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- ऑटो सेक्टर संकट: दैनिक भास्कर के साथ विंकेश गुलाटी का साक्षात्कार | ऑटो डीलर संकट पर फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन (FADA) के अध्यक्ष विंकेश गुलाटी बोलते हैं
एक महीने पहलेलेखक: नरेंद्र जिझोतिया
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- अगले 6 महीने में इलेक्ट्रिक व्हीकल के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर बेस लेवल पर पहुंच जाएगा
- देश में एंट्री करने वाली नई चीनी ऑटो कंपनियों पर भी रखी अपनी राय रखी
कोविड-19 महामारी के बुरे दौर से गुजरने के बाद अब ऑटो इंडस्ट्री की हालात में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है। पिछले 2 महीनों में ऑटो सेल्स का ग्राफ तेजी से ऊपर आया है। हालांकि, इस साल इतिहास में पहली बार ऐसा मौका भी आया जब अप्रैल में एक कार भी नहीं बिकी। लॉकडाउन और गाड़ियों की घटती डिमांड के बीच कई डीलर्स ने नुकसान की वजह से शोरूम भी बंद कर दिए। अब आने वाले दिनों ऑटो इंडस्ट्री में क्या सुधार होंगे? इसके लिए दैनिक भास्कर ने फाडा (फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया) के नए प्रेसिडेंट विंकेश गुलाटी से बातचीत की।
सवाल: पिछले 2 महीने में ऑटो सेल्स में इजाफा हुआ है, गाड़ियों की डिमांड लगातार बढ़ रही है, इससे ऑटो इंडस्ट्री किस हद तक उबरने में कामयाब रही है?
जवाब: पिछले दो महीने सेल्स के हिसाब से काफी उत्साहपूर्ण रहे हैं। फेस्टिवल सीजन की शुरुआत और सरकार द्वारा बाजार को खुला रखने के अथक प्रयासों से ग्राहकों में काफी उत्साह देखने को मिला है। वे कस्टमर, जो वाहन खरीदने के लिए फेस्टिवल सीजन का इंतजार कर रहे थे, उन्होंने खरीददारी शुरू कर दी है। अक्टूबर, नवंबर में दीपावली व दशहरा के चलते हम बेहतर सेल की उम्मीद कर रहे हैं। कोरोना काल में सोशल डिस्टेंसिंग के कारण लोगों के बीच छोटी गाड़ियों और टू-व्हीलर्स की मांग बढ़ी है। हम अभी भी प्री-कोविड सेल्स से काफी दूर हैं। वह तभी संभव हो पाएगी, जब बैंक व एनबीएफसी ग्राहकों को ऋण देने की प्रक्रिया को पहले की तरह आसान बना देंगे।
सवाल: जिन डीलर्स की सेल्स अभी भी डाउन है, उनको फाडा की तरफ से क्या मदद मिलती है या उनके लिए फाडा की प्लानिंग क्या होती है?
जवाब: हम सबके लिए यह एक कठिन समय है और सब लोग अपनी तरह से इससे उभरने के हर संभव प्रयास कर रहे हैं। ऑटो डीलरशिप एक ऐसा व्यवसाय है, जिस पर कोविड-19 का सबसे गहरा असर पड़ा है। ऑटो डीलरशिप बहुत-ही संकुचित मुनाफे पर काम करनेवाला व्यवसाय है और हमारे पास गाड़ी और कंपोनेंट निर्माताओं के जैसे बड़े फंड नहीं होते हैं, जिससे हमारे लिए इस मुश्किल समय से उभरना ज्यादा कठिन हो रहा है।
लॉकडाउन के समय फाडा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को डीलरों की समस्या से अवगत कराने के लिए एक पत्र लिखा था, जिसमें डीलरशिप सर्वाइवल और डिमांड रिवाइवल की सलाह दी गयी थी। इसके अलावा वाहन निर्माता कंपनी के संगठन को एक पत्र लिख कर डीलरों की स्थिति से अवगत कराया और डीलर मार्जिन को बढ़ाने की मांग की। डीलरों के भविष्य को सुरक्षित करते हुए कार निर्माता कंपनियों से डीलर मार्जिन को 5% पीबीटी तक बढ़ाने एवं इन्फ्रास्ट्रक्चर कॉस्ट को 25% घटाने की मांग की।
सवाल. कोविड की वजह से कई डीलर्स को नुकसान हुआ है, यहां तक कई शोरूम बंद हो गए। ऐसे में बंद हो चुके शोरूम को फिर से ओपन कराने या फिर आने वाले दिनों में डीलर्स को राहत मिले, इसके लिए फाडा क्या कदम उठाएगा?
जवाब: कुछ डीलर नहीं, बल्कि सभी डीलरों को काफी नुकसान हुआ है और उन्हें इस मुश्किल दौर से उभरने में काफी कठिनाई हुई है। ऐसा पहली बार हुआ है, जब इंडस्ट्री ने शून्य सेल्स दर्ज की है। छोटे मुनाफे पर काम कर रहे डीलरों को इस कठिन समय में बिना किसी कमाई के व्यापारिक खर्च जैसे – शोरूम का किराया, कर्मचारियों का वेतन, बैंक का ब्याज आदि का वहन करना पड़ा है। अभी तक ऐसा नहीं देखा गया कि डीलरशिप को बंद होना पड़ा हो. हां, कुछ आउटलेट जरूर बंद किये गये हैं, जो डीलर और कार निर्माता कंपनी की आपसी सहमति से बंद किए गए हैं।
फाडा ने जुलाई, अगस्त महीने में ‘डीलर सपोर्ट सेटिस्फेक्शन सर्वे’ कराया, जिसमें यह तथ्य सामने आया कि 46% डीलरों को भविष्य में व्यवसाय के विकास और लॉकडाउन के बाद व्यवसाय को फिर से शुरू करने के लिए कार निर्माता कंपनी से सहयोग चाहिए।
सवाल: कोरोना की वजह से पिछले कुछ महीनों में ऑटो इंडस्ट्री से जुड़े जॉब पर भी खतरा रहा है। कौन-से ऑटो सेक्टर में लोगों ने ज्यादा नौकरियां गंवाई हैं। ऑटो सेक्टर में जॉब के लिए क्या प्लानिंग है?
जवाब: कोरोना ने ऑटो सेक्टर ही नहीं, बल्कि सभी सेक्टरों की नौकरियों को प्रभावित किया है। जहां तक डीलरशिप बिजनेस का सवाल है, हमारे पास अभी तक ऐसी कोई खबर नहीं आई है। हर डीलर के लिए उसका मैनपावर महत्वपूर्ण होता है। हर डीलर अपने मैनपावर की ग्रूमिंग और ट्रेनिंग पर काफी समय इन्वेस्ट करता है। ऐसे में किसी को भी निकालना उसके लिए कठिन होता है। हमारी इस फेस्टिवल सीजन से बहुत अपेक्षाएं हैं। हम जिस तरह की फेस्टिवल सेल्स की उम्मीद कर रहे हैं, यदि वैसी सेल्स नहीं हुई, तो डीलरों के पास कोई और विकल्प नहीं रह जाएगा और नौकरियों का नुकसान होगा। एक गाड़ी के बिकने से कई तरह के रोजगार को बढ़ावा मिलता है, जिनमें मैन्युफैक्चरिंग, सेल्स, फाइनेंस, सर्विसिंग, स्पेयर पार्ट्स, ड्राइवर आदि शामिल हैं।
सवाल: क्या डीलर्स अपने ग्राहकों को राहत देने या नई कार खरीदने में किसी तरह की मदद कर रहे हैं? क्या ग्राहकों को देखते हुए भी फाडा की कोई प्लानिंग है?
जवाब: हमारा डीलर मार्केट 3 से 4 प्रतिशत का है। जैसे एक 4 लाख की मारुति कार में 4% 16 हजार रुपए आता है। ऐसे में यदि किसी कस्टमर को 16 हजार में से 10 हजार रुपए का ऑफर भी कर दिया जाए, तो क्या जिस ग्राहक को कार नहीं खरीदनी है वो खरीदेगा। हांलाकि, डीलर का सपोर्ट सिस्टम काफी अच्छा होता है। जैसे कोई ग्राहक गाड़ी को खरीदने में कन्फ्यूज है तब उसको कई अलग तरह की फाइनेंस स्कीम बताकर सपोर्ट कर सकते हैं। थोड़ा बहुत डिस्काउंट तो करते ही हैं। हर डीलर चाहता है कि कोविड से पहले उसका मार्केट जैसा था वो उस स्थिति में दोबारा पहुंच जाए।
सवाल: इस साल कई चीनी कंपनियां भारत में डेब्यू करने वाली थीं, लेकिन कोविड की वजह से इसमें देरी हो गई? अब जब देश में चीन का विरोध हो रहा है तो क्या ये कंपनियां भारत में आएंगी?
जवाब: देश में ओपन इकॉनमी है। किसी भी चीज को बंद नहीं किया जा सकता। कोविड की वजह से थोड़ा डिले हो सकता है। मुझे लगता है की चीनी कंपनियां देश में आएंगी इसमें एक साल का वक्त लग सकता है। GWM ने तो GM की मशीन खरीदने की बात भी फाइनल कर ली थी, उन्होंने डीलर्स से भी बात कर ली थी। अभी चीनी कंपनियों को लेकर सोशल मीडिया पर निगेटिविटी फैल रही है। ऐसे में अभी चीनी कंपनियां अपनी लॉन्चिंग या भारत में एंट्री को डिले कर रही हैं।
सवाल: देश में अब इलेक्ट्रिक गाड़ियां बनाने वाली कंपनियां बढ़ रही हैं और इनकी डिमांड भी बढ़ रही है। तो क्या देश इसके लिए तैयार है? हालांकि, देश में इसका इन्फ्रास्ट्रक्चर अभी तैयार नहीं है।
जवाब: इसे लेकर हमारी सरकार और मैन्युफैक्चरर्स दोनों से चर्चा चल रही है। जितने भी अपने मेट्रो और बड़े टाउन के डीलर्स हैं वहां पर टाटा और महिंद्रा जैसी कंपनियों ने अपने चार्जिंग स्टेशन बना दिए हैं। हम लोग इस बात पर पुश कर रहे हैं जिन लोकेशन पर बड़े पेट्रोल पंप हैं वहां पर भी सरकार चार्जिंग स्टेशन बना दे। ऐसे में मिनिमम 6 महीने से सालभर में इंफ्रास्ट्रक्चर बेस लेवल पर पहुंच जाएगा।
गाड़ी के चार्जिंग स्टेशन से ज्यादा बड़ी समस्या गाड़ी की कीमत, रेंज और उसकी डीलरशिप की है। जैसे, आज आप दिल्ली में टाटा नेक्सन इलेक्ट्रिक खरीद सकते हैं, लेकिन कानपुर में खरीदना चाहें तो क्या वहां पर डीलरशिप है। इस बारे में सोचना पड़ेगा। इसके साथ यूपी में इलेक्ट्रिक गाड़ियों पर सब्सिडी मिल रही है, इस बारे में भी सोचना पड़ेगा। दिल्ली सरकार ने इलेक्ट्रिक व्हीकल के लिए पॉलिसी अच्छी बनाई है, लेकिन सभी हर स्टेट की सरकार ने ऐसी पॉलिसी नहीं बनाई हैं।
सवाल: ऑटो इंडस्ट्री की ग्रोथ को लेकर आने वाले महीनों में क्या कदम उठाएंगे?
जवाब: अर्थव्यवस्था और ऑटो मोबाइल इंडस्ट्री की तरफ उपभोक्ता के विश्वास को वापस लाने की दिशा में काम करना होगा। ऑटो मोबाइल के सभी स्तंभों को मजबूत बनाना होगा, जिसमें डीलर कम्युनिटी एक महत्वपूर्ण स्तंभ है। सरकार को उपभोक्ताओं के लिए आकर्षक प्रोत्साहन आधारित पैकेज लाने होंगे, जिनमें दो पहिया वाहनों पर जीएसटी दर को 28 से 18% तक कम करना, अगले छह महीनों तक रोड टैक्स पर 50% फीसदी तक की छूट देना, आर्कषक स्क्रैपेज पॉलिसी लाना आदि शामिल हैं।
सवाल: अपने कार्यकाल में आप ऑटो और डीलर इंडस्ट्री के नया क्या करेंगे?
जवाब: ऑटो मोबाइल डीलर इंडस्ट्री इन विपरीत परिस्थितियों से उभरने की कोशिश कर रही है। इसके आगे हम चाहते हैं कि हम डीलरशिप बिजनेस को भविष्य में ऐसी परिस्थिति के लिए पहले से तैयार रखें, जिसके लिए डीलरशिप बिजनेस को प्रोफिटेबल बनाना बहुत जरूरी है। इसके लिए हमने कुछ सुझाव दिए हैं –
- फ्रेंचाइजी एक्ट की शुरुआत: फाडा दूसरी रिटेल एसोसिएशंस के साथ फ्रेंचाइजी लॉ को भारत में लाने के लिए काम करेगा, जिससे की सभी क्षेत्रों में डीलर/रिटेल फर्टिनिटी को एक्जिट या टर्मिनेशन की परिस्थिति में मदद मिलेगी। कई विदेशी कंपनियां रातों रात देश छोड़कर चली जाती हैं। इस एक्ट जैसे ही लागू हो जाएगा तब कोई भी कंपनी आसानी से देश छोड़कर नहीं जा पाएगी। इससे 50 लाख रिटेलर्स को फायदा मिलेगा। जैसे, मान लीजिए मैंने किसी विदेशी कंपनी से गाड़ी खरीदी जिस पर उसने 2 साल की वारंटी दी है। ऐसे में वो कंपनी एक साल देश छोड़कर चला जाए तब ग्राहक ने जो कार खरीदी है वो उसके मेंटेनेंस के लिए किसके पास जाएगा?
- डीलर मार्जिन में सुधार: डीलर मार्जिन एक महत्वपूर्ण कदम होगा, जिसके लिए हम अलग-अलग मैन्युफैक्चरर्स और उनके एसोसिएशन से बात कर रहे हैं। एक भारतीय डीलर औसतन 0.50% से 0.75% नेट प्रॉफिट ऑफ टोटल टर्नओवर पर काम करता है, जो वैश्विक मानक (7% ऑफ द सेलिंग प्राइस ऑफ द व्हीकल) से बहुत कम है।
- ऑटो डीलरशिप व्यवसाय को एमएसएमई के तहत रजिस्ट्रेशन: एमएसएमई के तहत रजिस्ट्रेशन से ऑटो डीलर समुह को एमएसएमई एक्ट के अंतर्गत मिलने वाली सुविधाओं से काफी सहयोग मिलेगा।
- एक्सक्लूजिव टू-व्हीलर वर्टिकल इन फाडा: दो पहिया वाहन, वाहन बिक्री का लगभग 75% हिस्सा है, उसके लिए फाडा में एक अलग वर्टिकल होगा, जो विशेष रूप से टू-व्हीलर डीलरशिप की बारीकियों जैसे कि सब-डीलर और ब्रोकर, पर काम करेगा।
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