Sheetla Ashtami: भीलवाड़ा शहर में एक अनोखी परंपरा है, जहां शीतला अष्टमी को जीवित व्यक्ति को अर्थी पर लेटाया जाता है और पूरी गाजे-बाजे के साथ रंग गुलाल उड़ाते हुए पूरे शहर में उसकी शव यात्रा निकाली जाती है।
शहर में बुधवार को शीतला अष्टमी के पर्व पर यह शवयात्रा निकाली गई, जिसे देखने के लिए पूरे जिले भर से लोग आए। हाथी, घोड़ा, ऊंट और गाजे बाजे के साथ यह शवयात्रा पूरे शहर से होकर गुजरी। इस शव यात्रा के तहत मुर्दे का अंतिम संस्कार भी किया जाता है। लेकिन, अर्थी पर लेटा युवक अंतिम संस्कार से पहले अर्थी से कूद कर भाग जाता है।
वस्त्रनगरी भीलवाड़ा में शीतला अष्टमी पर पिछले 425 सालों से मुर्देकी सवारी निकाली जाती है। होली के 7 दिन बाद यह सवारी निकाली जाती है। इसकी शुरुआत शहर के चित्तौड़ वालों की हवेली से होती है। जहां पर एक युवक को अर्थी पर लेटा दिया जाता है और फिर ढोल नंगाड़ों के साथ शुरू होती है मुर्दे की सवारी।
शवयात्रा में अर्थी पर बैठा व्यक्ति कभी उठता है तो कभी बैठता है। कभी उसका एक हाथ बाहर निकलता है तो कभी वह लेटे-लेटे पानी पी लेता है। शवयात्रा में शामिल लोग जमकर रंग गुलाल उडाते हुए आगे बढ़ते जाते हैं। इस दौरान यहां पर जमकर फब्तियां का प्रयोग किया जाता है।जिसके कारण इस सवारी में महिलाओं का प्रवेश वर्जित रखा जाता है।
यह सवारी रेलवे स्टेशन चौराहा, गोल प्याऊ चौराहा, भीमगंज थाना होते हुए बड़ा मंदिर पहुंचती है। जहां पहुंचने पर अर्थी पर लेटा युवक नीचे कूद कर भाग जाता है और प्रतीक के तौर पर अर्थी का बड़ा मंदिर के पीछे दाह संस्कार कर दिया जाता है।