aaj ka jeevan mantra by pandit vijay shankar mehta, life management tips by pandit vijay shankar mehta, motivational story from upanishad | किसी को सलाह देना हो तो उसकी अच्छाई-बुराई ध्यान रखें, बुरी आदतों से उसका नुकसान न हो, ऐसा ज्ञान दें

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23 मिनट पहलेलेखक: पं. विजयशंकर मेहता

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कहानी- उपनिषद कहते हैं कि ब्रह्माजी की तीन संतानें हैं – देवता, दानव और मनुष्य। एक दिन ये तीनों ब्रह्माजी के पास पहुंचे। तीनों ने उनसे कहा कि हमें कोई उपदेश दीजिए, जिससे हमारा जीवन सफल हो जाए।
ब्रह्माजी ने तीनों को द शब्द दिया। द शब्द का अर्थ देवता, दानव और मनुष्य, तीनों के लिए अलग-अलग था। सबसे पहले ब्रह्माजी देवताओं से बोले कि तुम्हारे जीवन में भोग-विलास बहुत अधिक है इसलिए तुम्हारे लिए द का अर्थ है दमन। दमन यानी नियंत्रण। अपनी इंद्रियों पर नियंत्रण करना।

मनुष्यों से ब्रह्माजी बोले कि मैंने तुम्हें द शब्द इसलिए दिया है कि तुम इससे दान करो। दान का अर्थ है सेवा। मनुष्य शरीर से किया जा सकने वाला सबसे अच्छा काम होता है किसी की सेवा करना। सेवा करना ही इंसानों का मुख्य धर्म है।

अंत में ब्रह्माजी ने दानवों से कहा कि तुम हिंसक हो। लड़ाई-झगड़ा करना ही तुम्हारा स्वभाव है। तुम्हारे लिए द का अर्थ है दया। तुम अत्याचारी हो और जीवनभर हिंसा ही करोगे इसलिए एक बात याद रखना दूसरों पर दया करना।

सीख – ब्रह्माजी ने जो किया, वही हमें भी करना चाहिए। जब भी किसी को ज्ञान, उपदेश, समझाइश देना हो तो उस व्यक्ति के स्वभाव, आदतों और उसके मनोविज्ञान पर जरूर नजर रखें। व्यक्ति की अच्छी-बुरी आदतें, उसकी रुचि, लक्ष्य को समझें। इसके बाद ही ये दूरदर्शिता रखें कि आगे जाकर ये अपनी बुराइयों से क्या नुकसान करेगा, उस नुकसान की भरपाई किस ज्ञान से होगी? वैसा ही ज्ञान, उपदेश या सलाह देनी चाहिए।

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