Chakka jam at 16 places, including Fazilka, Abohar and Gobindgarh Chowk | फाजिल्का, अबोहर और गोबिंदगढ़ चौक समेत 16 जगह चक्का जाम, 4 घंटे थमे वाहनों के पहिए

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फाजिल्का21 घंटे पहले

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  • कृषि कानूनों के विरोध में सड़कों पर उतरे किसान, माेदी सरकार के खिलाफ की नारेबाजी
  • फाजिल्का और अबोहर में आठ-आठ जगह धरना-प्रदर्शन, लोग हुए परेशान
  • किसानों ने दोपहर 12 बजे ट्रक और ट्रालियां लगा सड़कें कर दीं बंद, शाम 4 बजे खुलीं
  • कारोबार पर पड़ा असर किसानों की चेतावनी- कृषि कानून रद्द होने तक संघर्ष जारी रखेंगे, किसानों का कर्जा माफ करने की भी मांग

कृषि सुधार कानूनाें के विरोध में आंदोलन कर रहे किसानाें ने वीरवार काे फाजिल्का, अबोहर किल्लियांवाली चौक और गोबिंदगढ़ चौक समेत 16 जगहों पर चक्का जाम कर धरना-प्रदर्शन किया। इसके चलते फाजिल्का में फाजिल्का-फिरोजपुर रोड और फाजिल्का के अंबेडकर चौक पर 4 घंटे का जाम लगाया गया।

दोपहर 12 बजते ही फाजिल्का-फिरोजपुर रोड पर ट्रक व ट्रालियां लगा दी गईं और दोपहिया वाहनों तक को निकलने का रास्ता नहीं मिला। जिले में 8 जगहों पर किसान संगठनों ने जाम लगाकर प्रदर्शन किया, जिससे वाहन चालकों को परेशानी का सामना करना पड़ा। गौर हो कि भले ही किसानों का धरना 12 बजे शुरू हुआ, लेकिन लंबे रूट होने के कारण बसों का आवागमन 11 बजे के बाद ही बंद हो गया तथा चार बजे के बाद ही बसों के चलने का सिलसिला शुरू हो पाया। उधर, अबोहर में भी किसान यूनियनों द्वारा 8 स्थानों पर दोपहर 12 से 4 बजे तक चक्का जाम कर प्रदर्शन किया गया। भारतीय किसान यूनियन एकता उगराहां ने क्षेत्र के तीन मुख्य मार्गों पर चक्का जाम किया, जिसमें अबोहर-संगरिया रोड पर बजीदपुर भोमा, अबोहर-हिदूमलकोट रोड पर किल्लियांवाली चौक और अबोहर-मलोट रोड पर गोबिंदगढ़ चौक में चक्का जाम करके किसानों-मजदूरों द्वारा रोष प्रदर्शन किया गया। वहीं, जमहूरी किसान सभा व भारतीय किसान यूनियन एकता सिद्धूपुर ने गांव डंगरखेड़ा की नहर के पुल पर धरना लगाया, जबकि अन्य किसान यूनियनों ने गिदडांवाली, सीतो गुन्नों, राजपुरा बैरियर अाैर खुईयांसरवर में धरना लगाकर प्रदर्शन किया गया।

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ऐसे हुआ रूट डायवर्ट
फाजिल्का जिला प्रशासन ने सुबह 11 बजे ही फाजिल्का-फिरोजपुर रोड पर नेशनल हाईवे जाम के चलते गांव बाधा की ओर सभी वाहनों को रोक लगाकर मलोट रोड पर गांव लालोवाली की ओर से डायवर्ट कर दिया, ताकि जाम की स्थिति न रहे। वहीं, फाजिल्का से अबोहर की तरफ जा रहे वाहनों को गांव कौड़ियांवाली की ओर मोड़ दिया गया तथा उनको अंबेडकर चौक की तरफ जाने ही नहीं दिया।

किसानों के रूट को डायवर्ट किए जाने से लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा तथा या तो उनको 4 से 8 किलोमीटर का अतिरिक्त सफर तय करना पड़ा या लगभग 5 घंटे तक धरना हटाए जाने का इंतजार करना पड़ा। उल्लेखनीय है कि पिछले लगभग 35 दिनों से कृषि सुधार कानून के खिलाफ धरने पर बैठे किसान संगठनों ने वीरवार दोपहर 12 बजे से शाम 4 बजे तक पंजाब के तमाम टोल प्लाजा पर वाहनों की ब्रेक लगाने की घोषणा की थी, जिसको लेकर पुलिस प्रशासन की ओर से सुरक्षा के तमाम इंतजाम किए गए थे।

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35 दिन से धरना दे रहे किसान, 27 को दिल्ली में प्रदर्शन

किसान यूनियन एकता सिद्धूपुर के जिला प्रधान प्रगट सिंह चक्कपक्खी, भारतीय किसान यूनियन कादियां के प्रांतीय प्रैस सचिव बूटा सिंह, कुल हिंद किसान सभा के सुरिन्दर ढंडियां, लोकतांत्रिक किसान सभा, क्रांतिकारी किसान सभा, गांव बचाओ पंजाब बचाओ समिति, स्त्री सभा, पेंशन एसोसिएशन, पल्लेदार यूनियन, पूर्व सैनिक विंग, नौजवान भारत सभा, कामरेड शक्ति, हरीश कम्बोज, रमेश वढेरा ने कहा कि मोदी सरकार किसान विरोधी सरकार है। किसानों के खिलाफ नीतियां लागू करके मोदी सरकार किसानों को तबाह करने पर तुली हुई है, क्योंकि किसान 35 दिनों से परिवारों सहित जिले में विभिन्न जगहों पर धरने पर बैठे हैं, लेकिन मोदी सरकार उनके दर्द को नहीं समझ रही। उन्होंने कहा कि 27 नवंबर को दिल्ली में किसान संघर्ष करने के लिए जाएंगे।

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दुकानदारी रही ठप अबोहर में किसानों द्वारा दोपहर 12 बजे से शाम 4 बजे तक हाईवे जाम किए गए। इसके चलते राहगीरों को बेहद परेशानी का सामना करना पड़ा। हालांकि किसानों द्वारा चक्का जाम करने की पहले ही सूचना दी जाने के कारण बहुत कम वाहन चालक घरों से निकले थे। वहीं, हाईवे बंद होने के कारण शहर में भी दिनभर कम संख्या में ग्राहक दुकानों पर पहुंचे थे, जिसके चलते दुकानदारी भी पूरा दिन ठप रही।

ये हैं किसानों की मुख्य मांगें पंजाब की विधानसभा में पास किए गए प्रस्ताव को गर्वनर द्वारा मंजूर करना चाहिए, क्योंकि इसमें पंजाब के समूह किसानों की भावनाएं जुड़ी हैं। पंजाब के चुने विधायकों व मंत्रियों को अपनी बात रखने के लिए राष्ट्रपति को मंजूरी देनी चाहिए। चुनावी वादों के अनुसार किसानों का समूह कर्जा माफ किया जाए और स्वामी नाथन की रिपोर्ट के अनुसार फसलों के भाव दिए जाए। पराली की संभाल के लिए चार हजार रुपए प्रति क्विंटल कर राहत दी जाए। पंजाब के ग्रामीण विकास का जो एक हजार करोड़ रुपए, जो कि केंद्र सरकार ने रोक लिया है, उसे तुरंत रिलीज किया जाए।

बासमती 1121 का कम से कम भाव प्रति क्विंटल 4000 रुपए निश्चित किया जाए। कोरोना के हालातों के चलते किसानों पर चढ़े कर्जे को बिना ब्याज मुक्त किया जाए, 23 फसलें, जिनका भाव केंद्र सरकार निश्चित करती है वह केंद्र की एजेंसियों द्वारा खरीदना यकीनी बनाया जाए। दशहरे के बाद बंद की गई मालगाड़ियों की आवाजाही फिर से शुरू की जाए, क्योंकि इससे गेहूं की फसल प्रभावित होगी।

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