[ad_1]
जोधपुर12 मिनट पहले
- कॉपी लिंक
सुश्री वनिता सेठ।
- नगर निगम उत्तर में डॉ. संगीता सोलंकी होगी भाजपा की महापौर पद प्रत्याशी
- कांग्रेस में घमासान चरम पर, थोड़ी देर में मुख्यमंत्री गहलोत करेंगे अंतिम फैसला
नगर निगम दक्षिण में पूर्व बहुमत मिलने के बाद भाजपा की तरफ से सुश्री वनिता सेट महापौर पद की प्रत्याशी होगी। पार्टी ने बरसों से जमीन से जुड़ी रहकर काम करने वाली अपनी सामान्य कार्यकर्ता को महापौर के लिए नामित किया है। वहीं नगर निगम उत्तर में भाजपा के पास बहुमत नहीं है, लेकिन पार्टी ने एहतियात के तौर पर डॉ. संगीता सोलंकी को अपना प्रत्याशी घोषित किया है। वहीं गुटबाजी में उलझी कांग्रेस ने अभी तक अपने पत्ते खोले नहीं है। आज नामांकन का अंतिम दिन है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इस बारे में निर्णय करेंगे।
नगर निगम दक्षिण क्षेत्र में भाजपा ने पूर्ण बहुमत हासिल किया है। नव गठित बोर्ड के लिए नव निर्वाचित पार्षद से चर्चा के बाद वनिता सेठ को महापौर पद का प्रत्याशी बनाया गया है। वनिता सेठ भाजपा की वरिष्ठ कार्यकर्ता और महिला मोर्चा की पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रह चुकी हैं। इससे पहले वानिता सेठ कोनकोर की डायरेक्टर भी रह चुकी है। वे पूर्व में शिक्षिका रह चुकी है।
खींचतान के बाद आखिरकार बरसों के अनुभव को मिली प्राथमिकता
महापौर पद के चयन को लेकर भाजपा में अंदरूनी लड़ाई चरम पर रही। निगम चुनाव में वसुंधरा राजे के खेमे की उपेक्षा के बाद अब दक्षिण निगम महापौर पद को लेकर राजे व शेखावत का खेमा पूरी तरह से सक्रिय हो गया था। शेखावत खेमा इंद्रा राजपुरोहित का समर्थन कर रहा था तो वसुंधरा खेमे के नेता वनिता सेठ के लिए लॉबिंग करने में जुटा था। हालांकि अंतिम फैसला केंद्रीय जलशक्ति मंत्री शेखावत व प्रदेशाध्यक्ष डॉ. सतीश पूनिया के साथ महामंत्री संगठन चंद्रशेखर, जिलाध्यक्ष देवेंद्र जोशी, राज्यसभा सांसद राजेंद्र गहलोत की पांच सदस्यीय कोर कमेटी ही को करना था। और आखिरकार वनिता सेठ के नाम पर मुहर लग गई।
ये रहा वनिता के चयन का आधार
प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है. ऐसे में यह तय है कि राज्य सरकार से पर्याप्त सहयोग नहीं मिलने वाला है। ऐसे में पार्टी को एक दबंग और तेजतर्रार महिला नेता की दरकार थी। जो नगर निगम दक्षिण की प्रभावी पैरवी कर सके। इन मापदंडों पर वनिता सेठ खरी उतरी। वहीं इंद्रा राजपुरोहित के पक्ष में सबसे बड़ी बाधा यही आई कि वे बहुत अधिक मृदुभाषी है। साथ ही बीकानेर में भी इसी समाज के व्यक्ति को महापौर बनाया हुआ है। ऐसे में एक ही जाति के दो लोगों को दो शहरों की बागडोर सौंपने से गलत मैसेज जा सकता था।
[ad_2]
Source link