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नई दिल्लीएक महीने पहले
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- पुराने आईफोन स्लो करने के मुकदमों को सेटल करने के लिए एपल ने 3600 करोड़ रुपए चुकाए
- विवाद में फंसने के बाद कंपनी ने तर्क दिया कि आईफोन की लाइफ बढ़ाने के लिए करते हैं स्लो
एपल आप आईफोन 12 सीरीज से पर्दा उठाने वाली है। ये इवेंट भारतीय समय अनुसार रात 10:30 PM पर शुरू होगा। कंपनी ने इस इवेंट को ‘हाय, स्पीड’ का नाम दिया है। कंपनी नेक्स्ट जनरेशन आईफोन में स्पीड को बेहतर कर देती है। हालांकि, वो जिस स्पीड की बात करती है उसी स्पीड को पुराने आईफोन में स्लो करने के मुकदमों को सेटल करने के लिए 3600 करोड़ रुपए चुका चुकी है।
2017 से पहले जो आईफोन खरीदे गए थे, उनमें कंपनी ने जानबूझकर स्लो करने का आरोप लगा था। जिसके बाद इस दिग्गज कंपनी को अपने यूजर्स को 50 करोड़ डॉलर यानी करीब 3,600 करोड़ रुपए का भुगतान करना पड़ा। पुराने आईफोन को स्लो करने को लेकर एपल पर अमेरिका के सैन जोस की जिला अदालत में मुकदमा दायर हुआ था।
क्या था पूरा मामला?
एपल ने साल 2017 में अपने ऑपरेटिंग सिस्टम का नया अपडेट iOS 11 रिलीज किया था। इस ओएस को अपडेट करन के बाद आईफोन SE, आईफोन 6, आईफोन 6 प्लास, आईफोन 6S, आईफोन 7 और आईफोन 7 प्लस में परफॉर्मेंस मैनेजमेंट फीचर आ गया। इसी फीचर की वजह से ये मॉडल काफी स्लो हो गए। जब कंपनी ने पर स्पीड को स्लो करने के आरोप लगे तब उसने इस बात को स्वीकार भी कर लिया। हालांकि, कंपनी का कहना था कि पुराने आईफोन की लाइफ बढ़ाने के लिए उन्हें थोड़ा स्लो किया जाता है।
नया आईफोन बेचने के लिए लगा आरोप
- एपल ने iOS 11 में ‘बैटरी हेल्थ’ के अंदर ‘पीक परफॉर्मेंस कैपेबिलिटी’ का फीचर दिया था। ये पहले डिफॉल्ट फीचर था जो हर आईफोन में हमेशा ऑन रहता था। इस फीचर की वजह से पुराने आईफोन की परफॉर्मेंस काफी स्लो हो गई थी।
- जिसके बाद एपल ने iOS 11.3 में इस फीचर को ‘ऑन’ और ‘ऑफ’ करने का ऑप्शन दिया था, लेकिन इस फीचर की वजह से आईफोन यूजर्स को समस्या हुई थी। एपल पर आरोप लगा था कि उसने जानबूझकर अपने पुराने आईफोन की परफॉर्मेंस और बैटरी लाइफ को कम किया ताकि यूजर्स नए फोन खरीदने को मजबूर हों।
ऐसा क्यों करती है एपल?
- एपल पर 2016 में भी पुराने आईफोन को स्लो करने के आरोप लगे थे, जिसके बाद कंपनी ने माफी भी मांगी थी। एपल ने इसके पीछे तर्क दिया था कि पुराने मॉडल की लाइफ बढ़ाने के लिए ऐसा किया जाता है।
- एपल का परफॉर्मेंस मैनेजमेंट फीचर सिस्टम के कुछ कंपोनेंट जैसे CPU और GPU को धीमा कर देता है, जिस वजह से बैटरी लाइफ कम हो जाती है ताकि फोन की लाइफ को बढ़ाया जा सके।
- एपल का कहना था कि नए सॉफ्टवेयर अपडेट के जरिए यूजर्स को बेहतर एक्सपीरियंस दिया जाता है। इसमें ओवरऑल परफॉर्मेंस और डिवाइस की लाइफ को बेहतर करने पर जोर रहता है।
- एपल ने बताया था कि लिथियम आयन बैटरी ठंडे मौसम में पीक करंट देने में कम सक्षम होती हैं, साथ ही जैसे-जैसे डिवाइस पुराना होता जाता है, वैसे-वैसे उसकी बैटरी लाइफ भी कम हो जाती है और इसी वजह से डिवाइस कई बार खुद ही शटडाउन हो जाता है।
विवादों से एपल का पुराना नाता
एपल का नाम विवादों से कई बार जुड़े चुका है। कंपनी को सबसे ज्यादा शर्मिंदगी ऐप्स की वजह से उठानी पड़ी है। एपल स्टोर में कई ऐसे थे जिनके इस्तेमाल पर उसे रोक लगाना पड़ी। ये ऐसे ऐप्स थे जिन्हें कंपनी ने यूजर्स के एंटरटेनमेंट के लिए iOS पर डाला, लेकिन बाद में इन्हें हटाना पड़ गया। इसमें गर्ल अराउंड मी, बेबी शेकर, गेटो ट्वीट, मी सो होली, मिस्टर चेकपॉइंट, डोर ऑफ होप, आई एम रिच जैसे कई ऐप्स शामिल थे।
1. वर्डप्रेस से एपल का विवाद
करीब दो महीने पहले एपल और वर्डप्रेस के बीच का विवाद हो गया था। एपल ऐप स्टोर पर वर्डप्रेस का ऐप फ्री डाउनलोड किया जा सकता है। जिस पर यूजर फ्री वेबसाइट बना सकते हैं। कंपनी ने जब ऐप का नया अपडेट जारी किया तब एपल ने इसकी एबिलिटी नहीं दी। जिसके बाद वर्डप्रेस के फाउंडिंग डेवलपर मैट मुलेनवेग ने एपल पर ऐप का अपडेट नहीं देने का आरोप लगाया था। मैट ने एक ट्वीट किया जिसमें उन्होंने ये लिखा कि iOS पर वर्डप्रेस ऐप में कुछ समय से अपडेट क्यों नहीं दिए जा रहे थे। हालांकि, बाद में एपल ने एक बयान में कहा कि हमारे और वर्डप्रेस के बीच चल रही समस्या अब हल हो गई है।
2. इपिक और एपल का विवाद
इसी साल एपल का अमेरिकी गेमिंग कंपनी इपिक गेम्स से भी विवाद हो चुका है। दरअसल, एपल ने इस कंपनी के पॉपुलर एक्शन गेम फोर्टनाइट को अपने स्टोर से हटा दिया गया था। एपल का कहना था कि इस गेम को अपने स्टोर से इस वजह से हटाया क्योंकि एपिक गेम्स कंपनी को बायपास करते हुए यूजर्स के डायरेक्ट पेमेंट प्लान लॉन्च किया है। बता दें कि गूगल अपने प्ले स्टोर और एपल अपने ऐप स्टोर से इस गेम की खरीदारी पर 30 फीसदी रेवेन्यू कमाती हैं। हालांकि, तब इस गेम को गूगल ने भी अपने प्ले स्टोर से हटा दिया था।
3. सैमसंग के साथ आईफोन पेटेंट विवाद
एपल और सैमसंग के बीच 7 साल से चलने वाला पेटेंट विवाद जून 2018 में खत्म हो गया था। दरअसल, आईफोन का डिजाइन कॉपी करने को लेकर इस पेटेंट की जंग 2011 में शुरू हुई थी। शुरुआत में कोर्ट ने एपल के पक्ष में फैसला सुनाते हुए सैमसंग से 1 बिलियन डॉलर का जुर्माना लगाया। हालांकि, यहां केस खत्म नहीं हुआ। एपल ने सैमसंग पर बेसिक फंक्शन जैसे, टैप टू जूम, होम स्क्रीन ऐप ग्रिड और लेआउट चुराने का आरोप भी लगाया। ज्यूरी ने भी माना की सैमसंग ने ऐसा किया।
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