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रायपुर35 मिनट पहले
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फाइल फोटो।
कोरोना की वजह से जब सारे स्कूल बंद हैं, तब भी फीस लेने को लेकर पैरेंट्स और निजी स्कूल प्रबंधन के बीच विवाद की स्थिति बनी। इसके बावजूद निजी स्कूलों में एडमिशन का रुझान घटने के बजाय बढ़ा है। एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट (असर) की ताजा रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है। सरकारी स्कूलों में एडमिशन की संख्या घटी है, जबकि निजी स्कूलों में बढ़ी है। देश के पहले फोन आधारित सर्वे में हाईब्रिड व रीचिंग लर्निंग सिस्टम की जरूरत पर बल दिया गया है। कोरोना काल में राज्य के सरकारी व निजी स्कूलों ने 38.8 प्रतिशत बच्चों को कोर्स की सामग्री उपलब्ध कराई गई है। असर की ताजा रिपोर्ट में छत्तीसगढ़ में वर्ष 2018 से इस साल के इन 10 महीनों की तुलना करें तो यह पता चलता है कि लगभग सभी कक्षाओं में निजी स्कूलों की ओर नामांकन के रुझान में वृद्धि हुई है। इस साल सरकारी स्कूलों में एडमिशन का प्रतिशत 62.2 फीसदी तक आ गया, जबकि 2018 में यह 76 फीसदी था। इसी अवधि में प्राइवेट स्कूलों में एडमिशन का प्रतिशत 19.3 से बढ़कर 25.6 हो गया। जबकि कई छोटे बच्चों का अभी तक स्कूलों में एडमिशन होना बाकी है। रिपोर्ट बताती है कि सत्र 2020-21 में प्रवेश नहीं लेने वाले बच्चों का हिस्सा 2018 की तुलना में ज्यादा है। प्रवेश नहीं लेने वाले बच्चों में 15-16 साल के बच्चे ज्यादा है। यह भी संभव है कि बड़ी कक्षाओं में सीटें न होने से ऐसा हुआ हो।
कहां-क्यों हुआ सर्वे
20 राज्यों, 4 केंद्र शासित प्रदेशों, 52 हजार 227 घरों, 5 से 16 साल के 59251 बच्चों, 8,963 प्राइमरी स्कूलों के शिक्षकों व हेड मास्टर को शामिल किया गया। छत्तीसगढ़ में यह दायरा 1068 घरों और 5 से 16 वर्ष के 1261 बच्चों तक पहुंचा। यह सर्वे बच्चों की शिक्षा के सिस्टम, कोर्स व गतिविधियों के इंतजाम की पड़ताल के लिए किया गया।
“हमने जो अंग्रेजी माध्यम के स्कूल खोले हैं, उनमें प्राइवेट स्कूलों को छोड़कर बच्चे आ रहे हैं। यहां तक कि लोग एप्रोच लगा रहे हैं। ऑनलाइन शिक्षा भी निजी स्कूलों से ज्यादा दी है।”
-प्रेमसाय सिंह टेकाम, शिक्षामंत्री
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