भारत और Canada के बीच के रिश्ते हमेशा से मजबूत और सकारात्मक रहे हैं। साल 1947 में भारत की आजादी के बाद से ही दोनों देशों ने एक दूसरे के साथ सहयोग और समझदारी से काम किया है। लेकिन हाल के घटनाक्रम और विशेष रूप से कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के खालिस्तानी गतिविधियों के प्रति सहानुभूति ने इस रिश्ते को एक नई दिशा में मोड़ दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह स्थिति यूं ही जारी रही, तो कनाडा भारत के लिए दूसरा पाकिस्तान बन सकता है। आइए, हम इस मुद्दे की गहराई में जाते हैं और कुछ महत्वपूर्ण आंकड़ों पर ध्यान देते हैं।
Canada में भारतीय समुदाय: एक महत्वपूर्ण तथ्य
कनाडा में लगभग 8 लाख सिख परिवार बसते हैं। यह संख्या इतनी अधिक है कि ये परिवार कनाडा की सामाजिक और सांस्कृतिक विविधता का अभिन्न हिस्सा बन चुके हैं। लेकिन जस्टिन ट्रूडो की खालिस्तानी राजनीति ने इस समुदाय में असंतोष पैदा कर दिया है, जिससे दोनों देशों के रिश्ते में खटास आ रही है। हाल ही में, भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कनाडा को चरमपंथी और अलगाववादी बताया, जिससे स्पष्ट हो गया कि भारत इस स्थिति को गंभीरता से ले रहा है।
व्यापारिक रिश्तों का महत्व
Canada की लगभग 600 कंपनियां भारत में सक्रिय हैं, जबकि पाकिस्तान से कोई भी महत्वपूर्ण कंपनी भारत में काम नहीं कर रही है। यह स्थिति दर्शाती है कि अगर कनाडा ने भारत के साथ संबंधों में कटौती करने का फैसला किया, तो उसके लिए सबसे बड़ा खतरा इन कंपनियों के लिए हो सकता है। भारत में कारोबार कर रही ये कनाडाई कंपनियां, जैसे रॉयल बैंक ऑफ कनाडा, कई भारतीय कंपनियों की तुलना में कहीं अधिक निवेश कर चुकी हैं।
यदि भारत और Canada के बीच संबंध और बिगड़ते हैं, तो कनाडा को अपने व्यापारिक हितों का भी खामियाजा भुगतना पड़ेगा। इसके विपरीत, भारत का कनाडा के साथ कुल व्यापार 1% से भी कम है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि भारत पर इस संबंध में नुकसान उठाने का खतरा कम है।
भारत की जरूरतें और विकल्प
Canada के साथ व्यापारिक रिश्ते खराब होने पर, भारत को केवल कुछ चीजें मंगाने में दिक्कत होगी। भारत अपनी आवश्यक दालों का लगभग आधा हिस्सा कनाडा से मंगाता है, जबकि ऑस्ट्रेलिया से भी लगभग 49% दालें आती हैं। इसके अलावा, भारत मटर का लगभग 52% हिस्सा कनाडा से प्राप्त करता है, लेकिन रूस भी इस क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण आपूर्तिकर्ता है।
Canada से आयात की जाने वाली दूसरी बड़ी चीज पोटाश है, जिसका विकल्प रूस और यूक्रेन से भी उपलब्ध है। इससे यह साबित होता है कि भारत के पास कई विकल्प हैं और अगर कनाडा के साथ संबंध बिगड़ते हैं, तो भारत को कोई गंभीर समस्या नहीं होगी।
भारत का निर्यात
भारत से Canada को निर्यात की जाने वाली वस्तुओं में दवाएं, कपड़े, डायमंड, केमिकल, रत्न और आभूषण शामिल हैं। अगर भारत ने इन सामानों की सप्लाई में कमी की, तो निश्चित तौर पर कनाडा को आर्थिक नुकसान होगा। इससे कनाडा के बाजार में भारतीय उत्पादों की कमी आएगी, जिससे उसके व्यापार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
छात्रों का मुद्दा
हालांकि, इस संबंध में सबसे बड़ा प्रभाव भारतीय छात्रों पर पड़ सकता है। Canada , विदेश में पढ़ाई करने वाले भारतीय छात्रों के लिए एक प्रमुख गंतव्य बन चुका है, जहां 40% से अधिक छात्र पढ़ाई के लिए जाते हैं। ये छात्र कनाडा की अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण योगदान देते हैं, जिससे कनाडा को हर साल करोड़ों डॉलर का लाभ होता है। लेकिन भारत के पास अमेरिका और रूस जैसे अन्य विकल्प भी हैं, जिससे यह स्थिति कनाडा के लिए चिंता का विषय हो सकती है।
निष्कर्ष: भारत और Canada के संबंधों की दिशा
Canada के साथ भारत के संबंधों में जो तनाव आया है, वह केवल राजनीतिक नहीं है, बल्कि आर्थिक और सामाजिक भी है। जस्टिन ट्रूडो को यह समझना चाहिए कि अगर वे भारत के प्रति अपने आक्रामक रुख को जारी रखते हैं, तो इसका नुकसान केवल भारत को नहीं, बल्कि कनाडा को भी होगा।
अगर Canada सच में भारत के लिए दूसरा पाकिस्तान बनने की दिशा में बढ़ता है, तो इसका सबसे बड़ा खामियाजा कनाडा की कंपनियों और उसके व्यापार को भुगतना पड़ेगा। भारत ने हमेशा अपने रिश्तों को प्राथमिकता दी है, लेकिन अगर कनाडा ने अपनी नीति में बदलाव नहीं किया, तो भारत को अपने व्यापारिक हितों की रक्षा के लिए कठोर कदम उठाने में संकोच नहीं होगा।
इसलिए, यह समय है कि ट्रूडो अपनी हेकड़ी छोड़कर भारत के साथ संवाद की नई शुरुआत करें, अन्यथा यह संबंध दोनों देशों के लिए खतरनाक हो सकते हैं।