बसंत पंचमी: सरस्वती पूजा शुभ मुहूर्त, पूजा मंत्र और विधी | संस्कृति समाचार

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Basant Panchami 2021: बसंत पंचमी (16 फरवरी) का त्योहार भारत में वसंत के मौसम के आगमन का प्रतीक है। यह हर साल माघ के हिंदू चंद्र कैलेंडर महीने के 5 वें दिन मनाया जाता है, जो आमतौर पर जनवरी या फरवरी के आसपास होता है। यह त्यौहार देवी सरस्वती को समर्पित है जो हिंदू धर्म में ज्ञान, संगीत और कलाओं का प्रतीक हैं। भक्तों ने ‘अनुज’ मुहूर्त के दौरान सरस्वती पूजा अनुष्ठान किया, क्योंकि यह एक शुभ समय माना जाता है।

सरस्वती पूजा शुभ मुहूर्त

देवी सरस्वती की प्रार्थना करने का आदर्श समय सुबह पंचमी (पंचमी) तिथि (तिथि) के दौरान होता है। वैसे तो पूरे दिन को शुभ माना जाता है।

पंचमी तिथि प्रारंभ करें: यह 16 फरवरी को सुबह 3:36 बजे शुरू होती है

पंचमी तिथि का अंत: यह 17 फरवरी को सुबह 5:46 बजे समाप्त होता है

वसंत पंचमी मुहूर्त: 16 फरवरी को सुबह 6:59 से दोपहर 12:35 के बीच

वसंत पंचमी मध्याह्न: दोपहर 12:35 बजे

यह भी पढ़ें: बसंत पंचमी 2021: सरस्वती पूजा की तिथि और समय, महत्व और इसे कैसे मनाएं

बसंत पंचमी सरस्वती पूजा के लिए जरूरी चीजें

For the puja, one requires mango wood and leaves, Kesar, Haldi, Akshat, Kumkum, Gangajal, Kalash, Naivedya, Havan samidha, Chandan, Shodash Matrika, Saraswati yantra and Durva dal. People usually wear yellow clothes during the puja and prepare saffron sweets as prasad.

सरस्वती पूजा कैसे करें

शुरू करने के लिए Basant Panchami pujaलकड़ी के मंच पर एक पीला / लाल कपड़ा बिछाएं और उसके बाद उस पर देवी सरस्वती की तस्वीर या मूर्ति रखें। अपनी किताबें या अपने बच्चों की स्कूली किताबें देवी सरस्वती के चरणों में रखें।

घी / सरसों के तेल या तिल के तेल का उपयोग कर एक दीपक जलाएं और कुछ अगरबत्ती भी जलाएं। अपनी प्रार्थना के दौरान, माँ सरस्वती को अपने प्रसाद और भक्ति को स्वीकार करने के लिए आमंत्रित करें।

जानिए पूजा मंत्र के लिए सरस्वती पूजा

यह एक सरस्वती पूजा के दौरान आमतौर पर सुनाया जाने वाला मंत्र है:

Ya Kundendutusharhardhavala ya Shubhravastravrita ya Veenavaradandamanditkara ya Shwetapadmasana.
Ya brahmachyut sankaraprabhritibhirdevai: Sada vandita sa maa patu saraswati bhagwati nissheshjadyapaha
शुक्ल ब्रह्मविचार सार परममद्या जगदव्योपनि वीणा-पुष्पक-धारिणीमाभयदा जयदन्धकारापहम्।
Haste sfatikamalika viddhati padmasane sansthitamtra vande ta parmeshwarin bhagvati buddhiprada shardamtra

हम अपने पाठकों को सरस्वती पूजा की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ देते हैं।



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