बॉलीवुड अभिनेता पंकज त्रिपाठी का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है। अपने बेहतरीन अभिनय से उन्होंने हर जॉनर में अपनी पहचान बनाई है। लेकिन उनके व्यक्तिगत जीवन की कहानी भी किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है। उनकी पत्नी मृदुला के साथ उनकी प्रेम कहानी बिल्कुल अनोखी है, जिसमें सादगी और मिठास दोनों हैं। हाल ही में एक इंटरव्यू में मृदुला ने अपनी और पंकज की लव स्टोरी के कुछ अनकहे पहलुओं का खुलासा किया, जो उनकी कहानी को और भी खास बनाते हैं।

शुरुआत: तस्वीर में पहली झलक और प्यार का अंकुरण
पंकज त्रिपाठी और मृदुला की प्रेम कहानी 1993 में शुरू हुई, जब दोनों एक-दूसरे को नहीं जानते थे। मृदुला ने एक इंटरव्यू में बताया कि पहली बार उन्होंने पंकज को एक तस्वीर में देखा था। यह तस्वीर उनके भाई की शादी के सिलसिले में आई थी। उस समय मृदुला नौवीं कक्षा में थीं और पंकज ग्यारहवीं में। पहली बार तस्वीर में देखते ही मृदुला का मन पंकज के प्रति आकर्षित हो गया।
उस तस्वीर में पंकज अपनी बहन और माता-पिता के साथ थे। मृदुला ने उस तस्वीर को अपने स्कूल बैग में रख लिया और इसे स्कूल भी ले गईं, जहाँ उनकी सहेलियाँ उन्हें चिढ़ातीं कि तस्वीर में दिख रहे पंकज उनके “भैया” जैसे दिखते हैं। उनकी सहेलियों की चिढ़ाने का यह सिलसिला मृदुला के मन में पंकज के प्रति हल्का सा प्यार का बीज बो गया था, जो आने वाले सालों में और गहराता गया।
पहली मुलाकात: तिलक की रस्म और नजरें मिलना
तस्वीर के बाद, पंकज और मृदुला की पहली मुलाकात मृदुला के भाई के तिलक के दौरान हुई। मृदुला याद करती हैं कि उस दिन उन्होंने पंकज को पहली बार सामने से देखा। वह हमेशा पंकज को यह कहकर छेड़ती हैं कि वह उन्हें तब से जानती हैं जब उनकी दाढ़ी आने लगी थी और अब जब वे चश्मा पहनते हैं। यह पहली नजर का आकर्षण दोनों के बीच बातचीत की शुरुआत का कारण बना।
मुलाकातों का बहाना: एक रूमाल से शुरू हुई कहानी
प्रेम कहानियों में अक्सर छोटी-छोटी बातें बड़े मायने रखती हैं, और पंकज और मृदुला की कहानी में भी ऐसा ही हुआ। मृदुला ने साझा किया कि कैसे रूमाल ने उनकी बातचीत की शुरुआत करवाई। जब भी पंकज त्रिपाठी हाथ धोते, उन्हें रूमाल चाहिए होता था, और इसी बहाने मृदुला का हाथ उनके हाथ से टकराता। यह छोटे-छोटे लम्हे दोनों के बीच नजदीकियाँ बढ़ाने का कारण बने और दिल में एक खास जगह बनाने लगे। धीरे-धीरे यह छोटी मुलाकातें और छुप-छुप कर बातें करना उनकी जिंदगी का हिस्सा बन गया।

“भैया” कहने की असमंजस और “जी” कहकर रिश्ते की शुरुआत
मृदुला की माँ अक्सर उन्हें पंकज त्रिपाठी को “भैया” कहने के लिए कहती थीं, क्योंकि वे उनके भाई की पत्नी के भाई थे और उम्र में उनसे दो साल बड़े थे। लेकिन मृदुला के मन में एक दुविधा थी। वह जानती थीं कि पंकज उनके लिए सिर्फ एक रिश्तेदार नहीं, बल्कि उनसे जुड़ा एक खास व्यक्ति थे। इसलिए उन्होंने “भैया” कहने के बजाय पंकज को “जी” कहना शुरू किया और अपने रिश्ते को एक अनकहा नाम दे दिया।
यह किस्सा उन दोनों के रिश्ते में सादगी और गहराई का प्रतीक है। पंकज त्रिपाठी को “जी” कहकर संबोधित करना उनके मन में पंकज के प्रति सम्मान और प्यार का संकेत था। इस दौरान दोनों ने एक-दूसरे के प्रति अपने प्यार का इजहार कभी भी सीधे तौर पर नहीं किया, लेकिन उनके दिलों में यह प्यार बढ़ता ही गया।
प्यार का इजहार और शादी का फैसला
इस खूबसूरत प्रेम कहानी में सबसे खास बात यह थी कि मृदुला और पंकज त्रिपाठी ने एक-दूसरे से कभी भी अपने प्यार का इजहार नहीं किया। लेकिन दिल में पनपता प्यार और एक-दूसरे के प्रति अपनापन ही उनके रिश्ते को मजबूत बनाता गया। समय बीतता गया, और पंकज राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एनएसडी) में अपनी शिक्षा पूरी करने के लिए दिल्ली चले गए। इसके बावजूद मृदुला का प्यार कभी नहीं बदला।
आखिरकार मृदुला ने ही शादी का प्रस्ताव रखा, यह जानते हुए कि पंकज एनएसडी में पढ़ रहे थे और उनके पास भविष्य की योजनाएं थीं। उनके इसी साहस और आत्मविश्वास ने उनकी प्रेम कहानी को एक नए मुकाम पर पहुंचा दिया। उन्होंने 2004 में शादी कर ली और अपने रिश्ते को आधिकारिक रूप से एक नया नाम दे दिया।
शादी के बाद का सफर: एक बेटी और जीवन के उतार-चढ़ाव
शादी के बाद पंकज त्रिपाठी और मृदुला ने अपने जीवन में कई उतार-चढ़ाव देखे। पंकज का करियर धीरे-धीरे उभरता गया और उन्हें फिल्म इंडस्ट्री में एक जगह मिली। लेकिन इस सफर में मृदुला ने हमेशा उनका साथ दिया। उनका रिश्ता सिर्फ प्यार और सम्मान पर नहीं, बल्कि एक-दूसरे की भावनाओं को समझने पर आधारित है।
अब इस कपल की एक बेटी है, जिसका नाम आशी है। मृदुला और पंकज ने एक सच्चे जीवनसाथी के रूप में न केवल अपने परिवार को संभाला, बल्कि एक-दूसरे के सपनों को भी पूरा किया। इस रिश्ते की खूबसूरती इसी में है कि दोनों एक-दूसरे को समझते हैं और एक-दूसरे का सम्मान करते हैं।

पंकज त्रिपाठी की शरारतें और मृदुला का समर्पण
मृदुला बताती हैं कि पंकज में आज भी वही शरारती स्वभाव है जो पहले था। शादी के बाद जब पंकज कोलकाता आते, तो जानबूझकर उनके पैर छूते थे और उन्हें चिढ़ाते थे। उनका यह रिश्ता सिर्फ पति-पत्नी का नहीं, बल्कि एक गहरी दोस्ती और समझ का भी है, जो उनके जीवन को खुशियों से भरता है।
पंकज त्रिपाठी और मृदुला की यह प्रेम कहानी इस बात का प्रतीक है कि सच्चा प्यार समय, दूरी और समाज के सभी बंदिशों को पार कर सकता है। उनका यह रिश्ता एक ऐसी प्रेरणा है जो हमें सिखाता है कि प्यार के लिए न तो उम्र का कोई बंधन है और न ही कोई सामाजिक रुकावट।
एक सच्ची और अनोखी प्रेम कहानी
पंकज त्रिपाठी और मृदुला की प्रेम कहानी वास्तव में एक प्रेरणादायक कहानी है। यह हमें बताती है कि कैसे सादगी, समझ और निस्वार्थ प्यार किसी भी रिश्ते को मजबूत बनाता है। इस रिश्ते में किसी तरह का दिखावा नहीं है, बल्कि एक-दूसरे के प्रति समर्पण और भरोसे की गहराई है।
आज पंकज त्रिपाठी अपने अभिनय से देश के लाखों लोगों के दिलों में राज कर रहे हैं, लेकिन उनकी जिंदगी का यह पहलू उनकी सफलता को और भी खास बनाता है। मृदुला और पंकज का यह रिश्ता एक सच्चे और खूबसूरत रिश्ते की मिसाल है जो हमें सिखाता है कि कैसे प्यार समय के साथ और भी मजबूत होता है।
उनकी यह कहानी केवल एक प्रेम कहानी नहीं, बल्कि एक जीवन की सच्चाई है जो हमें रिश्तों की अहमियत सिखाती है।