गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, हिसार गुजविप्रौवि के स्पीकाथॉन क्लब द्वारा आजादी अमृतमहोत्सव श्रृंखला का 17वां संस्करण आयोजित

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गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, हिसार के ट्रेनिंग एंड प्लेसमैंट सैल के मार्गदर्शन में स्पीकाथॉन क्लब द्वारा भारत की आजादी के 75वें वर्ष के उपलक्ष्य में ‘ऑनलाइन भाषण प्रतियोगिता’ के रूप में ‘आजादी अमृत महोत्सव श्रृंखला’ के 17वें संस्करण का आयोजन किया गया। विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक प्रो. यशपाल सिंगला कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे। प्रिंटिंग टेक्नोलॉजी विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ पंकज तिवारी व ईसीई विभाग के डॉ अभिमन्यु नैन भाषण प्रतियोगिता के निर्णायक थे। ऑनलाइन कार्यक्रम में विभिन्न महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों के 40 विद्यार्थी उपस्थित रहे।  प्रतिभागियों ने स्वतंत्रता सेनानियों की नवंबर माह में आने वाली जयंती या शहादत की वर्षगांठ पर श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके जीवन संघर्ष के बारे में चर्चा की।
मुख्यातिथि प्रो. यशपाल सिंगला ने कहा कि आजादी अमृतमहोत्सव स्वतंत्र भारत के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में भारत सरकार द्वारा शुरू किया गया एक अभियान है। उन्होंने आगे कहा कि इस तरह की गतिविधियों से न केवल युवा भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के गुमनाम नायकों से परिचित होंगे, बल्कि निश्चित रूप से हमारे युवाओं को 2047 के भारत का एक विजन रखने और उसके लिए कड़ी मेहनत करने की प्रेरणा भी मिलेगी। Photo 2 TP 17.11.2021
प्लेसमैंट निदेशक प्रताप सिंह मलिक ने अपने स्वागत सम्बोधन में इस श्रृंखला में भाग लेने के लिए विद्यार्थियों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों में अभिव्यक्ति की शक्ति को विकसित करने और स्वतंत्रता संग्राम के गुमनाम नायकों के बारे में जानने हेतु विद्यार्थियों को एक मंच प्रदान करने के लिए आजादी अमृत महोत्सव श्रृंखला शुरू की गई है। उन्होंने विद्यार्थियों से इन स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में पढ़ने और यह समझने की अपील की कि इन योद्धाओं ने देश की आजादी के लिए कितनी कठिन परिस्थितियों में लड़ाई लड़ी। Photo 3 TP 17.11.2021
स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए विद्यार्थियों ने बाबू कुंवर सिंह के जीवन संघर्ष पर चर्चा की, जिन्होंने 80 वर्ष की आयु के बावजूद 1857 के भारतीय स्वाधीनता संग्राम के नेता के रूप में अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी।  विद्यार्थियों ने भारत रत्न और स्वतंत्रता सेनानी पंडित मदन मोहन मालवीय के जीवन पर प्रकाश डाला, जिन्होंने समाचार पत्र ‘द लीडर’ के माध्यम से स्वतंत्रता संग्राम की ज्वाला को प्रज्वलित किया और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय जैसी संस्था की भी स्थापना की। उन्होंने रेखांकित किया कि मदन मोहन मालवीय द्वारा ‘सत्यमेव जयते’ के नारे को लोकप्रिय बनाया गया था। विद्यार्थियों ने स्वतंत्रता सेनानी और स्वतंत्र भारत के पहले प्रधान मंत्री के जीवन पर भी चर्चा की। लाला लाजपत राय के जीवन पर बोलते हुए, जो बाल-पाल-लाल की तिकड़ी में से एक थे, प्रतिभागियों ने 1928 में साइमन कमीशन के खिलाफ उनके विरोध और हिसार के साथ उनके संबंध को भी याद किया। प्रतिभागियों ने अबुल कलाम आजाद के जीवन पर प्रकाश डाला, जिन्होंने भारतीय राष्ट्रवाद और भारत में हिंदू-मुस्लिम एकता के लिए काम किया तथा भारत सरकार में पहले शिक्षा मंत्री के रूप में भी भूमिका निभाई।  कई विद्यार्थियों ने भगत सिंह के आदर्श करतार सिंह सराभा पर बोलना चुना, जो केवल 15 साल की उम्र में गदर पार्टी के सदस्य बन गए और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के लिए लड़ना शुरू कर दिया। विद्यार्थियों ने सचिंद्र नाथ बख्शी पर अपने विचार साझा किए जो एक प्रमुख भारतीय क्रांतिकारी और हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के संस्थापक सदस्यों में से एक थे। कई विद्यार्थियों ने गुमनाम नायक और ‘भारतीय सशस्त्र विद्रोह के जनक’ वासुदेव बलवंत फड़के के जीवन को रेखांकित किया, जिन्होंने रामौसी सेना का गठन किया और कुछ दिनों के लिए पुणे को ब्रिटिश शासन से मुक्त किया। प्रतिभागियों ने ज्योतिराव गोविंदराव फुले को भी याद किया जो एक भारतीय लेखक, सामाजिक कार्यकर्ता, विचारक और महाराष्ट्र के जाति-विरोधी समाज सुधारक थे। उन्हें अस्पृश्यता और जाति व्यवस्था के उन्मूलन की दिशा में काम करने और महिलाओं को शिक्षित करने के उनके प्रयासों के लिए जाना जाता है। विद्यार्थियों ने बटुकेश्वर दत्त के साहसी जीवन पर भी बात की, जिन्होंने भगत सिंह के साथ 8 अप्रैल, 1929 को नई दिल्ली में केंद्रीय विधान सभा में बम विस्फोट किया।
निणार्यक डॉ. पंकज तिवारी ने प्रतिभागियों के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने विद्यार्थियों को बेहतर प्रदर्शन के लिए अपनी बॉडी लैंग्वेज, कंटेंट की गुणवत्ता और समय-प्रबंधन पर काम करने की सलाह दी। निर्णायक डॉ. अभिमन्यु नैन ने विद्यार्थियों से कहा कि भागीदारी जीत से ज्यादा जरूरी है। उन्होंने सुझाव दिया कि सामग्री व उसकी प्रस्तुति स्पष्ट, संक्षिप्त और समयबद्ध होनी चाहिए। एक्टिविटी मेंटर डॉ. रंजीत दलाल ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया।
ट्रेनिंग एंड प्लेसमैंट सैल के सहायक निदेशक आदित्यवीर सिंह ने बताया कि जूनियर वर्ग में लविशा बगेजा, नवदीप व मोनिका ने क्रमश: प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान प्राप्त किया। सीनियर वर्ग में संबित और सिंधु ने प्रथम व द्वितीय पुरस्कार प्राप्त किया।  तीसरा पुरस्कार सामूहिक रूप से पूजा नरवाल और मोनिका सिहाग ने जीता।
गतिविधि समन्वयक प्रतिभा और राघव के साथ क्लब समन्वयक अपूर्वा व शुभम तथा टीम के अन्य सदस्यों ने इस कार्यक्रम का प्रभावी ढंग से समन्वय किया। कार्यक्रम का संचालन राखी बेरवाल और शोभा मेहरा ने किया।

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