Collegium and Government: जजों की नियुक्ति को लेकर कॉलेजियम और सरकार में चल रही खींचतान के बीच देश के (#Chief Justice DY Chandrachud) मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि सेक्सुअल ओरिएंटेशन का जजों की काबिलियत से कोई लेना देना नहीं है. (#gay lawyer saurabh kirpal) समलैंगिक वकील सौरभ किरपाल की पदोन्नति को लेकर चल रहे विवाद पर उन्होंने यह बात कही है.
‘इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2023’ में बोलते हुए उन्होंने कहा, “जिस उम्मीदवार (किरपाल) का आप जिक्र कर रहे हैं, उनसे जुड़ा हर पहलू जिसका (#intelligence bureau) इंटेलिजेंस ब्यूरो की रिपोर्ट में उल्लेख किया गया था, वह पब्लिक डोमेन में था. वह पहले ही अपने सेक्सुअल ओरिएंटेशन को लेकर सामने आ चुके हैं. आईबी की रिपोर्ट पूरी तरह से एक भावी जज के समलैंगिक उम्मीदवार के सेक्सुअल ओरिएंटेशन पर आधारित थी. इसे पब्लिक डोमेन में डालते समय हमने जो कुछ भी कहा, वह यह है कि एक उम्मीदवार के सेक्सुअल ओरिएंटेशन का योग्यता या संवैधानिक पात्रता से कोई लेना-देना नहीं है. उस उम्मीदवार में एक उच्च संवैधानिक पद ग्रहण करने की क्षमता है.”
जनवरी में, सीजेआई की अध्यक्षता वाले सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने (#High Court) हाई कोर्ट के जज के तौर पर सौरभ किरपाल को नियुक्त करने की सिफारिश की थी. कॉलेजियम ने उन्हें हाईकोर्ट जज बनाए जाने पर खुफिया एजेंसियों के एतराज को खारिज कर दिया था.
सीजेआई ने उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति को लेकर कॉलेजियम सिस्टम का बचाव किया. मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, “मुख्य न्यायाधीश के रूप में, मुझे यह सिस्टम लेना है क्योंकि यह हमें दिया गया है … मैं यह नहीं कह रहा हूं कि हर सिस्टम सही है लेकिन यह सबसे अच्छी प्रणाली है जिसे हमने विकसित किया है. इस प्रणाली का उद्देश्य आजादी को बनाए रखना था जो एक प्रमुख मूल्य है. न्यायपालिका को स्वतंत्र होना है तो हमें न्यायपालिका को बाहरी प्रभावों से अलग रखना होगा. यह कॉलेजियम की अंतर्निहित विशेषता है.”
इससे पहले इसी मंच पर केंद्रीय कानून मंत्री ने जजों की नियुक्ति की प्रक्रिया की आलोचना करते हुए कहा था कि संविधान के अनुसार न्यायाधीशों की नियुक्ति का कर्तव्य सरकार का है.