Ayurveda says that 100% bacteria are free silverware, it has been told in texts that sacred metal | आयुर्वेद कहता है 100 फीसदी बैक्टीरिया फ्री होते हैं चांदी के बर्तन, ग्रंथों में इसे बताया है पवित्र धातु

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18 दिन पहले

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  • मत्स्य पुराण कहता है शिवजी के तीसरे नैत्र से हुई चांदी की उत्पत्ति, इसलिए है पवित्र धातु
  • चांदी के बर्तनों में खाना खाने से बढ़ती है रोग प्रतिरोधक क्षमता और तेज होती है याददाश्त

चांदी सिर्फ गहनों के तौर पर ही कीमती नहीं है, बल्कि सेहत के मामले में भी फायदेमंद है। धर्म ग्रंथों में इसे पवित्र धातु का दर्जा दिया गया है। सदियों पहले जब अन्य धातुएं नहीं थी तब चांदी के बर्तनों का इस्तेमाल खाने-पीने में किया जाता था। इससे लोग शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से सेहतमंद रहते थे। आज भी चांदी के बर्तन के इस्तेमाल की परंपरा के चलते बच्चे को पहली बार चांदी के बर्तन में ही खाना खिलाया जाता है। ये सिर्फ परंपरा ही नहीं है बल्कि, इससे सेहत भी अच्छी रहती है।

ग्रंथों में पवित्र धातु है चांदी
देवी पुराण के मुताबिक नवरात्र में चांदी के बर्तनों में देवी को खीर का भोग लगाना चाहिए। धर्म शास्त्रों के जानकार काशी के पं. गणेश मिश्र का कहना है कि धर्म ग्रंथों में चांदी को पवित्र धातु का दर्जा दिया गया है। उन्होंने बताया कि मत्स्य पुराण के मुताबिक चांदी की उत्पत्ति शिवजी के तीसरे नैत्र से हुई है। इसलिए ये पितरों की प्रिय धातु कही गई है। इसी कारण श्राद्ध और पितरों की पूजा में खासतौर से चांदी के बर्तनों के उपयोग का विधान बताया गया है।

आयुर्वेद: कई बीमारियों को दूर करने में मददगार
आयुर्वेदिक हॉस्पिटल बनारस के चिकित्सा अधिकारी वैद्य प्रशांत मिश्रा के मुताबिक चांदी के बर्तनों में खाना खाने से वात रोगों में राहत मिलती है। चांदी, आंखों के रोग, एसिडिटी और शरीर की जलन दूर करने में मददगार है। चांदी से बने बर्तनों के इस्तेमाल से मानसिक बीमारियों में राहत मिलती है और नींद नहीं आने की शिकायत भी दूर हो जाती है। इससे शरीर में शुगर लेवल भी सामान्य रहता है।

बढ़ती है रोग प्रतिरोधक क्षमता और मन रहता है शांत
वैद्य प्रशांत मिश्रा बताते हैं कि चांदी का बर्तन किसी भी खाने की चीज को कीटाणुओं से बचाए रखने में कारगर होता है। इसीलिए खासतौर से बच्चों को चांदी के बर्तन में खाना खिलाना चाहिए, ताकि वह किसी भी संक्रमण से बचे रहें। चांदी के बर्तनों में पानी, दूध या कोई और तरल पदार्थ रखने से उसकी शुद्धता बढ़ जाती है। इसके साथ ही चांदी शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाती है। चांदी का स्वभाव ठंडा माना जाता है। इसमें खाना खाने से मन शांत भी रहता है।

100 फीसदी बैक्टीरिया फ्री होते हैं चांदी के बर्तन
राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान के डॉ. अजय साहु और डॉ. हरीश भाकुनी के मुताबिक ये धातु 100 फीसदी बैक्टीरिया फ्री होती है इसलिए इंफेक्शन से भी बचाती है। चांदी के बर्तन इम्युनिटी बढ़ाकर मौसमी बीमारियों से भी बचाते हैं। इनका कहना है कि चांदी के बर्तन में खाने से किसी भी तरह का साइड इफेक्ट नहीं होता है। ये हर तरह से सेहत के लिए अच्छा ही होता है।

याददाश्त होती है तेज
इस धातु का संबंध दिमाग से है और ये शरीर के पित्त को नियंत्रित करती है। खासकर छोटे बच्चों का दिमाग तेज करने के लिए चांदी के बर्तन में भोजन या पानी दिया जाता है। इसकी प्रकृति शरीर को ठंडा रखती है। चांदी के बर्तन में खाना खाने से तन और मन स्थिर और शांत होता है। ऐसे लोग जो संवाद करते हैं या किसी अध्ययन से जुड़े हैं वे चांदी के बर्तन का इस्तेमाल कर सकते हैं।



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