adhik mas amawasya, amawasya on 16 october, significance of adhik maas amawasya, old traditions about amawasya | अधिक मास की अमावस्या 16 को, भगवान विष्णु के साथ ही महालक्ष्मी, शिवजी, चंद्र की पूजा का शुभ योग, इस तिथि पर सूर्य और चंद्र रहते हैं एक राशि में

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एक महीने पहले

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  • अमावस्या पर पितरों के लिए धूप-ध्यान करने की परंपरा, इस दिन करना चाहिए जरूरतमंद लोगों को धन का दान

शुक्रवार, 16 अक्टूबर को अधिक मास की अंतिम तिथि अमावस्या है। इस साल अधिक मास की वजह से नवरात्रि पूरे एक माह देरी से शुरू होगी। नवरात्रि 17 अक्टूबर से शुरू हो रही है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार अमावस्या तिथि पर पितरों के लिए विशेष धूप-ध्यान करना चाहिए।

शुक्रवार और अमावस्या का योग होने से इस दिन महालक्ष्मी की पूजा जरूर करें। अधिक मास को पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है। ये नाम भगवान विष्णु ने इस माह को दिया था। इस वजह से अधिक मास की अंतिम तिथि पर श्रीहरि का अभिषेक करना चाहिए। इस तिथि पर शिवलिंग पर जल चढ़ाएं और ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जाप करना चाहिए।

चंद्र की सोलहवीं कला है अमा

हिन्दी पंचांग में एक माह के दो भाग बताए गए हैं। एक है शुक्ल पक्ष और दूसरा है कृष्ण पक्ष। शुक्ल पक्ष में चंद्र की कलाएं बढ़ती हैं यानी चंद्र बढ़ता है। कृष्ण पक्ष में चंद्र घटता है और अमावस्या पर पूरी तरह से अदृश्य हो जाता है। चंद्र की सोलह कलाएं बताई गई हैं। इनमें अंतिम और सोलहवीं कला को अमा कहते हैं।

स्कंदपुराण में लिखा है कि-

अमा षोडशभागेन देवि प्रोक्ता महाकला।

संस्थिता परमा माया देहिनां देहधारिणी।।

इस श्लोक के अनुसार अमा को चंद्र की महाकला कहा गया है, इसमें चंद्र की सभी सोलह कलाओं की शक्तियां शामिल होती हैं। इस कला का क्षय और उदय नहीं होता है।

सूर्य और चंद्र अमावस्या पर रहते हैं एक राशि में

अमावस्या तिथि पर सूर्य और चंद्र एक साथ एक ही राशि में रहते हैं। 16 अक्टूबर को सूर्य और चंद्र कन्या राशि में रहेंगे। इस तिथि के स्वामी पितृदेव माने गए हैं। इसलिए अमावस्या पर पितरों की तृप्ति के लिए तर्पण, श्राद्ध कर्म और दान-पुण्य करने का महत्व है। इस दिन जरूरतमंद लोगों को धन और अनाज का दान करना चाहिए।

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