखने से संबंधित कार्यशाला का आयोजन

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महिला सैल के सौजन्य से विश्वविद्यालय के महिला सुरक्षाकर्मियों तथा सफाई कर्मचारियों के लिए कार्यस्थल पर उत्पीड़न रोकने तथा मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर रखने से संबंधित कार्यशाला का आयोजन

गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, हिसार के महिला सैल के सौजन्य से विश्वविद्यालय के महिला सुरक्षाकर्मियों तथा सफाई कर्मचारियों के लिए कार्यस्थल पर उत्पीड़न रोकने तथा मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर रखने से संबंधित कार्यशाला का आयोजन किया गया। विश्वविद्यालय के चौधरी रणबीर सिंह सभागार के सेमिनार हॉल-2 में हुई इस कार्यशाला में विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. विनोद छोकर विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।

परामर्श एवं कल्याण केन्द्र के निदेशक प्रो. संदीप राणा तथा वरिष्ठ अधिवक्ता सुनीता श्योकंद विशेषज्ञ वक्ता के रूप में उपस्थित रहे। अध्यक्षता महिला सैल की अध्यक्षा प्रो. सविता उबा ने की। इस अवसर पर डा. तरूणा गेरा भी मंच पर उपस्थित रही।
कुलसचिव प्रो. विनोद छोकर ने कहा कि किसी भी संस्थान की बेहतरी में संस्थान से संबंधित हर पक्ष का योगदान महत्वपूर्ण होता है। विशेषकर सफाई कर्मी एवं सुरक्षाकर्मी किसी भी संस्थान के अनकहे नायक होते हैं। कार्यस्थल पर इनको उपयुक्त वातावरण देना विश्वविद्यालय की प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि 140 करोड़ जनसंख्या वाले देश को स्वच्छ तथा साफ रखने में 50 लाख सफाईकर्मी रात-दिन मेहनत करते हैं।

इनमें महिलाओं की संख्या लगभग 90 प्रतिशत है। महिला सुरक्षाकर्मी भी चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में अपने कर्तव्य को अंजाम देती हैं। लेकिन आज भी महिला और पुरुष की समानता अपेक्षा के अनुरूप नहीं है। हमें महिलाओं के प्रति अपनी मानसिकता को बदलना होगा। उन्होंने महिलाओं से भी कहा कि वे निडर होकर अपने प्रति होने वाले किसी भी उत्पीड़न की शिकायत करें।

विश्वविद्यालय का भीतरी वातावरण शांत व सौहार्दपूर्ण है। इसे और अधिक बेहतर बनाने में अपना योगदान दें। उन्होंने महिला सफाई कर्मियों व सुरक्षाकर्मियों से कहा कि वे अपने बच्चों को अवश्य पढ़ाएं। उनके बच्चों की पढ़ाई में विश्वविद्यालय प्रशासन हर संभव योगदान देगा।

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विशेषज्ञ वक्ता प्रो. संदीप राणा ने अपने सम्बोधन में कहा कि सृष्टि में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका है। महिलाएं खुद को कम ना आंके। अपने बारे में सकारात्मक सोचे। अगर मन में कुछ चल रहा है तो उसे अपने सहकर्मियों से बांटे। जो अच्छा होता है उसके लिए शुक्रिया अदा करें। हर हाल में खुश रहें।

अपने काम में आनंद लें। तभी आपका मानसिक स्वास्थ्य ठीक रहेगा। उन्होंने कहा कि मन से मजबूत हुए बिना खुद को बेहतर नहीं बनाया जा सकता और मन की मजबूती खुद के हाथ में होती है। व्यक्ति साधनों से नहीं, बल्कि सोच और साधना से महान बनता है।
अधिवक्ता सुनीता श्योकंद ने महिलाओं को उत्पीड़न से संबंधित कानूनी पहलुओं की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने समझाया कि किस प्रकार महिलाओं के साथ उनके कार्यस्थल पर जाने-अनजाने में उत्पीड़न होता है।

उन्होंने महिलाओं से कहा कि वे डरें नहीं, आवाज उठाएं, लेकिन साथ ही ध्यान रखें कि उनके द्वारा दी जाने वाली शिकायत झूठी न हो, अन्यथा भविष्य में उनका पक्ष कमजोर होगा। उन्होंने महिलाओं को बताया कि वे अपने साथ होने वाले उत्पीड़न की शिकायत कहां, कब और कैसे कर सकती हैं।

उन्होंने यह भी समझाया कि कौन-कौन सी हरकतें महिला उत्पीड़न के दायरे में आती हैं। महिलाओं को सुरक्षित व समानता का वातावरण देना संबंधित संस्थान की जिम्मेदारी है।
प्रो. सविता उबा ने अपने स्वागत सम्बोधन में कहा कि इस कार्यशाला का उद्देश्य विश्वविद्यालय में सुरक्षा, सम्मान व समानता का माहौल निर्मित करना है। इस प्रकार के आयोजन आगे भी किए जाते रहेंगे। उन्होंने महिला सैल के बारे में जानकारी दी। धन्यवाद प्रस्ताव डा. तरूणा गेरा ने किया। कार्यशाला का संचालन अंजलि ने किया।

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