विक्रांत मैसी एक बार फिर अपने दमदार अभिनय और चुनौतीपूर्ण किरदार के साथ बड़े पर्दे पर लौट रहे हैं। इस बार वह एक पत्रकार की भूमिका निभा रहे हैं, जो 2002 में हुए गोधरा कांड की सच्चाई की तह में जाकर समाज, राजनीति और मीडिया के असल रूप को सामने लाने की कोशिश करता है। उनकी नई फिल्म ‘द साबरमती रिपोर्ट’, जो एक ऐतिहासिक और दर्दनाक घटना पर आधारित है, एक रियलिस्टिक ड्रामा है जो दर्शकों के मन में कई सवाल खड़े करती है।

फिल्म का निर्देशन धीरज सरना ने किया है, जिन्होंने एक संवेदनशील और महत्वपूर्ण विषय को साहसपूर्वक पर्दे पर उतारा है। टीज़र में ही दर्शकों को गोधरा कांड से जुड़े कई अनकहे पहलुओं और उसके पीछे की राजनीति की झलक मिलती है, जिसे विक्रांत मैसी का पत्रकार किरदार उजागर करने की कोशिश करता है। फिल्म में विक्रांत के अलावा रिद्धि डोगरा और राशि खन्ना भी अहम भूमिकाओं में हैं।
गोधरा कांड: एक ऐतिहासिक और विवादास्पद घटना
फिल्म ‘द साबरमती रिपोर्ट’ की कहानी 27 फरवरी 2002 के उस दिन से शुरू होती है, जब गोधरा रेलवे स्टेशन के पास साबरमती एक्सप्रेस में एक भयानक घटना घटित हुई थी। इस दर्दनाक घटना ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था और इसके बाद की हिंसा ने राजनीति, समाज और मीडिया में एक नई बहस छेड़ दी थी। फिल्म इस त्रासदी के अनछुए पहलुओं को लेकर सवाल उठाती है: क्या सच में हुआ था? किसने किसको गलत जानकारी दी? और इस घटना का असर हमारे आज पर कैसा है?
टीजर में दिखाया गया है कि यह सिर्फ एक रिपोर्टिंग या सामान्य घटना नहीं है, बल्कि गहरी तह में जाकर सच्चाई को उजागर करने का एक प्रयास है। गोधरा कांड, जो भारतीय इतिहास की सबसे बड़ी और विवादास्पद घटनाओं में से एक है, की सच्चाई को समझने का विक्रांत का यह किरदार दर्शकों के दिलों और दिमाग में सवाल छोड़ जाएगा।
विक्रांत मैसी का दमदार किरदार: पत्रकार की भूमिका में सच्चाई की खोज
विक्रांत मैसी को हमेशा से ही गहराई और विविधता वाले किरदार निभाने के लिए जाना जाता है। उनकी पिछली फिल्मों ‘12 फेल’ और ‘सेक्टर 36’ में उनकी परफॉर्मेंस को काफी सराहा गया था। इस बार भी विक्रांत एक ऐसे पत्रकार की भूमिका में हैं जो समाज और सिस्टम के दबाव के बावजूद गोधरा कांड के रहस्यों और उसके पीछे की सच्चाई को उजागर करने के लिए संघर्ष करता है।
फिल्म में विक्रांत का किरदार न केवल एक पत्रकार है, बल्कि एक ऐसा व्यक्ति है जो सामाजिक न्याय की लड़ाई लड़ता है। वह कोर्ट में अपने खिलाफ चल रहे ट्रायल के दौरान सच्चाई को सामने लाने की कोशिश करता है। उसका यह संघर्ष उसे न केवल जनता और मीडिया के सवालों के घेरे में लाता है बल्कि राजनीति और सिस्टम के पाखंड को भी उजागर करता है।
कोर्ट रूम ड्रामा और समाज में पाखंड की झलक
‘द साबरमती रिपोर्ट’ में एक लंबा कोर्ट रूम ड्रामा भी शामिल है। विक्रांत का किरदार कोर्ट में अपने खिलाफ चल रहे ट्रायल के दौरान खुद को निर्दोष साबित करने की कोशिश करता है और गोधरा कांड के असल तथ्यों को कोर्ट के सामने रखता है। कोर्ट रूम के इन दृश्यों में वह न केवल अपने पक्ष को मजबूत बनाने की कोशिश करता है, बल्कि उस सिस्टम पर भी सवाल खड़ा करता है जो सच्चाई को दबाने की कोशिश कर रहा है।
फिल्म के इन कोर्ट रूम सीक्वेंस में राजनीति और मीडिया की भूमिका पर सवाल उठाए गए हैं। यह दर्शकों के लिए सोचने का विषय बनाता है कि कैसे एक घटना की सच्चाई को सिस्टम द्वारा बदलने का प्रयास किया जाता है और कैसे पाखंड की जड़ें समाज में गहरी हैं। विक्रांत का किरदार इसी पाखंड को उजागर करने की कोशिश करता है, जो फिल्म को और भी प्रभावशाली बनाता है।

टीज़र में पूछे गए सवाल और उनकी अहमियत
फिल्म का टीजर बेहद प्रभावशाली है और इसमें पूछे गए कुछ महत्वपूर्ण सवाल दर्शकों को फिल्म की गहराई में ले जाते हैं। टीजर में पूछा गया है: “असल में क्या हुआ था?”, “किसने गलत जानकारी दी?”, और “यह हमारे आज को कैसे प्रभावित करता है?” ये सवाल सिर्फ गोधरा कांड के बारे में नहीं हैं, बल्कि ये हमारे समाज और सिस्टम पर भी सवाल उठाते हैं। फिल्म का मुख्य उद्देश्य दर्शकों को इन सवालों का जवाब ढूंढने की ओर प्रेरित करना है और इसी प्रक्रिया में समाज के कई अनकहे और अंधेरे पहलुओं को सामने लाना है।
रिद्धि डोगरा और राशि खन्ना के किरदार
फिल्म में रिद्धि डोगरा और राशि खन्ना भी महत्वपूर्ण भूमिकाओं में हैं। रिद्धि, जो अपनी दमदार अभिनय शैली के लिए जानी जाती हैं, ने विक्रांत के साथ एक मजबूत टीम बनाई है। दोनों का तालमेल फिल्म में एक नया आयाम जोड़ता है। रिद्धि का किरदार फिल्म में एक ऐसा व्यक्ति है जो अपने दृढ़ संकल्प और साहस से गोधरा कांड की सच्चाई को उजागर करने की कोशिश करती है। वहीं राशि खन्ना का किरदार भी इस फिल्म में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जिससे कहानी में कई ट्विस्ट्स और टर्न्स आते हैं।
बैकग्राउंड म्यूजिक और टीजर का प्रभाव
टीजर में फिल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक, विजुअल्स और डायलॉग्स दर्शकों के मन में उत्सुकता पैदा करते हैं। ‘द साबरमती रिपोर्ट’ के टीजर में दिखाए गए दृश्य और उसका म्यूजिक फिल्म के प्रभाव को और भी बढ़ा देता है। विक्रांत का अभिनय और बैकग्राउंड स्कोर मिलकर फिल्म को एक इंटेंस अनुभव बना देते हैं, जो दर्शकों को सोचने पर मजबूर करता है।
टीजर के बैकग्राउंड म्यूजिक में एक गंभीरता और संवेदनशीलता है, जो फिल्म के विषय की गंभीरता को बखूबी उभारता है। म्यूजिक के साथ-साथ डायलॉग्स भी एक गहरी छाप छोड़ते हैं, जो फिल्म के अनुभव को और अधिक आकर्षक और यादगार बनाते हैं।
फिल्म की रिलीज डेट और दर्शकों की उम्मीदें
‘द साबरमती रिपोर्ट’ 15 नवंबर 2024 को सिनेमाघरों में रिलीज होने वाली है, और दर्शकों के बीच इस फिल्म को लेकर काफी उत्सुकता है। यह फिल्म उन फिल्मों में से एक है, जो समाज के सामने कठिन और अनकहे विषयों को प्रस्तुत करने का साहस करती हैं। दर्शक न केवल इस फिल्म के अदाकारी और निर्देशन के लिए उत्साहित हैं, बल्कि उस ऐतिहासिक और वास्तविक घटना के सच्चाई से रूबरू होने के लिए भी बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं, जिसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था।

फिल्म का संदेश और समाज पर असर
फिल्म ‘द साबरमती रिपोर्ट’ का उद्देश्य केवल मनोरंजन नहीं है; यह एक सामाजिक संदेश भी देती है। यह फिल्म समाज को यह सोचने पर मजबूर करती है कि किस तरह एक घटना को राजनीति और मीडिया अपने फायदे के लिए तोड़-मरोड़ कर पेश करते हैं। विक्रांत मैसी का किरदार इसी समाज और सिस्टम के पाखंड का पर्दाफाश करने का प्रयास करता है और सच्चाई की खोज में अपनी जान तक की बाजी लगा देता है।
फिल्म यह दिखाती है कि कैसे एक पत्रकार या एक आम व्यक्ति सत्य की खोज में अपने जीवन की सबसे कठिन परिस्थितियों का सामना करता है। यह फिल्म एक सामाजिक रूप से प्रासंगिक कहानी प्रस्तुत करती है और समाज के पाखंड, मीडिया के झूठे वादों और राजनीति के दोहरे मापदंडों को उजागर करती है।
‘द साबरमती रिपोर्ट’ सिर्फ एक फिल्म नहीं है; यह एक आंदोलन है, जो सच्चाई की खोज, साहस और सामाजिक न्याय के लिए खड़ा होता है। विक्रांत मैसी का किरदार इस फिल्म में एक ऐसी शख्सियत के रूप में उभरता है, जो समाज के सामने सच्चाई लाने का प्रयास करता है, चाहे उसे अपनी जिंदगी का ही खतरा क्यों न उठाना पड़े। यह फिल्म सिर्फ 2002 की गोधरा कांड की सच्चाई को उजागर करने का प्रयास नहीं है, बल्कि यह एक समाज को अपने भीतर की गहराई से आत्मावलोकन करने का मौका देती है।
‘द साबरमती रिपोर्ट’ न केवल एक संवेदनशील विषय को उजागर करने वाली फिल्म है, बल्कि यह एक संदेश भी देती है कि सच्चाई को खोजने का साहस सभी में होना चाहिए।