दीपावली का पर्व भारत में न केवल प्रकाश का, बल्कि समृद्धि, शांति, और परंपराओं का पर्व है। दीपावली पर मिट्टी के दीयों का जलना तो आम बात है, पर क्या आप जानते हैं कि मिट्टी से बने अन्य वस्तुओं की भी एक खास भूमिका है? धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से, मिट्टी के इन पाँच अद्भुत सामानों का महत्व बहुत ही खास है। इस लेख में हम जानेंगे कि दीपावली पर मिट्टी के इन पाँच विशेष वस्तुओं की खरीदारी कैसे घर में सुख-समृद्धि और सकारात्मकता का संचार कर सकती है।
1. पंचकुलिया: मां लक्ष्मी का पवित्र पात्र
पंचकुलिया एक तरह का मिट्टी का पात्र होता है जो देखने में फूलडाली के आकार का होता है और इसमें चार खंड बने होते हैं। दीपावली की पूजा के दौरान पंचकुलिया में लाई और बताशा का प्रसाद रखा जाता है और इसे मां लक्ष्मी को अर्पित किया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मिट्टी के बर्तन को शुद्ध और पवित्र माना गया है, और इसी कारण इसे धार्मिक अनुष्ठानों में भी प्रयोग किया जाता है। पंचकुलिया का प्रयोग केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने का एक तरीका माना गया है, जो हमारे जीवन में सुख-समृद्धि लाने का प्रतीक है।
2. मिट्टी की घंटी: पवित्रता का प्रतीक
मिट्टी की घंटी, जिसे दीपावली पूजा के दौरान बजाया जाता है, विशेष रूप से मां लक्ष्मी की पूजा में शामिल होती है। जबकि शंख का उपयोग इस पूजा में नहीं किया जाता, मिट्टी की घंटी को विशेष रूप से पवित्र माना गया है। जब यह घंटी बजाई जाती है, तो यह मान्यता है कि इसकी ध्वनि से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और घर में सकारात्मकता का संचार होता है। पूजा घर में इस मिट्टी की घंटी को रखना और बजाना धार्मिक महत्त्व का प्रतीक है। इसकी मधुर ध्वनि हमारे मन और घर को शुद्ध करती है और सुख-शांति के भाव को बनाए रखती है।
3. जांत: अनाज की समृद्धि का प्रतीक
जांत एक पारंपरिक कृषि औजार है, जिसे पहले अनाज पीसने और कुटाई के काम में लाया जाता था। मिट्टी का बना जांत, जिसे मां लक्ष्मी की पूजा में समर्पित किया जाता है, खेत और खलिहान की समृद्धि का प्रतीक माना गया है। इस पूजन सामग्री के जरिए लोग अनाज और खेती-बाड़ी की समृद्धि की कामना करते हैं। जांत को लक्ष्मी पूजा में रखना यह दर्शाता है कि हम अपनी मेहनत, खेती और भूमि को सम्मान देते हैं और मां लक्ष्मी से आशीर्वाद मांगते हैं कि हमारे घर में कभी अनाज की कमी न हो।
4. मिट्टी का चूल्हा: समृद्धि का प्रतीक
हिंदू धर्म में मिट्टी के चूल्हे पर बने प्रसाद का धार्मिक महत्त्व बहुत गहरा है। इसे शुद्ध और पवित्र माना जाता है और इसी कारण से लक्ष्मी पूजा में मिट्टी का छोटा चूल्हा पूजा सामग्री के साथ रखा जाता है। चूल्हे का यह प्रतीकात्मक रूप न केवल समृद्धि का प्रतीक है, बल्कि यह हमारी परंपराओं की सुंदरता को भी दर्शाता है। यह हमारे दैनिक जीवन की जड़ों से जुड़ने का एक माध्यम है और यह हमें यह सिखाता है कि किस तरह से अपनी परंपराओं को जीवित रखें।
5. मिट्टी का हाथी: छठ पूजा में विशेष महत्व
दीपावली के दौरान मिट्टी का हाथी भी खरीदा जाता है। यह विशेष रूप से छठ पूजा के लिए उपयोगी होता है, जो दीपावली के कुछ दिनों बाद होती है। छठ पूजा के कोसी के दौरान इसका प्रयोग किया जाता है। हाथी को समृद्धि का प्रतीक माना जाता है, और इसे घर में रखने से सौभाग्य और संपन्नता का आगमन होता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, मिट्टी का हाथी सौभाग्य का प्रतीक है और इसे घर में रखने से सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है।
मिट्टी के सामान की सांस्कृतिक महत्ता
मिट्टी के सामान केवल पूजा का अंग ही नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति का एक अभिन्न हिस्सा हैं। मिट्टी से बनी वस्तुएं पर्यावरण के अनुकूल होती हैं, जिनका उपयोग न केवल हमारी सांस्कृतिक धरोहर को बचाए रखने में सहायक है, बल्कि यह पर्यावरण को भी स्वच्छ रखने का एक सुंदर तरीका है। मिट्टी के सामानों का उपयोग करके हम न केवल परंपराओं को संरक्षित करते हैं, बल्कि पर्यावरण को भी नुकसान से बचाते हैं।
परंपरा की पहचान और नई पीढ़ी का योगदान
समाज में आज भी कुछ लोग इन मिट्टी के सामानों की महत्ता को समझते हैं और इन्हें हर दीपावली पर खरीदते हैं। मगर, वर्तमान में नई पीढ़ी में इन सामानों के प्रति झुकाव कम होता जा रहा है। जहां दीये का चलन अधिक है, वहीं पंचकुलिया, जांत, घंटी, चूल्हा और हाथी का उपयोग अब धीरे-धीरे घटता जा रहा है। ये सभी वस्तुएं लगभग ₹100 की कीमत में आसानी से उपलब्ध हैं।
रामाजी पड़ित जैसे कारीगर जो हाजियापुर में मिट्टी के दिए और अन्य सामान बनाते हैं, इस परंपरा को बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। आज के समय में, यह आवश्यक है कि हम इन परंपराओं को समझें और अगली पीढ़ी को इनके महत्त्व से अवगत कराएं। इन मिट्टी के सामानों की खरीदारी करके हम कारीगरों का समर्थन भी कर सकते हैं और हमारी सांस्कृतिक धरोहर को भी बचा सकते हैं।
दीपावली पर दीयों के साथ-साथ मिट्टी के इन पाँच सामानों की खरीदारी न केवल हमारे धार्मिक अनुष्ठानों को पूर्ण बनाती है, बल्कि घर में सुख-समृद्धि और सकारात्मकता का संचार करती है। मिट्टी के इन सामानों का महत्व हमारी परंपराओं और संस्कृति को गहराई से जोड़ता है। पंचकुलिया, घंटी, जांत, चूल्हा, और हाथी जैसे सामान न केवल प्रतीकात्मक महत्व रखते हैं, बल्कि पर्यावरण को सुरक्षित रखने में भी सहायक हैं।
इस दीपावली, आइए हम मिलकर इन मिट्टी के सामानों की खरीदारी करें और अपनी परंपराओं को न केवल जिंदा रखें, बल्कि उन्हें अपने बच्चों तक पहुंचाएं ताकि हमारी सांस्कृतिक धरोहर हमेशा सुरक्षित रहे। दीपों का यह पर्व आपके जीवन में सुख, समृद्धि, और शांति का संचार करे और हमारी सांस्कृतिक परंपराओं को समृद्ध बनाए।